देवी का तीसरा स्वरूप चन्द्रिका या चन्द्रघण्टा का है। पृथ्वी पर एक बार चण्ड-मुण्ड नाम के दो राक्षस पैदा हुए थे। दोनों इतने बलवान थे कि संसार में अपना राज्य फैला दिया तथा स्वर्ग देवताओं को हराकर वहां भी अपना अधिकार जमा लिया। इस तरह देवता बहुत दुःखी हुए तथा देवी की स्तुति करने लगे। तब देवी चन्द्रघण्टा (चन्द्रिका) के रूप में अवतरित हुईं एवं चण्ड-मुण्ड नामक राक्षसों को मारकर संसार का दुःख दूर किया। देवताओं का गया हुआ स्वर्ग पुनः उन्हें दे दिया। इस तरह चारों ओर सुख का साम्राज्य स्थापित हुआ। | देवी का तीसरा स्वरूप चन्द्रिका या चन्द्रघण्टा का है। पृथ्वी पर एक बार चण्ड-मुण्ड नाम के दो राक्षस पैदा हुए थे। दोनों इतने बलवान थे कि संसार में अपना राज्य फैला दिया तथा स्वर्ग देवताओं को हराकर वहां भी अपना अधिकार जमा लिया। इस तरह देवता बहुत दुःखी हुए तथा देवी की स्तुति करने लगे। तब देवी चन्द्रघण्टा (चन्द्रिका) के रूप में अवतरित हुईं एवं चण्ड-मुण्ड नामक राक्षसों को मारकर संसार का दुःख दूर किया। देवताओं का गया हुआ स्वर्ग पुनः उन्हें दे दिया। इस तरह चारों ओर सुख का साम्राज्य स्थापित हुआ। |