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(क) संपूर्ण विकास ( इंटीग्रल डेवलपमेंट) : बच्चों के शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक और आध्यात्मिक व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए ।
 
(क) संपूर्ण विकास ( इंटीग्रल डेवलपमेंट) : बच्चों के शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक और आध्यात्मिक व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए ।
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(ख) भारतीय संस्कृति : बच्चों को भारत की समृद्ध संस्कृति का विस्तृत विवरण देने के लिए ।
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(ख) धार्मिक संस्कृति : बच्चों को भारत की समृद्ध संस्कृति का विस्तृत विवरण देने के लिए ।
    
(ग) राष्ट्र भक्ति : बच्चों में राष्ट्रीय स्वाभिमान जगाने और उन्हें नागरिकता के पाठ पढ़ाने के लिए ।
 
(ग) राष्ट्र भक्ति : बच्चों में राष्ट्रीय स्वाभिमान जगाने और उन्हें नागरिकता के पाठ पढ़ाने के लिए ।
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विवेकानन्द केन्द्र अरुण ज्योति :
 
विवेकानन्द केन्द्र अरुण ज्योति :
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उद्देश्य - भारतीय संस्कृति का विकास
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उद्देश्य - धार्मिक संस्कृति का विकास
    
गतिविधियाँ : अरुणाचल प्रदेश में अनौपचारिक शिक्षा मंच, स्वास्थ्य सेवा मंच, युवा मंच, महिला मंच, सांस्कृतिक मंच ।
 
गतिविधियाँ : अरुणाचल प्रदेश में अनौपचारिक शिक्षा मंच, स्वास्थ्य सेवा मंच, युवा मंच, महिला मंच, सांस्कृतिक मंच ।
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(अधिक. जानकारी के. लिए. देखें davcmc&net&in)
 
(अधिक. जानकारी के. लिए. देखें davcmc&net&in)
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गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना, ४ मार्च १९०२ को स्वामी श्रद्धानंदजी ने की थी, उनका उद्देश्य था, शिक्षा की प्राचीन भारतीय गुरुकुल पद्धति को पुनर्जीवित करना । यह स्थान, दिल्ली से लगभग २०० किलोमीटर दूर, हरिद्वार से ६ किलोमीटर की दूरी पर, गंगा के किनारे है ।
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गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना, ४ मार्च १९०२ को स्वामी श्रद्धानंदजी ने की थी, उनका उद्देश्य था, शिक्षा की प्राचीन धार्मिक गुरुकुल पद्धति को पुनर्जीवित करना । यह स्थान, दिल्ली से लगभग २०० किलोमीटर दूर, हरिद्वार से ६ किलोमीटर की दूरी पर, गंगा के किनारे है ।
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वैदिक साहित्य, भारतीय दर्शन, भारतीय संस्कृति, आधुनिक विज्ञान और शोध जैसे विषयों की शिक्षा प्रदान करके, इस संस्थान की स्थापना लॉर्ड मैकॉले की शिक्षा नीति के स्थान पर एक स्वदेशी विकल्प लाने के हेतु से की गयी थी । यह एक डीम्ड यूनिवर्सिटी है , जिसे पूर्णत: यू जी सी/भारत सरकार द्वारा फंड प्राप्त होता है ।
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वैदिक साहित्य, धार्मिक दर्शन, धार्मिक संस्कृति, आधुनिक विज्ञान और शोध जैसे विषयों की शिक्षा प्रदान करके, इस संस्थान की स्थापना लॉर्ड मैकॉले की शिक्षा नीति के स्थान पर एक स्वदेशी विकल्प लाने के हेतु से की गयी थी । यह एक डीम्ड यूनिवर्सिटी है , जिसे पूर्णत: यू जी सी/भारत सरकार द्वारा फंड प्राप्त होता है ।
    
(विस्तृत जानकारी के लिए देखें : gov&ac&in)
 
(विस्तृत जानकारी के लिए देखें : gov&ac&in)
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कार्य-पद्धति
 
