Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 71: Line 71:     
== (षड् ऋतुएँ) ==
 
== (षड् ऋतुएँ) ==
 +
ऋतु का संबंध सूर्य की गति से है। सूर्य क्रान्तिवृत्त में जैसे भ्रमण करते हैं वैसे ही ऋतुओं में बदलाव आ जाता है। ऋतुओं की संख्या ६ है। प्रत्येक ऋतु दो मास के होते हैं। शरत्सम्पात् एवं वसन्तसम्पात् पर ही ६ ऋतुओं का प्रारम्भ निर्भर करता है। वसन्त सम्पात् से वसन्त ऋतु, शरत्सम्पात से शरद ऋतु, सायन मकर से शिशिर ऋतु, सायन कर्क से वर्षा ऋतु प्रारम्भ होती है। अतः सायन मकर या उत्तरायण बिन्दु ही शिशिर ऋतु का प्रारम्भ है। क्रमशः २-२ सौरमास की एक ऋतु होती है।
 +
 +
मृगादिराशिद्वयभानुभोगात् षडर्तवः स्युः शिशिरो वसन्तः। ग्रीष्मश्च वर्षाश्च शरच्च तदवत् हेमन्त नामा कथितोऽपि षष्ठः॥(बृह०अवक०
 +
 +
== परिभाषा ==
 +
इयर्ति गच्छति अशोक-पुष्पविकासान् साधारणलिङ्गमिति वसन्तादिकालविशेषऋतुः।
 +
 +
== परिचय ==
 +
 +
== ऋतु भेद ==
 +
मृगादिराशिद्वयभानुभोगात् षडर्तवः स्युः शिशिरो वसन्तः। ग्रीष्मश्च वर्षाश्च शरच्च तदवत् हेमन्त नामा कथितोऽपि षष्ठः॥(बृह०अवक०)
 +
 +
अर्थात् सायन मकर-कुम्भ में शिशिर ऋतु, मीन-मेष में वसन्त ऋतु, वृष-मिथुन में ग्रीष्म ऋतु, कर्क-सिंह में वर्षा ऋतु, कन्या-तुला में शरद ऋतु, वृश्चिक-धनु में हेमन्त ऋतु होती है।
 +
 +
== ऋतुओं के नामों की सार्थकता ==
 +
शास्त्रों में ऋतु के अनुसार ही वस्तुओं का परिणाम बताया गया है। प्रत्येक प्राणी, वृक्ष, लता इत्यादि का विकास ऋतुओं के अनुसार ही होता है।
 +
 +
=== वसन्त ===
 +
 +
 +
ग्रीष्म
 +
 +
वर्षा
 +
 +
शरद्
 +
 +
हेमन्त
 +
 +
शिशिर
 +
 +
 +
सौर एवं चान्द्रमासों के अनुसार इन वसन्तादि ऋतुओं का स्पष्टार्थ सारिणी-
 +
{| class="wikitable"
 +
|+
 +
!वसन्त
 +
!ग्रीष्म
 +
!वर्षा
 +
!शरद्
 +
!हेमन्त
 +
!शिशिर
 +
!ऋतु
 +
|-
 +
|मीन,मेष
 +
|वृष,मिथुन
 +
|कर्क,सिंह
 +
|कन्या,तुला
 +
|वृश्चिक,धनु
 +
|मकर,कुम्भ
 +
|सौर मास
 +
|-
 +
|चैत्र
 +
|ज्येष्ठ
 +
|श्रावण
 +
|आश्विन
 +
|मार्गशीर्ष
 +
|माघ
 +
| rowspan="2" |चान्द्रमास
 +
|-
 +
|वैशाख
 +
|आषाढ
 +
|भाद्रपद
 +
|कार्तिक
 +
|पौष
 +
|फाल्गुन
 +
|}
 +
 +
== ऋतु महत्व ==
 +
<blockquote>वसन्तो  ग्रीष्मो वर्षा। ते देवाऽऋतवः शरद्धेमन्तः शिशिरस्ते पितरः॥(शतपथ ब्राह्मण)</blockquote>उपरोक्त वचन के अनुसार वसन्त, ग्रीष्म एवं वर्षादि तीन दैवी ऋतुयें हैं तथा शरद् हेमन्त और शिशिर ये पितरों की ऋतुयें हैं। अतः इन ऋतुओं में यथोचित कर्म ही शुभ फल प्रदान करते हैं।
 +
 +
== ऋतु फल ==
 +
ऋतुएँ छः होती हैं- १, वृष और मिथुन के सूर्य हो तो ग्रीष्म ऋतु, २, कर्क और सिंह के सूर्य में वर्षा ऋतु, ३, कन्या और तुला के सूर्य में शरद ऋतु, ४, वृश्चिक और धनु के सूर्य में हेमन्त ऋतु, ६, मकर और कुम्भ के सूर्य में शिशिर ऋतु तथा ६, मीन और मेष के सूर्य में वसन्त ऋतु होती है।<blockquote>दीर्घायुर्धनिको वसन्तसमये जातः सुगन्धप्रियो। ग्रीष्मर्तौ घनतोयसेव्यचतुरो भोगी कृशाङ्गः सुधीः॥
 +
 +
क्षारक्षीरकटुप्रियः सुवचनो वर्षर्तुजः स्वच्छधीः। पुण्यात्मा सुमुखः सुखी यदि शरत्कालोद्भवः कामुकः॥
 +
 +
योगीकृशाङ्गः कृषकश्च भोगी हेमन्तकालप्रभवः समर्थः। स्नानक्रियादानरतः स्वधर्मी मानी यशस्वी शिशिरर्तुजः स्यात् ॥</blockquote>अर्थ- वसन्त ऋतु में उत्पन्न व्यक्ति दीर्घायु, धनवान और सुगन्धिप्रिय होता है, ग्रीष्म ऋतु में जन्मा व्यक्ति घनतोय सेवन करने वाला, चतुर, अनेक भोगों से युक्त, कृशतनु और विद्वान् होता है।
 +
 +
वर्षाऋतु में उत्पन्न व्यक्ति नमकीन और कडवे स्वादयुक्त पदार्थों और दूध का प्रेमी, निश्छल बुद्धि और मिष्टभाषी, शरद ऋतु में उत्पन्न व्यक्ति पुण्यात्मा, प्रियवक्ता, सुखी और कामातुर, हेमन्त ऋतु में उत्पन्न जातक योगी, कृषतनु, कृषक, भोगादि सम्पन्न और सामर्थ्यवान् ,शिशिर ऋतु में व्यक्ति स्वधर्मानुसार आचरण करने वाला, स्नान, दानादिकर्ता, मानयुक्त और यशस्वी होता है।
 +
 
== वेदाङ्गज्योतिष॥ Vedanga Jyotisha ==
 
== वेदाङ्गज्योतिष॥ Vedanga Jyotisha ==
 
{{Main|Vedanga Jyotish (वेदाङ्गज्योतिष)}}
 
{{Main|Vedanga Jyotish (वेदाङ्गज्योतिष)}}
746

edits

Navigation menu