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== प्राकृतिक संसाधनों के उपभोग के व्यावहारिक सूत्र ==
 
== प्राकृतिक संसाधनों के उपभोग के व्यावहारिक सूत्र ==
 
भारतीय उपभोग दृष्टि को ध्यान में रखकर जो निष्कर्ष निकाले जा सकते है वे निम्न हैं:  
 
भारतीय उपभोग दृष्टि को ध्यान में रखकर जो निष्कर्ष निकाले जा सकते है वे निम्न हैं:  
# प्रकृति सीमित है। प्रकृति में संसाधनों की मात्रा सीमित है। मनुष्य की इच्छाएं असीम हैं। उपभोग को नियंत्रण में नहीं रखने से उपभोग की इच्छा बढ़ती जाती है। यह अग्नि में घी डालकर उसे बुझाने जैसा है। इससे आग कभी नहीं बुझती। इसलिए स्थल और काल की अखण्डता को ध्यान में रखकर उपभोग को सीमित रखने की आवश्यकता है। संयमित अनिवार्य उपभोग की आदत बचपन से ही डालने की आवश्यकता है। यह काम कुटुम्ब शिक्षा से शुरू होना चाहिए।  
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# प्रकृति सीमित है। प्रकृति में संसाधनों की मात्रा सीमित है। मनुष्य की इच्छाएं असीम हैं। उपभोग को नियंत्रण में नहीं रखने से उपभोग की इच्छा बढ़ती जाती है। यह अग्नि में घी डालकर उसे बुझाने जैसा है। इससे आग कभी नहीं बुझती। इसलिए स्थल और काल की अखण्डता को ध्यान में रखकर उपभोग को सीमित रखने की आवश्यकता है। संयमित अनिवार्य उपभोग की आदत बचपन से ही डालने की आवश्यकता है। यह काम कुटुम्ब शिक्षा से आरम्भ होना चाहिए।  
 
# अनविकरणीय संसाधनों का उपयोग अत्यंत अनिवार्य होनेपर ही करना ठीक होगा। जहॉतक संभव है नविकरणीय संसाधनों से ही आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाहिये।  
 
# अनविकरणीय संसाधनों का उपयोग अत्यंत अनिवार्य होनेपर ही करना ठीक होगा। जहॉतक संभव है नविकरणीय संसाधनों से ही आवश्यकताओं की पूर्ति करनी चाहिये।  
 
# अनविकरणीय और नविकरणीय दोनों ही संसाधनों का उपयोग न्यूनतम करना चाहिये।  
 
# अनविकरणीय और नविकरणीय दोनों ही संसाधनों का उपयोग न्यूनतम करना चाहिये।  

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