Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "हमेशा" to "सदा"
Line 74: Line 74:  
# सोना
 
# सोना
 
## हाथपैर समेटकर या बकुची बांधकर कभी भी नहीं सोना चाहिए।
 
## हाथपैर समेटकर या बकुची बांधकर कभी भी नहीं सोना चाहिए।
## हमेशा बाई करवट ही सोएँ।
+
## सदा बाई करवट ही सोएँ।
 
## सीधे (पीठ के बल), उल्टे (पेट के बल) कभी भी न सोएँ।
 
## सीधे (पीठ के बल), उल्टे (पेट के बल) कभी भी न सोएँ।
 
## मुँह खुला रखकर न सोएँ।
 
## मुँह खुला रखकर न सोएँ।
Line 143: Line 143:  
# पटकना और झेलना: उछालना व झेलना, फैंकना व झेलना। इन तीनों में दो दो क्रियाएँ एक साथ होती है। दीवार पर गेंद को टकराकर रीबाउन्ड होने पर झेलना, जमीन पर गेंद पटककर रीबाउन्ड होने पर झेलना एवं ऊँचा उछालकर नीचे आने पर गेंद को झेलना यह कौशल व अंदाज करने की क्षमता का दर्शक है। यद्यपि जैसे छोटों को सुनसुनकर बोलना व देख देखकर करना आ जाता है उसी तरह खेलते खेलते, अभ्यास करते करते ये सभी कौशल प्राप्त हो जाते हैं। केवल उन्हें यह सब करने के लिए एक मौके की आवश्यकता है।
 
# पटकना और झेलना: उछालना व झेलना, फैंकना व झेलना। इन तीनों में दो दो क्रियाएँ एक साथ होती है। दीवार पर गेंद को टकराकर रीबाउन्ड होने पर झेलना, जमीन पर गेंद पटककर रीबाउन्ड होने पर झेलना एवं ऊँचा उछालकर नीचे आने पर गेंद को झेलना यह कौशल व अंदाज करने की क्षमता का दर्शक है। यद्यपि जैसे छोटों को सुनसुनकर बोलना व देख देखकर करना आ जाता है उसी तरह खेलते खेलते, अभ्यास करते करते ये सभी कौशल प्राप्त हो जाते हैं। केवल उन्हें यह सब करने के लिए एक मौके की आवश्यकता है।
 
# ढकेलना: ढकेलना का एक प्रकार गोल वस्तु को ढ़नगाने का है। एवं दूसरा प्रकार सपाट वस्तु को ढकेलने का है। ढकेलना अर्थात् वस्तु को पीछे से जोर लगाकर आगे की ओर सरकना।
 
# ढकेलना: ढकेलना का एक प्रकार गोल वस्तु को ढ़नगाने का है। एवं दूसरा प्रकार सपाट वस्तु को ढकेलने का है। ढकेलना अर्थात् वस्तु को पीछे से जोर लगाकर आगे की ओर सरकना।
# घसीटना: किसी वस्तु को रस्सी से बाँधकर या पकड़कर अपने पीछे पीछे खींचना घसीटना कहलाता है। घसीटने व खींचने में फर्क यह है कि घसीटने में वस्तु हमेशा जमीन के संपर्क में रहती है, जबकि खींचने में वस्तु का जमीन से स्पर्श होना आवश्यक नहीं है।
+
# घसीटना: किसी वस्तु को रस्सी से बाँधकर या पकड़कर अपने पीछे पीछे खींचना घसीटना कहलाता है। घसीटने व खींचने में फर्क यह है कि घसीटने में वस्तु सदा जमीन के संपर्क में रहती है, जबकि खींचने में वस्तु का जमीन से स्पर्श होना आवश्यक नहीं है।
 
# ठोकर मारना: पैरों से किसी वस्तु को दूर फेंकना ठोकर मारना कहलाता है। गेंद, पत्थर या ऐसी किसी भी वस्तु को ठोकर मारकर दूर फैंकना भी एक अहम कौशल है। ठोकर मारते समय वस्तु का वजन, कितनी दूर फैंकना है, उसका अंदाज, उसकी दिशा तथा उसके अनुसार पैरों की स्थिति आदि का एकसाथ ही ख्याल रखना पड़ता है। परंतु अभ्यास से ये सभी बातें आने लगती हैं।
 
# ठोकर मारना: पैरों से किसी वस्तु को दूर फेंकना ठोकर मारना कहलाता है। गेंद, पत्थर या ऐसी किसी भी वस्तु को ठोकर मारकर दूर फैंकना भी एक अहम कौशल है। ठोकर मारते समय वस्तु का वजन, कितनी दूर फैंकना है, उसका अंदाज, उसकी दिशा तथा उसके अनुसार पैरों की स्थिति आदि का एकसाथ ही ख्याल रखना पड़ता है। परंतु अभ्यास से ये सभी बातें आने लगती हैं।
 
