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चिन्मय मिशन, एक वैश्विक आध्यात्मिक संस्था है जिसकी स्थापना स्वामी चिन्मयानंद ने की  
 
चिन्मय मिशन, एक वैश्विक आध्यात्मिक संस्था है जिसकी स्थापना स्वामी चिन्मयानंद ने की  
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थी | २५ देशों में इसके २५० केन्द्र हैं। पचास से भी अधिक वर्षों से चिन्मय मिशन, [[Vedanta_(वेदान्तः)|वेदांत]] के माध्यम से समग्र विकास और सुख को प्रोत्साहन देकर, मानवता की सेवा करता आ रहा है ।
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थी | २५ देशों में इसके २५० केन्द्र हैं। पचास से भी अधिक वर्षों से चिन्मय मिशन, [[Vedanta_([[Vedanta_(वेदान्तः)|वेदांत]]ः)|वेदांत]] के माध्यम से समग्र विकास और सुख को प्रोत्साहन देकर, मानवता की सेवा करता आ रहा है ।
    
साथ ही चिन्मय मिशन सांस्कृतिक मूल्यों को
 
साथ ही चिन्मय मिशन सांस्कृतिक मूल्यों को
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पुनर्जीवित कर रहा है...५००० से भी अधिक गाँवों में व्यापक रूप से समाज सेवा का कार्य कर रहा है । ८० स्कूलों और ७ कॉलेजों में शिक्षा प्रदान कर रहा है । बच्चोंं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक सभी आयु के लोगोंं को सृजनात्मक तरीके से [[Vedanta_(वेदान्तः)|वेदांत]] का ज्ञान दे रहा है ।
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पुनर्जीवित कर रहा है...५००० से भी अधिक गाँवों में व्यापक रूप से समाज सेवा का कार्य कर रहा है । ८० स्कूलों और ७ कॉलेजों में शिक्षा प्रदान कर रहा है । बच्चोंं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक सभी आयु के लोगोंं को सृजनात्मक तरीके से [[Vedanta_([[Vedanta_(वेदान्तः)|वेदांत]]ः)|वेदांत]] का ज्ञान दे रहा है ।
    
चिन्मय बाल विहार
 
चिन्मय बाल विहार
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आज की शिक्षा, सिर्फ़ जानकारी देती है,सक्रिय विवेक नहीं देती । ऐसी जानकारी,सिर्फ़ जीवन-निर्वाह के लिए धन अर्जित करने के उद्देश्य से तो उपयोगी हो सकती है लेकिन आंतरिक शक्ति के विकास के लिए प्रेरणा नहीं देती | (Information vs Inspiration).
 
आज की शिक्षा, सिर्फ़ जानकारी देती है,सक्रिय विवेक नहीं देती । ऐसी जानकारी,सिर्फ़ जीवन-निर्वाह के लिए धन अर्जित करने के उद्देश्य से तो उपयोगी हो सकती है लेकिन आंतरिक शक्ति के विकास के लिए प्रेरणा नहीं देती | (Information vs Inspiration).
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शिक्षा में स्पर्धा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए । उदाहरण के तौर पर, सदूगुरु कहते हैं मान लीजिए, आपमें और मुझमें तेज़ चलने की स्पर्धा होती है और आप दो कदम पीछे रह जाते हैं. लेकिन अगर आप इस स्पर्धा में नहीं होते तो शायद आप उड़ रहे होते । अर्थात्‌ आपमें उड़ने की जो संभावना है परंतु स्पर्धा के कारण वो खत्म हो गई होती । स्पर्धा को लेकर समाज में एक श्रांति फैली हुई है । स्पर्धा में तो केवल एक ही जीतता है और बाकी हार जाते हैं। बच्चोंं को स्पर्धा करना मत सिखाइए । इससे उनका विकास नहीं होता । ईशा होम स्कूल में बच्चोंं की परीक्षाएँ नहीं ली जातीं । लगातार प्रदर्शनों के माध्यम से उन्हें शिक्षा दी जाती है ।
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शिक्षा में स्पर्धा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए । उदाहरण के तौर पर, सदूगुरु कहते हैं मान लीजिए, आपमें और मुझमें तेज़ चलने की स्पर्धा होती है और आप दो कदम पीछे रह जाते हैं. लेकिन अगर आप इस स्पर्धा में नहीं होते तो संभवतः आप उड़ रहे होते । अर्थात्‌ आपमें उड़ने की जो संभावना है परंतु स्पर्धा के कारण वो खत्म हो गई होती । स्पर्धा को लेकर समाज में एक श्रांति फैली हुई है । स्पर्धा में तो केवल एक ही जीतता है और बाकी हार जाते हैं। बच्चोंं को स्पर्धा करना मत सिखाइए । इससे उनका विकास नहीं होता । ईशा होम स्कूल में बच्चोंं की परीक्षाएँ नहीं ली जातीं । लगातार प्रदर्शनों के माध्यम से उन्हें शिक्षा दी जाती है ।
    
ईशा होम स्कूल में सबको बराबर का दर्जा दिया जाता है । स्कूल के बगीचे का माली हो या प्रधानाध्यापक रसोइया हो या अध्यापक, सबका स्तर एक ही है न कोई ऊँचा है, न कोई नीचा ।
 
ईशा होम स्कूल में सबको बराबर का दर्जा दिया जाता है । स्कूल के बगीचे का माली हो या प्रधानाध्यापक रसोइया हो या अध्यापक, सबका स्तर एक ही है न कोई ऊँचा है, न कोई नीचा ।

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