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== परिभाषा ==
 
== परिभाषा ==
 
सिद्धान्तशिरोमणि के आधार पर अधिकमास एवं क्षयमास का लक्षण इस प्रकार है-<blockquote>असंक्रान्तिमासोऽधिमासः स्फुटं स्यात् द्विसंक्रान्ति क्षयाख्यः कदाचित्।क्षयः कार्तिकादित्रये नान्यतः स्यात्तदा वर्षमध्येऽधिमासद्वयं स्यात्॥ (सिद्धा०शिरो०)</blockquote>जिस चान्द्र मास में सूर्य की संक्रान्ति नहीं होती है तो उस मास की अधिकमास संज्ञा होती है। एवं जिस मास में अर्थात् चान्द्रमास में दो संक्रान्ति हो उस चान्द्रमास को क्षयमास कहते हैं। क्षयमास प्रायः  कार्तिकादि तीन मास में होता है। तथा जिस वर्ष में क्षय मास होता है उस वर्ष में दो अधिक मास १ तीन मास के पूर्व तथा १ बाद में होता है।<blockquote>मस्ये परिमियते इत मासः।(शब्दक०)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%83/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%81%E0%A4%83 शब्दकल्पद्रुम] पृ०३/७१८।</ref></blockquote>अर्थ-काल प्रमाण ही मास है। सौर मास, चन्द्र मास, नाक्षत्रमास और सावन मास – ये ही मास के चार भेद हैं ।
 
सिद्धान्तशिरोमणि के आधार पर अधिकमास एवं क्षयमास का लक्षण इस प्रकार है-<blockquote>असंक्रान्तिमासोऽधिमासः स्फुटं स्यात् द्विसंक्रान्ति क्षयाख्यः कदाचित्।क्षयः कार्तिकादित्रये नान्यतः स्यात्तदा वर्षमध्येऽधिमासद्वयं स्यात्॥ (सिद्धा०शिरो०)</blockquote>जिस चान्द्र मास में सूर्य की संक्रान्ति नहीं होती है तो उस मास की अधिकमास संज्ञा होती है। एवं जिस मास में अर्थात् चान्द्रमास में दो संक्रान्ति हो उस चान्द्रमास को क्षयमास कहते हैं। क्षयमास प्रायः  कार्तिकादि तीन मास में होता है। तथा जिस वर्ष में क्षय मास होता है उस वर्ष में दो अधिक मास १ तीन मास के पूर्व तथा १ बाद में होता है।<blockquote>मस्ये परिमियते इत मासः।(शब्दक०)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%83/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%81%E0%A4%83 शब्दकल्पद्रुम] पृ०३/७१८।</ref></blockquote>अर्थ-काल प्रमाण ही मास है। सौर मास, चन्द्र मास, नाक्षत्रमास और सावन मास – ये ही मास के चार भेद हैं ।
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== दिन ==
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सभी जानते हैं कि जब तक सूर्य आकाश में रहता है तब तक दिन रहता है अर्थात् सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय दिन कहलाता है। शास्त्रीय दृष्टि से समझें तो जब सूर्य उदयक्षितिज से ऊपर उठता है तो दिन रहता है और जब अस्त (पश्चिम) क्षितिज से नीचे उतरता है तब रात्रि कहलाती है। इसी तरह के दिन-रात को मिलाकर अहोरात्र बनता है। दिन विशेषतः चार प्रकार के होते हैं-
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# '''सौरदिन'''
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# '''चान्द्रदिन'''
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# '''सावनदिन'''
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# '''नाक्षत्रदिन'''
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=== सौरदिन ===
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=== चान्द्रदिन ===
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=== सावनदिन ===
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=== नाक्षत्रदिन ===
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== पक्ष ==
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== मास ==
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अभी पीछे हमने चार प्रकार के दिनों के बारे में जाना इसी प्रकार उन्हीं दिनों को यदि हम ३० से गुणा करें तो हमें मास का मान प्राप्त हो जाएगा क्योंकि अभी समाज में दो मासों का ही व्यवहार होता है। जिनमें सौर मास और चान्द्रमास ही प्रमुख हैं-
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# सौरमास
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# चान्द्रमास - शुक्लादि चान्द्रमास, कृष्णादि चान्द्रमास।
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# नाक्षत्रमास
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# सावनमास
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=== अधिमास एवं क्षयमास ===
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== वर्ष ==
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वस्तुतः वर्ष का तात्पर्य सौर वर्ष से है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि ज्योतिष शास्त्र में हम जब भी वर्ष, मास और दिन की चर्चा करेंगे तो वहां सामान्य रूप से वर्षसे तात्पर्य सौर वर्ष से तथा मास का तात्पर्य चान्द्रमास से व दिन से तात्पर्य सावन दिन से होता है फिर भी हम वर्ष को निम्न चार स्वरूपों में समझ सकते हैं-
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# '''सौरवर्ष'''
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# '''चान्द्रवर्ष'''
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# '''सावनवर्ष'''
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# '''बार्हस्पत्य वर्ष'''
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== अयन ==
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ज्योतिष शास्त्र में अयन का तात्पर्य गमन अथवा मार्ग से है। वस्तुतः एक सौरवर्ष में दो अयन होते हैं। जिनमें प्रथम सौम्यायन जिसको उत्तरायण तथा द्वितीय याम्यायन जिसे दक्षिणायन के नम से जानते हैं। अन्य शब्दों में कहें तो सूर्य का आभासिक उत्तर की ओर गमन उत्तरायन और दक्षिण की ओर गमन दक्षिणायन कहलाता है। अर्थात् मकर संक्रान्ति से मिथुनान्त तक सूर्य उत्तरायण रहता है तथा कर्क संक्रान्ति से धनुरान्त तक सूर्य दक्षिणायन में रहता है। अतः स्पष्ट है सूर्य एक राशि में एक मास रहता है तो मकरादि से मिथुनान्त तक ६ राशि अर्थात् ६ माह तक सूर्य उत्तरायण में रहता है तथा कर्कादि से धनुरान्त तक ६ माह सूर्य दक्षिणायन में रहता है। इसे हम निम्न तालिका के माध्यम से भी समझने का प्रयास करते हैं-
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{| class="wikitable"
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 +
!उत्तरयण
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!दक्षिणायन
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|-
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|मकर
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|धनु
 +
|-
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|कुम्भ
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|वृश्चिक
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|-
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|मीन
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|तुला
 +
|-
 +
|मेष
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|कन्या
 +
|-
 +
|वृष
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|सिंह
 +
|-
 +
|मिथुन
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|कर्क
 +
|}
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== गोल ==
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{| class="wikitable"
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|+
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!उत्तर गोल
 +
!दक्षिण गोल
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|-
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|मेष
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|मीन
 +
|-
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|वृष
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|कुम्भ
 +
|-
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|मिथुन
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|मकर
 +
|-
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|कर्क
 +
|धनु
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|-
 +
|सिंह
 +
|वृश्चिक
 +
|-
 +
|कन्या
 +
|तुला
 +
|}
    
== सावन मास ==
 
== सावन मास ==
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