# कूदना  
 
# कूदना  
Line 224: Line 224:  
# कपड़े व जूते
 
# कपड़े व जूते
 
## कपड़े ढीले व सूती होने चाहिए।
 
## कपड़े ढीले व सूती होने चाहिए।
## कपड़े हमेशा धुले हुए व स्वच्छ होने चाहिए।
+
## कपड़े सदा धुले हुए व स्वच्छ होने चाहिए।
 
## सर्दियों में सिर, कान, सीना, घुटना, पैर अच्छी तरह से ढंके रहे ऐसे व गर्मी में पतले, कम व ढीले कपड़े पहनने चाहिए।
 
## सर्दियों में सिर, कान, सीना, घुटना, पैर अच्छी तरह से ढंके रहे ऐसे व गर्मी में पतले, कम व ढीले कपड़े पहनने चाहिए।
## जुर्राबें हमेशा सूती व जूते चप्पल चमड़े के होने चाहिए।
+
## जुर्राबें सदा सूती व जूते चप्पल चमड़े के होने चाहिए।
## जुर्राबें हमेशा पहनकर न रखें।  
+
## जुर्राबें सदा पहनकर न रखें।  
 
## जो कपड़े सारा दिन पहने हों उन्हें पहन कर सोना नहीं चाहिए। एवं रात को सोते समय जो कपड़े पहने हों उन्हें दिन में नहीं पहनना चाहिए।
 
## जो कपड़े सारा दिन पहने हों उन्हें पहन कर सोना नहीं चाहिए। एवं रात को सोते समय जो कपड़े पहने हों उन्हें दिन में नहीं पहनना चाहिए।
 
## सुबह स्नान के बाद धुले हुए कपड़े ही पहनने चाहिए।
 
## सुबह स्नान के बाद धुले हुए कपड़े ही पहनने चाहिए।
## जुर्राबें भी हमेशा धुली हुई ही पहनना चाहिए।
+
## जुर्राबें भी सदा धुली हुई ही पहनना चाहिए।
 
# शुद्धिक्रिया
 
# शुद्धिक्रिया
 
## कुल्ला करना : मुँह में पानी भरकर खूब हिलाकर उसे बाहर निकाल देना चाहिए। सुबह उठकर दांत साफ करके कुछ भी खाने के बाद बिना भूले कुल्ला करना चाहिए।
 
## कुल्ला करना : मुँह में पानी भरकर खूब हिलाकर उसे बाहर निकाल देना चाहिए। सुबह उठकर दांत साफ करके कुछ भी खाने के बाद बिना भूले कुल्ला करना चाहिए।
 
## दांत साफ करना : दातून, दंतमंजन या नमक से अंगुली का उपयोग करके दांत साफ करना चाहिए।
 
## दांत साफ करना : दातून, दंतमंजन या नमक से अंगुली का उपयोग करके दांत साफ करना चाहिए।
## नाक, आँख व कान साफ करना : हमेशा छींककर, पानी से, अंगुली से नाक, कान व आँखें साफ करना व रखना चाहिए।
+
## नाक, आँख व कान साफ करना : सदा छींककर, पानी से, अंगुली से नाक, कान व आँखें साफ करना व रखना चाहिए।
 
## स्नान : ताजे स्वच्छ पानी से, रगड़-रगड़ कर शरीर को साफ करना अर्थात् स्नान करना। साबुन का उपयोग अनिवार्य नहीं है। खादी के छोटे टुकड़े से पूरा शरीर रगड़कर साफ किया जाए तो शरीर स्वच्छ हो जाता है। इसके बाद तौलिए से पूरा शरीर पोंछ डालना चाहिए। गीले शरीर में हवा नहीं लगने देना चाहिए। सर्दियों में गर्म पानी से व गर्मियों में ठण्डे पानी से स्नान करना चाहिए।
 
## स्नान : ताजे स्वच्छ पानी से, रगड़-रगड़ कर शरीर को साफ करना अर्थात् स्नान करना। साबुन का उपयोग अनिवार्य नहीं है। खादी के छोटे टुकड़े से पूरा शरीर रगड़कर साफ किया जाए तो शरीर स्वच्छ हो जाता है। इसके बाद तौलिए से पूरा शरीर पोंछ डालना चाहिए। गीले शरीर में हवा नहीं लगने देना चाहिए। सर्दियों में गर्म पानी से व गर्मियों में ठण्डे पानी से स्नान करना चाहिए।
 
## मालिश : स्नान से पूर्व तिल या सरसों के तेल से पूरे शरीर पर अच्छी तरह मालिश करना चाहिए। मालिश करने के थोड़ी देर बार ही स्नान करना चाहिए।
 
## मालिश : स्नान से पूर्व तिल या सरसों के तेल से पूरे शरीर पर अच्छी तरह मालिश करना चाहिए। मालिश करने के थोड़ी देर बार ही स्नान करना चाहिए।

Navigation menu