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8. श्रेष्ठ विद्यार्थियों को पढ़ाने का अवसर छोटी आयु से ही प्राप्त होना चाहिये । दूसरी या चौथी कक्षा के छात्र शिशुकक्षामें कहानी बतायें, पहाडे रटवायें, आठवीं के छात्र चौथी कक्षा को गणित पढ़ायें इस प्रकार नियोजित, नियमित पढाने का क्रम बनना चाहिये । अभिव्यक्ति अच्छी बनाना, कठिन विषय को सरल बनाना, उदाहरण खोजना, व्यवहार में लागू करना, शुद्धि का आग्रह रखना, कमजोर विद्यार्थियों की कठिनाई जानना, उन्हें पुनः पुनः पढाना आदि शिक्षक के अनेक गुणों का विकास इनमें किस प्रकार होगा यह देखना चाहिये । ये विद्यार्थी शिक्षक के सहयोगी होंगे । शिक्षक की सेवा करना, अध्यापन में सहयोग करना, साथी विद्यार्थियों की सहायता करना आदि उनकी शिक्षा का ही अंग बनना चाहिये । शिक्षकों को उन्हें विशेष ध्यान देकर पढाना चाहिये । शिक्षक के रूप में उनके चरित्र का विकास हो यह देखना चाहिये । उनके परिवार के साथ भी सम्पर्क बनाना चाहिये । ये विद्यार्थी पन्द्रह वर्ष के होते होते उनमें पूर्ण शिक्षकत्व प्रकट होना चाहिये । उसके बाद वे शिक्षक और विद्यार्थी दोनों प्रकार से काम करेंगे परन्तु उनका मुख्य कार्य अध्ययन ही रहेगा ।
 
8. श्रेष्ठ विद्यार्थियों को पढ़ाने का अवसर छोटी आयु से ही प्राप्त होना चाहिये । दूसरी या चौथी कक्षा के छात्र शिशुकक्षामें कहानी बतायें, पहाडे रटवायें, आठवीं के छात्र चौथी कक्षा को गणित पढ़ायें इस प्रकार नियोजित, नियमित पढाने का क्रम बनना चाहिये । अभिव्यक्ति अच्छी बनाना, कठिन विषय को सरल बनाना, उदाहरण खोजना, व्यवहार में लागू करना, शुद्धि का आग्रह रखना, कमजोर विद्यार्थियों की कठिनाई जानना, उन्हें पुनः पुनः पढाना आदि शिक्षक के अनेक गुणों का विकास इनमें किस प्रकार होगा यह देखना चाहिये । ये विद्यार्थी शिक्षक के सहयोगी होंगे । शिक्षक की सेवा करना, अध्यापन में सहयोग करना, साथी विद्यार्थियों की सहायता करना आदि उनकी शिक्षा का ही अंग बनना चाहिये । शिक्षकों को उन्हें विशेष ध्यान देकर पढाना चाहिये । शिक्षक के रूप में उनके चरित्र का विकास हो यह देखना चाहिये । उनके परिवार के साथ भी सम्पर्क बनाना चाहिये । ये विद्यार्थी पन्द्रह वर्ष के होते होते उनमें पूर्ण शिक्षकत्व प्रकट होना चाहिये । उसके बाद वे शिक्षक और विद्यार्थी दोनों प्रकार से काम करेंगे परन्तु उनका मुख्य कार्य अध्ययन ही रहेगा ।
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जो विद्यार्थी शिक्षक ही बनेंगे उनके प्रगत अध्ययन
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9. जो विद्यार्थी शिक्षक ही बनेंगे उनके प्रगत अध्ययन हेतु एक विशेष संस्था का निर्माण हो सकता है जहाँ विद्यालय अपने चयनित शिक्षकों को विशेष शिक्षा के लिये भेज सकते हैं । यहाँ मुख्य रूप से राष्ट्रीय शिक्षा की संकल्पना, राष्ट्रनिर्माण, ज्ञान की सेवा, वैश्विक समस्याओं के ज्ञानात्मक हल, धर्म और संस्कृति, भारतीय शिक्षा का वर्तमान, भारत का भविष्य शिक्षा के माध्यम से कैसे बनेगा, उत्तम अध्यापन आदि विषय प्रमुख रूप से पढाये जायेंगे ।
 
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उत्तमोत्तम शिक्षकों के दो काम होंगे। एक तो
 
उत्तमोत्तम शिक्षकों के दो काम होंगे। एक तो
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