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=== मौनी अमावस्या ===
 
=== मौनी अमावस्या ===
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं, इस दिन प्राणी पूरे दिन चुप रहता है। यह व्रत एक दिन, छ: महीने या एक साल जब तक रखना चाहें रख सकते हैं। इस व्रत को धारण करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है; अर्थात् अगले जन्म में मुनि कहलाने के अधिकारी हो जाते हैं, अन्त समय में ब्रह्मलोक की भी प्राप्ति होती है। इस दिन युग प्रवर्तक मनुजी का जन्म दिवस है। इसलिए इस दिन उनकी याद में मौन धारण करना चाहिये।
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माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं, इस दिन प्राणी पूरे दिन चुप रहता है। यह व्रत एक दिन, छ: महीने या एक साल जब तक रखना चाहें रख सकते हैं। इस व्रत को धारण करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है; अर्थात् अगले जन्म में मुनि कहलाने के अधिकारी हो जाते हैं, अन्त समय में ब्रह्मलोक की भी प्राप्ति होती है। इस दिन युग प्रवर्तक मनुजी का जन्म दिवस है। इसलिए इस दिन उनकी याद में मौन धारण करना चाहिये। इस दिन काले तिल और गुड़ के लड्डू बनाकर उसमें दक्षिणा रखकर तथा एक लाल कपड़े में बांधकर ब्राह्मणों को दानस्वरूप दे दें। काले तिल से शरीर का उबटन करें और गंगाजी या यमुनाजी में स्नान करें।
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=== सूर्य सप्तमी ===
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यह व्रत माघ मास की शुक्ल पक्ष सप्तमी को होता है। इस दिन भगवान सूर्य देव को गंगाजल से अर्घ्य दें। रोली, लाल चन्दन, चावल, लाल पुष्प, फल, जनेऊ, धूप, दक्षिणा चढ़ायें और दीपक कपूर से आरती उतारें। सूर्य देव की परिक्रमा दें। इसके उपरान्त ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान देकर विदा करे। बाद में स्वयं भोजन करें। इस व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
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=== भीमाष्टमी व्रत ===
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यह व्रत माघ मास की शुक्ल अष्टमी को आता है। इस दिन कौरव और पाण्डवों के बाबा भीष्म पितामह की इच्छामृत्यु हुई थी। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण में रहते हैं। भीष्म पितामह के तर्पण के लिये इस दिन व्रत रखकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिये। जो इस प्रकार व्रत रखते हैं वे श्रीकृष्ण-लोक को प्राप्त होते हैं।
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=== माघ पूनो ===
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यह व्रत माघ मास की पूर्णिमा को रखा जाता है। यह दिन माघ स्नान का अन्तिम दिन होता है। इस दिन प्रयाग स्नान से नर्क की यातनायें नहीं भुगतनी पड़ती और मनुष्य भवसागर से पार होकर विष्णु-लोक को जाता है।
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