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# जिस प्रकार से मतदाता की अर्हता महत्वपूर्ण है उसी प्रकार से प्रत्याशी की अर्हता तो उस से भी अधिक महत्व रखती है। किंतु इस विषय में भी जिस पद के लिये वह चुनाव लड़ रहा है उस दृष्टि से प्रत्याशी के संस्कार, लालन-पालन, उसकी शिक्षा और प्रशिक्षण इन बातों की कोई शर्त नहीं होती।
 
# जिस प्रकार से मतदाता की अर्हता महत्वपूर्ण है उसी प्रकार से प्रत्याशी की अर्हता तो उस से भी अधिक महत्व रखती है। किंतु इस विषय में भी जिस पद के लिये वह चुनाव लड़ रहा है उस दृष्टि से प्रत्याशी के संस्कार, लालन-पालन, उसकी शिक्षा और प्रशिक्षण इन बातों की कोई शर्त नहीं होती।
 
# मतदान कभी भी १०० प्रतिशत नहीं होता। जो होता है उसी में अधिकतम मत जिसे मिलते हैं वह चुनाव जीत जाता है। विभिन्न कारणों से कई बार मतदान ४० प्रतिशत से भी कम होता है। ऐसी स्थिति में या अधिक प्रत्याशी संख्या होने पर मात्र २० प्रतिशत मत पाने वाला प्रत्याशी भी चुनाव जीत जाता है। स्वाधीनता के बाद के चुनाव में काँग्रेस ने संसद और विधानसभा की मिलाकर देशभर में ७२ प्रतिशत बैठकें जीतीं थीं। किंतु कुल बालिग मतदान का प्रत्यक्ष पेटी में प्राप्त हुआ मतदान मात्र २३ प्रतिशत ही था। इस २३ प्रतिशत में भी काँग्रेस को केवल ४५ प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए थे। इसका अर्थ यह है कि कुल मतों में से केवल १०.३५ प्रतिशत मत पाने से काँग्रेस को पाशवी (ब्रूटल) बहुमत प्राप्त हो गया था।
 
# मतदान कभी भी १०० प्रतिशत नहीं होता। जो होता है उसी में अधिकतम मत जिसे मिलते हैं वह चुनाव जीत जाता है। विभिन्न कारणों से कई बार मतदान ४० प्रतिशत से भी कम होता है। ऐसी स्थिति में या अधिक प्रत्याशी संख्या होने पर मात्र २० प्रतिशत मत पाने वाला प्रत्याशी भी चुनाव जीत जाता है। स्वाधीनता के बाद के चुनाव में काँग्रेस ने संसद और विधानसभा की मिलाकर देशभर में ७२ प्रतिशत बैठकें जीतीं थीं। किंतु कुल बालिग मतदान का प्रत्यक्ष पेटी में प्राप्त हुआ मतदान मात्र २३ प्रतिशत ही था। इस २३ प्रतिशत में भी काँग्रेस को केवल ४५ प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए थे। इसका अर्थ यह है कि कुल मतों में से केवल १०.३५ प्रतिशत मत पाने से काँग्रेस को पाशवी (ब्रूटल) बहुमत प्राप्त हो गया था।
# चुनाव का व्यय इतना अधिक होता है कि सामान्य माली हालत वाला व्यक्ति चुनाव लड़़ने का व्यय वहन नहीं कर सकता। फिर वह विविध प्रकार के हथकण्डे अपनाकर धन की व्यवस्था करता है। जब चुन कर आ जाता है तो जिन से उसने धन लिया है वे अपने दिये धन से कई गुना लाभ उससे प्राप्त करते हैं। इस से भ्रष्टाचार को बढावा मिलता है। कई बार तो लोग गुण्डों की मदद लेते हैं। विदेशी शक्तियों की मदद लेने वाले भी कई लोग होते हैं। ऐसे लोग चुन कर आने के बाद उन गुण्डों के लिये या विदेशी शक्तियों के लिये काम करते हैं।
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# चुनाव का व्यय इतना अधिक होता है कि सामान्य माली हालत वाला व्यक्ति चुनाव लड़़ने का व्यय वहन नहीं कर सकता। फिर वह विविध प्रकार के हथकण्डे अपनाकर धन की व्यवस्था करता है। जब चुन कर आ जाता है तो जिन से उसने धन लिया है वे अपने दिये धन से कई गुना लाभ उससे प्राप्त करते हैं। इस से भ्रष्टाचार को बढावा मिलता है। कई बार तो लोग गुण्डों की सहायता लेते हैं। विदेशी शक्तियों की सहायता लेने वाले भी कई लोग होते हैं। ऐसे लोग चुन कर आने के बाद उन गुण्डों के लिये या विदेशी शक्तियों के लिये काम करते हैं।
 
# वास्तव में अल्पमत और बहुमत वाला लोकतंत्र तो सीधा ' सर्व्हायव्हल ऑफ द फिटेस्ट यानी बलवानों को ही जीने का अधिकार है' इस सूत्र के आधार पर ही बनाया हुआ तंत्र है। जब आप बहुमत में आ जाते हैं यानी बलवान हो जाते हैं तब आप की इच्छा के अनुसार अल्पमत वालों को चलना पडेगा।
 
# वास्तव में अल्पमत और बहुमत वाला लोकतंत्र तो सीधा ' सर्व्हायव्हल ऑफ द फिटेस्ट यानी बलवानों को ही जीने का अधिकार है' इस सूत्र के आधार पर ही बनाया हुआ तंत्र है। जब आप बहुमत में आ जाते हैं यानी बलवान हो जाते हैं तब आप की इच्छा के अनुसार अल्पमत वालों को चलना पडेगा।
 
# प्रत्याशी लोगों को क्या आश्वासन दे इस के कोई नियम नहीं बनाये जाते। चाँद तोडकर लाने जैसे झूठे आश्वासन भी वे दे सकते हैं। सामान्यत: सभी प्रत्याशी लोगों के काम (अपेक्षाओं) और मोह को बढाने वाले आश्वासन ही देते हैं। आश्वासनों की पूर्ति नहीं होने पर समाज में अराजक निर्माण होता है।
 
# प्रत्याशी लोगों को क्या आश्वासन दे इस के कोई नियम नहीं बनाये जाते। चाँद तोडकर लाने जैसे झूठे आश्वासन भी वे दे सकते हैं। सामान्यत: सभी प्रत्याशी लोगों के काम (अपेक्षाओं) और मोह को बढाने वाले आश्वासन ही देते हैं। आश्वासनों की पूर्ति नहीं होने पर समाज में अराजक निर्माण होता है।

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