कार्य-पद्धति
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गुरुकुल की दिनचर्या में प्रातः ५ बजे कक्षाएं प्रारंभ होती हैं जो रात्रि ९.३० तक चलती हैं । उत्तमभाई की योजना में ७२ कलाओं का ज्ञान ही यहाँ का पाठ्यक्रम है । आधुनिक भवन को सम्पूर्ण रूप से गौ के गोबर से लीपा गया है, जहाँ विद्यार्थी निवास व अध्ययन करते हैं । गुरुकुल की गौशाला में ५० से अधिक गिर-वंश कि गायें हैं । भोजन सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य ही होता है । सभी सामग्री जैविक खेती से उपजाई ही उपयोग में लायी जाती है । भोजन पकाने हेतु कंडे व लकड़ी का प्रयोग किया जाता है । किसी भी प्रकार के आधुनिक उपकरण, एलपीजी, या अन्य कोई इलेक्ट्रिक सामान यहाँ उपयोग में नहीं लाया जाता है । आहारशास्त्र व आरोग्यशास्त्र कि दृष्टि से बैठकर पीतल व कांस्य के बर्तनों में ही भोजन कराया जाता है । सभी व्यवस्थाएं भारतीयता यानि प्रकृति के कम से कम दोहन और सहस्तित्व पर आधारित ही हैं । स्थानाभाव के कारण इतना ही कहना उचित होगा कि यह गुरुकुल स्वयं देखकर आने का विषय है क्योंकि जो स्पष्टटा, आनन्द और अनुभूति गुरुकुल का प्रत्यक्ष अध्ययन करने से होगी वह किसी भी लेख से प्राप्त नहीं की जा सकती, वर्ष भर और प्रतिदिन देश-भर से अतिथिगण इस गुरुकुल को जानने हेतु यहाँ पधारते ही हैं ।
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गुरुकुल की दिनचर्या में प्रातः ५ बजे कक्षाएं प्रारंभ होती हैं जो रात्रि ९.३० तक चलती हैं । उत्तमभाई की योजना में ७२ कलाओं का ज्ञान ही यहाँ का पाठ्यक्रम है । आधुनिक भवन को सम्पूर्ण रूप से गौ के गोबर से लीपा गया है, जहाँ विद्यार्थी निवास व अध्ययन करते हैं । गुरुकुल की गौशाला में ५० से अधिक गिर-वंश कि गायें हैं । भोजन सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य ही होता है । सभी सामग्री जैविक खेती से उपजाई ही उपयोग में लायी जाती है । भोजन पकाने हेतु कंडे व लकड़ी का प्रयोग किया जाता है । किसी भी प्रकार के आधुनिक उपकरण, एलपीजी, या अन्य कोई इलेक्ट्रिक सामान यहाँ उपयोग में नहीं लाया जाता है । आहारशास्त्र व आरोग्यशास्त्र कि दृष्टि से बैठकर पीतल व कांस्य के बर्तनों में ही भोजन कराया जाता है । सभी व्यवस्थाएं धार्मिकता यानि प्रकृति के कम से कम दोहन और सहस्तित्व पर आधारित ही हैं । स्थानाभाव के कारण इतना ही कहना उचित होगा कि यह गुरुकुल स्वयं देखकर आने का विषय है क्योंकि जो स्पष्टटा, आनन्द और अनुभूति गुरुकुल का प्रत्यक्ष अध्ययन करने से होगी वह किसी भी लेख से प्राप्त नहीं की जा सकती, वर्ष भर और प्रतिदिन देश-भर से अतिथिगण इस गुरुकुल को जानने हेतु यहाँ पधारते ही हैं ।
    
भविष्य की कार्ययोजना में वर्तमान छात्रों को स्वरोजगार, व्यवसाय कि दृष्टि से व्यावहारिक प्रशिक्षण तो है ही, गुरुकुल में और अधिक संख्या में छात्र अध्ययन करें इस दृष्टि से सभी व्यवस्थाओं का विस्तारीकरण भी चल रहा है । साथ ही देश भर में ऐसे अन्य संस्थान शुरू करने हेतु यह गुरुकुल हर संभावित सहायता को तत्पर है । अतः पूरे देश में नए गुरुकुल शुरू करने हेतु कार्यकर्ता देश-भर में प्रवास करते हुए प्रचार और अन्य प्रयास कर रहे हैं। गुरुकुल का अगला प्रयास आर्यगप्राम की योजना है। आर्यग्राम कुछ एकड़ स्थान पर बसाया हुआ एक छोटा सा ग्राम होगा जिसमें चारों वर्ण के लोग पूर्णतः प्रकृति के सानिध्य में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व से रहेंगे । मुख्य केंद्र गुरुकुल होगा, ग्राम के सभी संसाधन नैसर्गिक हों, कृषि मुख्य व्यवसाय हो, किसी भी वस्तु के लिए दूसरों पर निर्भरता न हो, ऐसी योजना है और इस प्रकल्प की सारी तैयारियां लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। भूमि के अनेक विकल्पों में से किसी एक उपयुक्त का चुनाव शेष है । इसका एक उद्देश्य यह है कि जो शिक्षा गुरुकुल में दी जाती है, उसका जीवन में व्यवहार्य हो, भारत के ग्रामों के समक्ष एक आदर्श उद्हारण प्रस्तुत किया जा सके ।
 
