Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 274: Line 274:  
अतः मन की शिक्षा का महत्त्व इस सन्दर्भ में समझने की और उसका स्वीकार करने की प्रथम आवश्यकता है । मन की शिक्षा के विषय में इस प्रकार विचार किया जा सकता है
 
अतः मन की शिक्षा का महत्त्व इस सन्दर्भ में समझने की और उसका स्वीकार करने की प्रथम आवश्यकता है । मन की शिक्षा के विषय में इस प्रकार विचार किया जा सकता है
   −
१, सबसे प्रथम आवश्यकता है मन को शान्त करने की । चारों ओर से मन को उत्तेजित, उद्देलित और व्यथित करने वाली बातों का इतना भीषण आक्रमण हो रहा होता है कि मन कभी शान्त हो ही नहीं सकता । चूल्हे पर रखा पानी जैसे खौलता ही रहता है वैसे ही मन हमेशा खौलता ही रहता है ।
+
सबसे प्रथम आवश्यकता है मन को शान्त करने की । चारों ओर से मन को उत्तेजित, उद्देलित और व्यथित करने वाली बातों का इतना भीषण आक्रमण हो रहा होता है कि मन कभी शान्त हो ही नहीं सकता । चूल्हे पर रखा पानी जैसे खौलता ही रहता है वैसे ही मन हमेशा खौलता ही रहता है ।
   −
2. इसे शान्त बनाने के उपायों का प्रारम्भ अनिवार्य रूप से घर से ही होगा । वह भी आहार से । आहार का मन पर बहुत गहरा असर होता है । मन को शान्त बनाने हेतु सात्ततिक आहार आवश्यक है । पौष्टिक आहार से शरीर पुष्ट होता है, सात्विक आहार से मन अच्छा बनता है। वास्तव में अध्ययन अध्यापन करने वालों को सबसे पहले होटेल का खाना बन्द करना चाहिये । विद्यार्थी घर में भी सात्त्विक आहार लें, विद्यालय में भी घर का भोजन लायें, विद्यालय के समारोहों में भी होटेल का अन्न न खाया जाय
+
इसे शान्त बनाने के उपायों का प्रारम्भ अनिवार्य रूप से घर से ही होगा । वह भी आहार से । आहार का मन पर बहुत गहरा असर होता है । मन को शान्त बनाने हेतु सात्ततिक आहार आवश्यक है । पौष्टिक आहार से शरीर पुष्ट होता है, सात्विक आहार से मन अच्छा बनता है। वास्तव में अध्ययन अध्यापन करने वालों को सबसे पहले होटेल का खाना बन्द करना चाहिये । विद्यार्थी घर में भी सात्त्विक आहार लें, विद्यालय में भी घर का भोजन लायें, विद्यालय के समारोहों में भी होटेल का अन्न न खाया जाय इसका आग्रह होना चाहिये । सात्त्विक आहार का चाहिये । विद्यालय में, कक्षाकक्ष
   −
............. page-45 .............
+
वर्णन इस ग्रन्थ में अन्यत्र है इसलिये यहाँ विशेष निरूपण करने की आवश्यकता नहीं है ।
   −
पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार
+
३... विद्यार्थियों को टीवी और मोबाइल का निषेध करने की आवश्यकता है । यह निषेध महाविद्यालयों तक
   −
इसका आग्रह होना चाहिये । सात्त्विक आहार का चाहिये । विद्यालय में, कक्षाकक्ष
+
होना चाहिये । यह निषेध स्वयंस्वीकृत बने ऐसी शिक्षा भी देनी चाहिये । हमेशा के लिये निर्बन्ध थोपे  ही जायें और विद्यार्थी मौका मिलते ही उनका उल्लंघन  करने की ताक में ही रहें ऐसी स्थिति ठीक नहीं है । अतः इस विषय में मातापिता के साथ और किशोर  आयु से विद्यार्थियों के साथ बातचीत की जाय, उन्हें  सहमत बनाया जाय यह अत्यन्त आवश्यक है । थोपे हुए निर्नन्ध से मन कभी भी शान्त नहीं होता ।
