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अमरिका एक बडे प्रमाण में टूटे परिवारों का देश है। परिवारों को फिर से व्यवस्थित कैसे किया जाए इस की चिंता अमरिका के हितचिंतक विद्वान करने लगे है। किन्तु प्रेम, आत्मीयता, कर्तव्य भावना, औरों के हित को प्राधान्य देना, औरों के लिये त्याग करने की मानसिकता, इन सब को पुन: लोगोंं के मन में जगाना सरल बात नहीं है। हमारे यहाँ परिवार व्यवस्था अब भी कुछ प्रमाण में टिकी हुई है, उस की हमें कीमत नहीं है।  
 
अमरिका एक बडे प्रमाण में टूटे परिवारों का देश है। परिवारों को फिर से व्यवस्थित कैसे किया जाए इस की चिंता अमरिका के हितचिंतक विद्वान करने लगे है। किन्तु प्रेम, आत्मीयता, कर्तव्य भावना, औरों के हित को प्राधान्य देना, औरों के लिये त्याग करने की मानसिकता, इन सब को पुन: लोगोंं के मन में जगाना सरल बात नहीं है। हमारे यहाँ परिवार व्यवस्था अब भी कुछ प्रमाण में टिकी हुई है, उस की हमें कीमत नहीं है।  
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हमारे पूर्वजों ने बहुत सोच समझकर, परिश्रमपूर्वक परिवार व्यवस्था का निर्माण किया था। केवल व्यवस्था ही निर्माण नहीं की तो उसे पूर्णत्व की स्थितितक ले गये। उस व्यवस्था में ही ऐसे घटक विकसित किये जो उस व्यवस्था को बनाए भी रखते थे और बलवान भी बनाते थे। इसीलिये धार्मिक (भारतीय) परिवार व्यवस्था कालजयी बनी है। इस [[Family Structure ([[Family_Structure_(कुटुंब_व्यवस्था)|कुटुंब व्यवस्था]])|[[Family_Structure_(कुटुंब_व्यवस्था)|कुटुंब व्यवस्था]]]] के कुछ महत्वपूर्ण विशेष निम्न हैं:  
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हमारे पूर्वजों ने बहुत सोच समझकर, परिश्रमपूर्वक परिवार व्यवस्था का निर्माण किया था। केवल व्यवस्था ही निर्माण नहीं की तो उसे पूर्णत्व की स्थितितक ले गये। उस व्यवस्था में ही ऐसे घटक विकसित किये जो उस व्यवस्था को बनाए भी रखते थे और बलवान भी बनाते थे। इसीलिये धार्मिक (भारतीय) परिवार व्यवस्था कालजयी बनी है। इस [[Family Structure (कुटुंब व्यवस्था)|कुटुंब व्यवस्था]] के कुछ महत्वपूर्ण विशेष निम्न हैं:  
 
* सुसंस्कृत, सुखी, समाधानी और सामाजिक सहनिवास के संस्कारों की व्यवस्था  
 
* सुसंस्कृत, सुखी, समाधानी और सामाजिक सहनिवास के संस्कारों की व्यवस्था  
 
* सामान्य ज्ञान एका पीढी से अगली पीढी तक संक्रमित करने की व्यवस्था  
 
* सामान्य ज्ञान एका पीढी से अगली पीढी तक संक्रमित करने की व्यवस्था  
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वास्तव में मोक्ष या परमात्मपद प्राप्ति या पूर्णत्व की प्राप्ति ही तो मानव जीवन का लक्ष्य है। कारण यह है की केवल परमात्मा ही पूर्ण है। उसी तरह हर जीव भी अपने आप में पूर्ण है। पूर्ण है का अर्थ है पूर्णत्व के लिए आवश्यक सभी बातें उसमें हैं। मनुष्य जीवन का लक्ष्य ही इस तरह से सबसे पहले अपने आप को विकसित कर पूर्णत्व(लघु) प्राप्त करना और आगे इस लघु पूर्ण को विकसित कर उसको एक पूर्ण (परमात्मा) में विलीन कर देना है।  
 
वास्तव में मोक्ष या परमात्मपद प्राप्ति या पूर्णत्व की प्राप्ति ही तो मानव जीवन का लक्ष्य है। कारण यह है की केवल परमात्मा ही पूर्ण है। उसी तरह हर जीव भी अपने आप में पूर्ण है। पूर्ण है का अर्थ है पूर्णत्व के लिए आवश्यक सभी बातें उसमें हैं। मनुष्य जीवन का लक्ष्य ही इस तरह से सबसे पहले अपने आप को विकसित कर पूर्णत्व(लघु) प्राप्त करना और आगे इस लघु पूर्ण को विकसित कर उसको एक पूर्ण (परमात्मा) में विलीन कर देना है।  
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अब पूर्णत्व के कुछ उदाहरण देखेंगे: [[Family Structure ([[Family_Structure_(कुटुंब_व्यवस्था)|कुटुंब व्यवस्था]])|[[Family_Structure_(कुटुंब_व्यवस्था)|कुटुंब व्यवस्था]]]], गो आधारित खेती, अंकगणित की आठ मूल क्रियाएं, ० से ९ तक के ऑंकडे,  देवनागरी लिपी।
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अब पूर्णत्व के कुछ उदाहरण देखेंगे: [[Family Structure (कुटुंब व्यवस्था)|कुटुंब व्यवस्था]], गो आधारित खेती, अंकगणित की आठ मूल क्रियाएं, ० से ९ तक के ऑंकडे,  देवनागरी लिपी।
    
==References==
 
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