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==पर्यावरणीय महत्व==
 
==पर्यावरणीय महत्व==
 
प्रत्येक वृक्ष के अपने अलग-अलग सूक्ष्म पर्यावरणीय प्रभाव होते हैं।किन्तु अकेले में ये एकांगी व अधूरे होते हैं। सभी नक्षत्र वन, नवग्रह वन या राशि वनों  के वृक्षों को एक साथ लगाने से इनके सूक्ष्म प्रभावों में संतुलन स्थापित रहता है, जो कि हर किसी के लिये लाभकारी होता है। अतः पर्यावरण में कल्याणकारी सन्तुलन स्थापित करने के लिये समस्त ग्रह, राशि एवं नक्षत्र संबन्धित वृक्षों को एक साथ स्थापित करना चाहिये।
 
प्रत्येक वृक्ष के अपने अलग-अलग सूक्ष्म पर्यावरणीय प्रभाव होते हैं।किन्तु अकेले में ये एकांगी व अधूरे होते हैं। सभी नक्षत्र वन, नवग्रह वन या राशि वनों  के वृक्षों को एक साथ लगाने से इनके सूक्ष्म प्रभावों में संतुलन स्थापित रहता है, जो कि हर किसी के लिये लाभकारी होता है। अतः पर्यावरण में कल्याणकारी सन्तुलन स्थापित करने के लिये समस्त ग्रह, राशि एवं नक्षत्र संबन्धित वृक्षों को एक साथ स्थापित करना चाहिये।
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=== धार्मिक एवं  सांस्कृतिक महत्व ===
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भारतीय संस्कृति में वृक्षों एवं वनों को धार्मिक रूप से अत्यन्त महत्व प्रदान किया गया है। भगवान् शिव स्वयं बिल्व वृक्ष के उपासक हैं। यह वृक्ष भगवान् शिव का प्रिय वृक्ष एवं इसके पत्रों से शिव का पूजन करने का विधान है।<blockquote>पूर्वैस्तिलयवैश्चाथ कमलैः पूजयेच्छिवम् । बिल्वपत्रैर्विशेषेण पूजयेत्परमेश्वरम् ॥</blockquote>
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===वृक्षों से लाभ===
 
===वृक्षों से लाभ===
 
====वृक्षायुर्वेद====
 
====वृक्षायुर्वेद====
 
====वृक्षारोपण का महत्व====
 
====वृक्षारोपण का महत्व====
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वृक्षों का महत्व एवं आवश्यकता की धारणा को बनाये रखने के लिये शास्त्रों में वर्णन होता है। अग्निपुराण के अनुसार-<blockquote>वापीकूपतडागानि देवतायतनानि च। अन्नप्रदानमारामाः पूर्त धर्मं च मुक्तिदम् ॥</blockquote>अर्थात् - उपवन लगाना या लगवाना पूर्तधर्म है जो कि मोक्ष प्रदान करने वाला है।<blockquote>अतीतानागातान् सर्वान्पितृवंशांस्तु तारयेत्। कान्तारे वृक्षरोपी यस्तस्माद् वृक्षांस्तु रोपयेत॥</blockquote>अर्थात् -जो व्यक्ति वन में वृक्षों को लगाता है वह
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====प्रदूषण रोधक वृक्ष और औषधियाँ====
 
====प्रदूषण रोधक वृक्ष और औषधियाँ====
 
==सन्दर्भ==
 
==सन्दर्भ==
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