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अनेक लोगों की चर्चा सुनते है तो ध्यान में आता है कि कुछ इन बातों का प्रचलन है....
 
अनेक लोगों की चर्चा सुनते है तो ध्यान में आता है कि कुछ इन बातों का प्रचलन है....
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सरकारी तंत्र में पढ़ने की, निरीक्षण करने की, परीक्षा की, प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था होती है,
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सरकारी तंत्र में पढ़ने की, निरीक्षण करने की, परीक्षा की, प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था होती है, पुस्तके, गणवेश आदि भी दिए जाते है, मध्याहन भोजन योजना भी चलती है परन्तु तंत्र  इतना व्यक्तिहीन है कि पढ़ने पढ़ाने का काम ही नहीं चलता है। तर्क यह दिया जाता है की सरकारी विद्यालयों में झुग्गी झोंपड़ियों के बच्चे ही आतें हैं इसलिए वहां पढाई अच्छी नहीं होती। परन्तु यह तर्क सही नहीं है। वे भी पढ़ सकते है, अच्छा पढ़ सकते है परन्तु पढाने की कोई परवाह नहीं करता। सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के नहीं पढ़ाने के कारनामे  इतने अधिक प्रसिद्ध है कि उनका वर्णन करने की आवश्यकता ही नहीं।
    
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