Changes

Jump to navigation Jump to search
no edit summary
Line 148: Line 148:  
प्रविश्य योगं ज्ञानेन सोऽपश्यत्सर्वमन्ततः।
 
प्रविश्य योगं ज्ञानेन सोऽपश्यत्सर्वमन्ततः।
   −
निष्प्रभेऽस्मिन्निरालोके सर्वतस्तमसावृते॥ 1-1-35
     −
बृहदण्डमभूदेकं प्रजानां बीजमव्ययम्।
+
निष्प्रभेऽस्मिन्निरालोके सर्वतस्तमसावृते॥ 1-1-35
 +
बृहदण्डमभूदेकं प्रजानां बीजमव्ययम्।
 +
[[:Category:beginning of creation|''beginning of creation'']] [[:Category:beginning|''beginning'']] [[:Category:creation|''creation'']]
 +
  [[:Category:Egglike structure|''Egglike structure'']] [[:Category:सृष्टि |''सृष्टि'']] [[:Category:प्रारम्भ|''प्रारम्भ'']] 
 +
[[:Category:अंड|''अंड'']] [[:Category:प्रकट|''प्रकट'']] [[:Category:सृष्टी के प्रारम्भ मे अंड प्रकट,|''सृष्टी के प्रारम्भ मे अंड प्रकट'']]
 +
 
    
युगस्यादौ निमित्तं तन्महद्दिव्यं प्रचक्षते॥ 1-1-36
 
युगस्यादौ निमित्तं तन्महद्दिव्यं प्रचक्षते॥ 1-1-36
1,815

edits

Navigation menu