भविष्य की कार्ययोजना में वर्तमान छात्रों को स्वरोजगार, व्यवसाय कि दृष्टि से व्यावहारिक प्रशिक्षण तो है ही, गुरुकुल में और अधिक संख्या में छात्र अध्ययन करें इस दृष्टि से सभी व्यवस्थाओं का विस्तारीकरण भी चल रहा है । साथ ही देश भर में ऐसे अन्य संस्थान शुरू करने हेतु यह गुरुकुल हर संभावित सहायता को तत्पर है । अतः पूरे देश में नए गुरुकुल शुरू करने हेतु कार्यकर्ता देश-भर में प्रवास करते हुए प्रचार और अन्य प्रयास कर रहे हैं। गुरुकुल का अगला प्रयास आर्यगप्राम की योजना है। आर्यग्राम कुछ एकड़ स्थान पर बसाया हुआ एक छोटा सा ग्राम होगा जिसमें चारों वर्ण के लोग पूर्णतः प्रकृति के सानिध्य में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व से रहेंगे । मुख्य केंद्र गुरुकुल होगा, ग्राम के सभी संसाधन नैसर्गिक हों, कृषि मुख्य व्यवसाय हो, किसी भी वस्तु के लिए दूसरों पर निर्भरता न हो, ऐसी योजना है और इस प्रकल्प की सारी तैयारियां लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। भूमि के अनेक विकल्पों में से किसी एक उपयुक्त का चुनाव शेष है । इसका एक उद्देश्य यह है कि जो शिक्षा गुरुकुल में दी जाती है, उसका जीवन में व्यवहार्य हो, भारत के ग्रामों के समक्ष एक आदर्श उद्हारण प्रस्तुत किया जा सके ।
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११. गृहविद्यालय (होम स्कूलिंग)
 
११. गृहविद्यालय (होम स्कूलिंग)
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यह संज्ञा अमेरिका से आयात हुई है इसलिये उसे होम स्कूलिंग के नाम से ही जाना जाता है । परन्तु उसका भारतीय स्वरूप धीरे धीरे बन रहा है |
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यह संज्ञा अमेरिका से आयात हुई है इसलिये उसे होम स्कूलिंग के नाम से ही जाना जाता है । परन्तु उसका धार्मिक स्वरूप धीरे धीरे बन रहा है |
    
भारत में इसकी मूल प्रेरणा अपने बच्चों को प्रचलित शिक्षा पद्धति के दृूषणों से बचाने की इच्छा में है । देश में हजारों की संख्या में ऐसे परिवार हैं जो अपने बच्चों को मुख्य धारा की शिक्षा देना नहीं चाहते । इसके अनेक कारण हैं । एक कारण यह है कि मुख्य धारा की शिक्षा अत्यन्त कृत्रिम है और महानगरों में तो संस्कारशून्य है । दूसरा कारण यह है कि मुख्य धारा की शिक्षा में अनेक ऐसे विषय हैं जो मातापिता अपने बालक के लिये आवश्यक नहीं समझते, साथ ही आवश्यक हैं वे विषय पढाये नहीं जाते |
 
भारत में इसकी मूल प्रेरणा अपने बच्चों को प्रचलित शिक्षा पद्धति के दृूषणों से बचाने की इच्छा में है । देश में हजारों की संख्या में ऐसे परिवार हैं जो अपने बच्चों को मुख्य धारा की शिक्षा देना नहीं चाहते । इसके अनेक कारण हैं । एक कारण यह है कि मुख्य धारा की शिक्षा अत्यन्त कृत्रिम है और महानगरों में तो संस्कारशून्य है । दूसरा कारण यह है कि मुख्य धारा की शिक्षा में अनेक ऐसे विषय हैं जो मातापिता अपने बालक के लिये आवश्यक नहीं समझते, साथ ही आवश्यक हैं वे विषय पढाये नहीं जाते |
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४. आगे की शिक्षा गृह के समान गुरुकुल में हो ऐसी व्यवस्था का विचार भी किया जा सकता है ।
 
४. आगे की शिक्षा गृह के समान गुरुकुल में हो ऐसी व्यवस्था का विचार भी किया जा सकता है ।
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५. भारत में आज मुख्य धारा के पर्याय की अनिवार्य आवश्यकता है. ।. वर्तमान होम. स्कूलिंग यदि अमेरिकन मोडेल को छोडकर भारतीय मोडेल विकसित करते हैं तो वह शिक्षा की बडी सेवा होगी |
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५. भारत में आज मुख्य धारा के पर्याय की अनिवार्य आवश्यकता है. ।. वर्तमान होम. स्कूलिंग यदि अमेरिकन मोडेल को छोडकर धार्मिक मोडेल विकसित करते हैं तो वह शिक्षा की बडी सेवा होगी |
    
६. ऐसा करने के लिये असोसिएशन या संगठन की आवश्यकता रहेगी । पाठ्यक्रमों और पाठन पद्धति के लिये भी सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता रहेगी ।
 
६. ऐसा करने के लिये असोसिएशन या संगठन की आवश्यकता रहेगी । पाठ्यक्रमों और पाठन पद्धति के लिये भी सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता रहेगी ।

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