   −
वर्णन इस ग्रन्थ में अन्यत्र है इसलिये यहाँ विशेष में जूते पहनकर प्रवेश नहीं करना, अस्वच्छ स्थान
+
क्षुल्लक बातों को छोड़ने के लिये मूल्यवान बातों का  विकल्प सामने होना चाहिये । विद्यार्थियों को अलंकारों, कपड़ों और श्रृंगार का आकर्षण इसलिये जकड़ता है क्योंकि उनसे अधिक मूल्यवान बातों का कभी अनुभव नहीं हुआ है । जिनके पास हीरे मोती के अलंकार नहीं होते वे पीतल और एल्युमिनियम के अलंकारों को छोड़ने के लिये राजी नहीं होते ।  हीरेमोती के अलंकार मिलने के बाद उन्हें घटिया अलंकार छोड़ने के लिये समझाना नहीं पड़ता । उसी प्रकार से विद्यार्थियों को साहित्य, कला, संगीत, उदात्त चरित्र, प्रेरक घटनाओं के जगत में प्रवेश दिलाने से क्षुद्र जगत पीछे छूट जाता है, उसका आकर्षण अब खींच नहीं सकता । इस दृष्टि से संगीत, साहित्य, इतिहास आदि की शिक्षा का बहुत. महत्त्व है । हमने इनकी उपेक्षा कर बहुत खोया है ।
   −
निरूपण करने की आवश्यकता नहीं है । पर नहीं बैठना, अपने आसपास अस्वच्छता नहीं
+
संगीत भी उत्तेजक हो सकता है यह समझकर सात्चिक संगीत का चयन करना चाहिये । तानपुरे की झंकार नित्य सुनाई दे ऐसी व्यवस्था हो सकती है । सभी गीतों के लिये भारतीय शास्त्रीय संगीत के आधार  पर की गई स्वररचना, भारतीय वाद्यों का प्रयोग और. बेसुरा नहीं होने की सावधानी भी आवश्यक है ।
   −
३... विद्यार्थियों को टीवी और मोबाइल का निषेध करने होने देना, विद्यालय परिसर में शान्ति रखना, मौन का
+
विद्यालय को पवित्र मानने का मानस बनाना चाहिए। विद्यालय में, कक्षाकक्ष में जूते पहनकर प्रवेश नहीं करना, अस्वच्छ स्थान पर नहीं बैठना, अपने आसपास अस्वछता नहीं होने देना, विद्यालय परिसर में शान्ति रखना, मौन का अभ्यास करना, धीरे बोलना, कम बोलना आदि बातों का. अप्रहपूर्वक पालन करना चाहिये । भडकीले रंगों के कपडे नहीं पहनना भी सहायक है ।रबर प्लास्टिक के जूते मस्तिष्क तक गर्मी पहुँचाते हैं, सिन्थेटिक वस्त्र शरीर में गर्मी पैदा करते हैं, चिन्ता और भय नसों और नाडियों को तंग कर देते हैं । इन सबसे मन अशान्त रहता है, उत्तेजित रहता है । गाय थोपे का दूध और घी, चन्दन का लेप, बालों में ब्राह्मी या आँवलें का तेल शरीर को ठण्डक पहुँचाता है, साथ ही मन को भी शान्त करता है । विद्यालय के बगीचे में दूर्व की घास, देशी महेंदी के पौधे, देशी गुलाब वातावरण को शीतल और शान्त बनाता है । सुन्दर, सात्तिक अनुभवों से ज्ञानेन्ट्रियों का सन्तर्पण करने से मन भी शान्ति और सुख का अनुभव करता है। विद्यार्थियों के साथ स्नेहपूर्ण वार्तालाप और स्निग्ध व्यवहार करने से, हम उनका भला चाहते हैं, हम उनके स्वजन हैं ऐसी अनुभूति करवाने से विद्यार्थियों का मन आश्वस्त और शान्त होता है । अच्छे लोगों की, अच्छी और भलाई की बातें सुनने से भी मन अच्छा होने लगता है ।
   −
की आवश्यकता है । यह निषेध महाविद्यालयों तक अभ्यास करना, धीरे बोलना, कम बोलना आदि
+
विद्यालय की यह दुनिया सुन्दर है, यहाँ लोग अच्छे . हैं, यहाँ अच्छा काम होता है ऐसी प्रतीति से मन शान्त होने लगता है ।
 
