Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "शायद" to "संभवतः"
Line 24: Line 24:  
उदाहरण के तौर पर:  
 
उदाहरण के तौर पर:  
   −
धार्मिक जीवनशैली के कुछ लक्षण इस प्रकार बताए जा सकते हैं। १. मातापिता का सम्मान करना। २. परिवार के लिए कष्ट सहना, त्याग करना। ३. व्यक्तिगत जीवन में सादगी, सेवा, संयम को अहम स्थान देना। ४. पहले अन्य के बारे में सोचना, बाद में अपने बारे में। ५. अपने सुख के लिए प्रकृति का शोषण नहीं करना। ६. हिंसा नहीं करना। ७. प्राणियों की सेवा करना एवं उनकी रक्षा करना। ८. जड़चेतन सभी में परमात्मा का वास है वह जानना। ९. समाज के प्रति अपना ऋण चुकाना। १०. समग्र विश्व को अपना परिवार समझना। ११. देशद्रोह नहीं करना। १२. स्त्रियों का आदर करना।
+
धार्मिक जीवनशैली के कुछ लक्षण इस प्रकार बताए जा सकते हैं। १. मातापिता का सम्मान करना। २. परिवार के लिए कष्ट सहना, त्याग करना। ३. व्यक्तिगत जीवन में सादगी, सेवा, संयम को अहम स्थान देना। ४. पहले अन्य के बारे में सोचना, बाद में अपने बारे में। ५. अपने सुख के लिए प्रकृति का शोषण नहीं करना। ६. हिंसा नहीं करना। ७. प्राणियों की सेवा करना एवं उनकी रक्षा करना। ८. जड़़चेतन सभी में परमात्मा का वास है वह जानना। ९. समाज के प्रति अपना ऋण चुकाना। १०. समग्र विश्व को अपना परिवार समझना। ११. देशद्रोह नहीं करना। १२. स्त्रियों का आदर करना।
    
इस सूची को और भी बढ़ाया जा सकता है।
 
इस सूची को और भी बढ़ाया जा सकता है।
Line 55: Line 55:     
=== अपने देश का परिचय प्राप्त करना ===
 
=== अपने देश का परिचय प्राप्त करना ===
आजकल ऐसा बहुत देखने को मिलता है कि भारत के लोगों को ही भारत का पूरा परिचय नहीं होता है। यह मात्र भौगोलिक या प्राकृतिक परिचय की बात नहीं है। भारत का इतिहास, ज्ञानविज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ, भारत का सामर्थ्य, भारत की समृद्धि, भारत की विशेषता-इन सबकी सही, सुयोग्य एवं पर्याप्त सूचना भारत के प्रत्येक नागरिक को होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त धार्मिक होने के नाते चाहे जितनी प्रगति की हो परंतु हम एक तरह की हीनताग्रंथि से पीड़ित रहते हैं। छात्रों के मन में ऐसा हीनताबोध न जगे एवं यदि हो तो यह दूर हो जाए अतः भारत के बारे में सही जानकारी देना एवं छात्रों के मन में गौरव जगाना आवश्यक है।
+
आजकल ऐसा बहुत देखने को मिलता है कि भारत के लोगोंं को ही भारत का पूरा परिचय नहीं होता है। यह मात्र भौगोलिक या प्राकृतिक परिचय की बात नहीं है। भारत का इतिहास, ज्ञानविज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ, भारत का सामर्थ्य, भारत की समृद्धि, भारत की विशेषता-इन सबकी सही, सुयोग्य एवं पर्याप्त सूचना भारत के प्रत्येक नागरिक को होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त धार्मिक होने के नाते चाहे जितनी प्रगति की हो परंतु हम एक तरह की हीनताग्रंथि से पीड़ित रहते हैं। छात्रों के मन में ऐसा हीनताबोध न जगे एवं यदि हो तो यह दूर हो जाए अतः भारत के बारे में सही जानकारी देना एवं छात्रों के मन में गौरव जगाना आवश्यक है।
    
=== पर्यावरण की सुरक्षा करना ===
 
=== पर्यावरण की सुरक्षा करना ===
शायद इस मुद्दे की विशेष समझ देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। पर्यावरण का प्रदूषण आज वैश्विक समस्या बन गया है। जमीन, पानी एवं हवा का प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मानसिक या वैचारिक प्रदूषण एव उसके कारण पैदा होने वाली स्वास्थ्य एवं संस्कृति विषयक गंभीर समस्याओं का हम निरंतर सामना कर रहे हैं। इसका उपाय सर्वस्तर पर करने की आवश्यकता है। सर्वस्तर में विद्यालय का समावेश भी हो हो जाता है। पर्यावरण सुरक्षा के क्रियात्मक उपाय विद्यालय में करना इस पाठ्यक्रम में अभिप्रेत हैं।
+
संभवतः इस मुद्दे की विशेष समझ देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। पर्यावरण का प्रदूषण आज वैश्विक समस्या बन गया है। जमीन, पानी एवं हवा का प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मानसिक या वैचारिक प्रदूषण एव उसके कारण पैदा होने वाली स्वास्थ्य एवं संस्कृति विषयक गंभीर समस्याओं का हम निरंतर सामना कर रहे हैं। इसका उपाय सर्वस्तर पर करने की आवश्यकता है। सर्वस्तर में विद्यालय का समावेश भी हो हो जाता है। पर्यावरण सुरक्षा के क्रियात्मक उपाय विद्यालय में करना इस पाठ्यक्रम में अभिप्रेत हैं।
    
