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== हिन्दूस्थान की या भारत की परमात्मा प्रदत्त जिम्मेदारी ==
 
== हिन्दूस्थान की या भारत की परमात्मा प्रदत्त जिम्मेदारी ==
- कोई भी पदार्थ निर्माण किया जाता है तो उसके निर्माण का कुछ उद्देश्य होता है| बिना प्रयोजन के कोई कुछ निर्माण नहीं करता| इसी लिए सृष्टि के हर अस्तित्व के निर्माण का भी कुछ प्रयोजन है| इसी तरह से हर समाज के अस्तित्व का कुछ प्रयोजन होता है| हिन्दूस्थान या भारत का महत्त्व बताने के लिए स्वामी विवेकानंद वैश्विक जीवन को एक नाटक की उपमा देते हैं| वे बताते हैं कि हिन्दूस्थान इस नाटक का नायक है| नायक होने से यह नाटक के प्रारम्भ से लेकर अंततक रंगमंचपर रहता है| इस नाटक के नायक की भूमिका ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम्’ की है| वैश्विक समाज को आर्य बनाने की है|  प्रसिद्ध इतिहासकार अर्नोल्ड टोयन्बी बताते हैं – यदि मानव जाति को आत्मनाश से बचना है तो, जिस प्रकरण का प्रारंभ पश्चिम ने (यूरोप) ने किया है उसका अंत अनिवार्यता से भारतीय होना आवश्यक है| ( द चैप्टर विच हैड ए वेस्टर्न बिगिनिंग शैल हैव टू हैव एन इन्डियन एंडिंग इफ द वर्ल्ड इज नॉट टु ट्रेस द पाथ ऑफ़ सेल्फ डिस्ट्रक्शन ऑफ़ ह्यूमन रेस)
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जब किसी भी पदार्थ का निर्माण किया जाता है तो उसके निर्माण का कुछ उद्देश्य होता है | बिना प्रयोजन के कोई कुछ निर्माण नहीं करता | इसी लिए सृष्टि के हर अस्तित्व के निर्माण का भी कुछ प्रयोजन है | इसी तरह से हर समाज के अस्तित्व का कुछ प्रयोजन होता है | हिन्दूस्थान या भारत का महत्व बताने के लिए स्वामी विवेकानंद वैश्विक जीवन को एक नाटक की उपमा देते हैं | वे बताते हैं कि हिन्दूस्थान इस नाटक का नायक है | नायक होने से यह नाटक के प्रारम्भ से लेकर अंत तक रंगमंच पर रहता है | इस नाटक के नायक की भूमिका ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम्’ की है | वैश्विक समाज को आर्य बनाने की है |  प्रसिद्ध इतिहासकार अर्नोल्ड टोयन्बी बताते हैं – यदि मानव जाति को आत्मनाश से बचना है तो जिस प्रकरण का प्रारंभ पश्चिम ने (यूरोप) ने किया है उसका अंत अनिवार्यता से भारतीय होना आवश्यक है | ( The Chapter which had a western beginning shall have to have an Indian ending if the world is not to trace the path of self destruction of human race)
    
== हिंदू धर्म की शिक्षा के अभाव के दुष्परिणाम ==
 
== हिंदू धर्म की शिक्षा के अभाव के दुष्परिणाम ==
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