  −
होना चाहिये । यह निषेध स्वयंस्वीकृत बने ऐसी बातों का. अप्रहपूर्वक पालन करना चाहिये ।
  −
 
  −
शिक्षा भी देनी चाहिये । हमेशा के लिये निर्बन्ध थोपे भडकीले रंगों के कपडे नहीं पहनना भी सहायक है ।
  −
 
  −
ही जायें और विद्यार्थी मौका मिलते ही उनका उल्लंघन रबर प्लास्टिक के जूते मस्तिष्क तक गर्मी पहुँचाते हैं,
  −
 
  −
करने की ताक में ही रहें ऐसी स्थिति ठीक नहीं है । सिन्थेटिक वस्त्र शरीर में गर्मी पैदा करते हैं, चिन्ता
  −
 
  −
अतः इस विषय में मातापिता के साथ और किशोर और भय नसों और नाडियों को तंग कर देते हैं । इन
  −
 
  −
आयु से विद्यार्थियों के साथ बातचीत की जाय, उन्हें सबसे मन अशान्त रहता है, उत्तेजित रहता है । गाय
  −
 
  −
सहमत बनाया जाय यह अत्यन्त आवश्यक है । थोपे का दूध और घी, चन्दन का लेप, बालों में ब्राह्मी या
  −
 
  −
हुए निर्नन्ध से मन कभी भी शान्त नहीं होता । आँवलें का तेल शरीर को ठण्डक पहुँचाता है, साथ
  −
 
  −
¥. gH sit al छोड़ने के लिये मूल्यवान बातों का ही मन को भी शान्त करता है । विद्यालय के बगीचे
  −
 
  −
विकल्प सामने होना चाहिये । विद्यार्थियों को में दूर्व की घास, देशी महेंदी के पौधे, देशी गुलाब
  −
 
  −
अलंकारों, कपड़ों और श्रृंगार का आकर्षण इसलिये वातावरण को शीतल और शान्त बनाता है । सुन्दर,
  −
 
  −
जकड़ता है क्योंकि उनसे अधिक मूल्यवान बातों का सात्तिक अनुभवों से ज्ञानेन्ट्रियों का सन्तर्पण करने से
  −
 
  −
कभी अनुभव नहीं हुआ है । जिनके पास हीरे मोती मन भी शान्ति और सुख का अनुभव करता है।
  −
 
  −
के अलंकार नहीं होते वे पीतल और एल्युमिनियम के विद्यार्थियों के साथ स्नेहपूर्ण वार्तालाप और स्निग्ध
  −
 
  −
अलंकारों को छोड़ने के लिये राजी नहीं होते । व्यवहार करने से, हम उनका भला चाहते हैं, हम
  −
 
  −
हीरेमोती के अलंकार मिलने के बाद उन्हें घटिया उनके स्वजन हैं ऐसी अनुभूति करवाने से विद्यार्थियों
  −
 
  −
अलंकार छोड़ने के लिये समझाना नहीं पड़ता । उसी का मन आश्वस्त और शान्त होता है । अच्छे लोगों
  −
 
  −
प्रकार से विद्यार्थियों को साहित्य, कला, संगीत, की, अच्छी और भलाई की बातें सुनने से भी मन
  −
 
  −
उदात्त चरित्र, प्रेरक घटनाओं के जगत में प्रवेश अच्छा होने लगता है ।
  −
 
  −
दिलाने से क्षुद्र जगत पीछे छूट जाता है, उसका विद्यालय की यह दुनिया सुन्दर है, यहाँ लोग अच्छे
  −
 
  −
आकर्षण अब खींच नहीं सकता । इस दृष्टि से. हैं, यहाँ अच्छा काम होता है ऐसी प्रतीति से मन शान्त होने
  −
 
  −
संगीत, साहित्य, इतिहास आदि की शिक्षा का बहुत. लगता है ।
  −
 
  −
महत्त्व है । हमने इनकी उपेक्षा कर बहुत खोया है ।
      
==== मन की एकाग्रता के उपाय ====
 
==== मन की एकाग्रता के उपाय ====
५.. संगीत भी उत्तेजक हो सकता है यह समझकर
  −
  −
सात्चिक संगीत का चयन करना चाहिये । तानपुरे की मन को जिस प्रकार शान्त बनाने की आवश्यकता है
  −
  −
झंकार नित्य सुनाई दे ऐसी व्यवस्था हो सकती है ।.. उसी प्रकार एकाग्र भी बनाने की आवश्यकता है । मन जब
  −
  −
सभी गीतों के लिये भारतीय शास्त्रीय संगीत के आधार... तक एकाग्र नहीं होता तब तक विद्याग्रहण नहीं कर
  −
  −
पर की गई स्वररचना, भारतीय वाद्यों का प्रयोग और. सकता | इस दृष्टि से विद्यालय में कुछ इस प्रकार प्रबन्ध हो
  −
  −
बेसुरा नहीं होने की सावधानी भी आवश्यक है । सकता है
  −
  −
&. विद्यालय को पवित्र मानने का मानस बनाना... १. जप करना मन को एकाग्र करने का अच्छा उपाय
  −
  −
मन की एकाग्रता के उपाय
  −
   
8
 
8
  
1,815

edits

Navigation menu