| * कुटुंब प्रमुख परिवार के सब के हित में जिये ऐसी मानसिकता। और केवल जिये इतना ही नहीं अपितु परिवार के सभी घटकों को मनपूर्वक लगे भी यह महत्वपूर्ण बात है। | | * कुटुंब प्रमुख परिवार के सब के हित में जिये ऐसी मानसिकता। और केवल जिये इतना ही नहीं अपितु परिवार के सभी घटकों को मनपूर्वक लगे भी यह महत्वपूर्ण बात है। |
− | * अपनी क्षमता के अनुसार पारिवारिक जिम्मेदारी उठाना परिवार की समृध्दि बढाने में योगदान देना और परिवार के साझे संचय में से न्यूनतम का उपयोग करना। इसी व्यवहार के कारण देश समृध्द था। | + | * अपनी क्षमता के अनुसार पारिवारिक जिम्मेदारी उठाना परिवार की समृद्धि बढाने में योगदान देना और परिवार के साझे संचय में से न्यूनतम का उपयोग करना। इसी व्यवहार के कारण देश समृध्द था। |
| * बडों का आदर करना, छोटों को प्यार देना, अतिथि का सत्कार करना, स्त्री का सम्मान करना, परिवार के हित में ही अपना हित देखना, अपनों के लिये किये त्याग के आनंद की अनूभूति, घर के नौकर-चाकर, भिखारी, मधुकरी माँगनेवाले, पशु, पक्षी, पौधे आदि परिवार के घटक ही हैं, इस प्रकार उन सब से व्यवहार करना आदि बातें बच्चे परिवार में बढते बढते अपने आप सीख जाते थे। | | * बडों का आदर करना, छोटों को प्यार देना, अतिथि का सत्कार करना, स्त्री का सम्मान करना, परिवार के हित में ही अपना हित देखना, अपनों के लिये किये त्याग के आनंद की अनूभूति, घर के नौकर-चाकर, भिखारी, मधुकरी माँगनेवाले, पशु, पक्षी, पौधे आदि परिवार के घटक ही हैं, इस प्रकार उन सब से व्यवहार करना आदि बातें बच्चे परिवार में बढते बढते अपने आप सीख जाते थे। |
| * मृत्यू का डर बताकर बीमे के दलाल कहते है की ‘आयुर्बीमा का कोई विकल्प नही है’। किन्तु बडे परिवार के किसी भी घटक को आयुर्विमा की कोई आवश्यकता नहीं होती। आपात स्थिति में पूरा परिवार उस घटक का केवल आर्थिक ही नहीं, भावनात्मक और शारिरिक बोझ भी सहज ही उठा लेता है। इस भावनात्मक सुरक्षा के लिये आयुर्बीमा में कोई विकल्प नहीं है। | | * मृत्यू का डर बताकर बीमे के दलाल कहते है की ‘आयुर्बीमा का कोई विकल्प नही है’। किन्तु बडे परिवार के किसी भी घटक को आयुर्विमा की कोई आवश्यकता नहीं होती। आपात स्थिति में पूरा परिवार उस घटक का केवल आर्थिक ही नहीं, भावनात्मक और शारिरिक बोझ भी सहज ही उठा लेता है। इस भावनात्मक सुरक्षा के लिये आयुर्बीमा में कोई विकल्प नहीं है। |