=== प्रकृति का परिचय प्राप्त करना ===
 
=== प्रकृति का परिचय प्राप्त करना ===
Line 74: Line 74:  
समाजव्यवस्था की मूल ईकाई परिवार है। आज समग्र विश्व मनोवैज्ञानिक समस्याओं एवं उसके कारण निर्मित हिंसा, बलात्कार आदि से त्रस्त हो गया है। उसके उपाय के रूप में धार्मिक समाजव्यवस्था की ओर आशाभरी निगाहों से विश्व देख रहा है। हमें भी अपनी परिवार व्यवस्था का मूल्य जानना चाहिए एवं उसकी संभाल करना चाहिए। इस दृष्टि से तीन बातें अहम हैं:
 
समाजव्यवस्था की मूल ईकाई परिवार है। आज समग्र विश्व मनोवैज्ञानिक समस्याओं एवं उसके कारण निर्मित हिंसा, बलात्कार आदि से त्रस्त हो गया है। उसके उपाय के रूप में धार्मिक समाजव्यवस्था की ओर आशाभरी निगाहों से विश्व देख रहा है। हमें भी अपनी परिवार व्यवस्था का मूल्य जानना चाहिए एवं उसकी संभाल करना चाहिए। इस दृष्टि से तीन बातें अहम हैं:
 
# परिवार भावना : परिवार भावना अर्थात् आत्मीयता। आत्मीयता अर्थात्अ पनापन। जहां अपनापन होता है वहीं प्रेम होता है, समर्पण होता है। एकदूसरे के सुखदुःख में लोग सहभागी बनते हैं। एकदूसरे की सहायता करते हैं। ऐसी परिवार भावना का विकास छात्रों में बचपन से ही करना चाहिए।
 
# परिवार भावना : परिवार भावना अर्थात् आत्मीयता। आत्मीयता अर्थात्अ पनापन। जहां अपनापन होता है वहीं प्रेम होता है, समर्पण होता है। एकदूसरे के सुखदुःख में लोग सहभागी बनते हैं। एकदूसरे की सहायता करते हैं। ऐसी परिवार भावना का विकास छात्रों में बचपन से ही करना चाहिए।
# परिवार की व्यवस्था : परिवार यदि साथ में रहता है तो साथ मिलकर ही उन्हें सब काम करने होते हैं। ऐसे कार्यों को परिवार के सभी लोगों को मिलजुलकर करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर भोजन बनाना, घर की स्वच्छता करना, बीमार की परवरिश करना, अतिथिसेवा करना इत्यादि । घर के ऐसे सभी काम घर के सभी सदस्यों को आना चाहिए, एवं आवश्यकता पड़ने पर उन्हें करने के लिए तैयार भी रहना चाहिए। हमें यह भी ख्याल रखना आवश्यक है कि प्रत्येक बालिका को बड़ी होकर पत्नी, गृहिणी एवं माता बनना है। प्रत्येक बालक को बड़ा होकर पति, गृहस्थ एवं पिता बनना है। दोनों को मिलकर घर चलाना, अपने सामाजिक दायित्व को निभाना एवं नई पीढ़ी को भी तैयार करना होता है। इस दृष्टि से वर्तमान समय में परिवार व्यवस्था का अपनी आयु के अनुरूप क्रियात्मक अनुभव प्राप्त होना आवश्यक है।
+
# परिवार की व्यवस्था : परिवार यदि साथ में रहता है तो साथ मिलकर ही उन्हें सब काम करने होते हैं। ऐसे कार्यों को परिवार के सभी लोगोंं को मिलजुलकर करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर भोजन बनाना, घर की स्वच्छता करना, बीमार की परवरिश करना, अतिथिसेवा करना इत्यादि । घर के ऐसे सभी काम घर के सभी सदस्यों को आना चाहिए, एवं आवश्यकता पड़ने पर उन्हें करने के लिए तैयार भी रहना चाहिए। हमें यह भी ख्याल रखना आवश्यक है कि प्रत्येक बालिका को बड़ी होकर पत्नी, गृहिणी एवं माता बनना है। प्रत्येक बालक को बड़ा होकर पति, गृहस्थ एवं पिता बनना है। दोनों को मिलकर घर चलाना, अपने सामाजिक दायित्व को निभाना एवं नई पीढ़ी को भी तैयार करना होता है। इस दृष्टि से वर्तमान समय में परिवार व्यवस्था का अपनी आयु के अनुरूप क्रियात्मक अनुभव प्राप्त होना आवश्यक है।
# परिवार की परंपरा एवं परिचय : हम कई लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि हमारे घर में तो ऐसा होता है। या ऐसा नहीं होता। यह वंशपरंपरा से हमारे परिवारों में विरासत के रूप में उतरता है। कुछ रिवाज, कुछ पद्धतियाँ, कुछ कौशल (रोग, रंग, रूप, ढाँचा इत्यादि भी) वंशानुगत होते हैं। इनमें से अच्छी बातों को सीख लेना चाहिए, उन्हें और अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। बुरी बातों को छोड़ देना वर्तमान पीढ़ी को करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पारिवारिक संबंध भी जानने का विषय है। अतः इन बातों का भी पाठ्यक्रम में समावेश होना चाहिए। यह सब जानना, समझा, मानना एवं करना ही परिवार की सेवा है।  
+
# परिवार की परंपरा एवं परिचय : हम कई लोगोंं को कहते हुए सुनते हैं कि हमारे घर में तो ऐसा होता है। या ऐसा नहीं होता। यह वंशपरंपरा से हमारे परिवारों में विरासत के रूप में उतरता है। कुछ रिवाज, कुछ पद्धतियाँ, कुछ कौशल (रोग, रंग, रूप, ढाँचा इत्यादि भी) वंशानुगत होते हैं। इनमें से अच्छी बातों को सीख लेना चाहिए, उन्हें और अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। बुरी बातों को छोड़ देना वर्तमान पीढ़ी को करना चाहिए। इसके अतिरिक्त पारिवारिक संबंध भी जानने का विषय है। अतः इन बातों का भी पाठ्यक्रम में समावेश होना चाहिए। यह सब जानना, समझा, मानना एवं करना ही परिवार की सेवा है।  
    
=== वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को आत्मसात करना ===
 
=== वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को आत्मसात करना ===
Line 89: Line 89:     
==== चित्रप्रदर्शन ====
 
==== चित्रप्रदर्शन ====
इसी विषय में संबंधित सुंदर, अर्थपूर्ण चित्रों का संग्रह विद्यालय में होना चाहिए। समय समय पर ऐसे चित्रों का प्रदर्शन भी होना चाहिए। पुस्तकालय में बैठकर चित्र देखने के लिए अलग से समय की व्यवस्था करना चाहिए। यहाँ चित्रकथाएँ भी बहुत उपयोगी सिद्ध होती हैं।
+
इसी विषय में संबंधित सुंदर, अर्थपूर्ण चित्रों का संग्रह विद्यालय में होना चाहिए। समय समय पर ऐसे चित्रों का प्रदर्शन भी होना चाहिए। पुस्तकालय में बैठकर चित्र देखने के लिए अलग से समय की व्यवस्था करना चाहिए। यहाँ चित्रकथाएँँ भी बहुत उपयोगी सिद्ध होती हैं।
    
==== चित्रपुस्तिकाएँ तैयार करना ====
 
==== चित्रपुस्तिकाएँ तैयार करना ====
Line 129: Line 129:  
### सूती गणवेश पहनें।
 
### सूती गणवेश पहनें।
 
### कूड़े के योग्य निकाल की व्यवस्था करें। सिन्थेटिक एवं प्राकृतिक कूडे को अलग अलग रखें।
 
### कूड़े के योग्य निकाल की व्यवस्था करें। सिन्थेटिक एवं प्राकृतिक कूडे को अलग अलग रखें।
### विद्यालय के भवनों की रचना इस तरह से करवाएँ कि कूलर, पंखा इत्यादि का कम से कम उपयोग करना पड़े या न करना पडे।
+
### विद्यालय के भवनों की रचना इस तरह से करवाएँ कि कूलर, पंखा इत्यादि का कम से कम उपयोग करना पड़े या न करना पड़े।
 
### भूमिगत पानी के निकास की व्यवस्था (अन्डरग्राउन्ड ड्रेनेज) हो सके तो न करके सारे गंदे पानी का उपयोग हो सके ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।
 
### भूमिगत पानी के निकास की व्यवस्था (अन्डरग्राउन्ड ड्रेनेज) हो सके तो न करके सारे गंदे पानी का उपयोग हो सके ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।
 
### वर्षा के पानी के संग्रह की व्यवस्था करनी चाहिए।
 
### वर्षा के पानी के संग्रह की व्यवस्था करनी चाहिए।

Navigation menu