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हमने कुछ कार्ययोजना की रूपरेखा भी बनाई है । मैं केवल बिन्दु ही आपके सम्मुख रखता हूँ। (१) हम पूरा एक वर्ष समाज सम्पर्क करेंगे । इनमें राज्यों के शिक्षाविभाग और विश्वविद्यालय तथा अन्य शोधसंस्थान होंगे । आप इन सभी राज्य सरकारों से बात कर हमारा यह सम्पर्क अभियान यशस्वी हो ऐसा करें यही निवेदन है। हम सभी राज्यों के शिक्षा विभागों से बात करेंगे। सभी विश्वविद्यालयों के अध्ययन मण्डलों तथा उनकी कार्यवाहक समितियों से बात करेंगे। देश में अभी सातसौ से अधिक विश्वविद्यालय हैं, हम उनमें से एकसौ विश्वविद्यालयों का सम्पर्क करेंगे । उन्हें इस विचार के अनुकूल भी बनायेंगे और शैक्षिक दृष्टि से सहायता करने का निवेदन भी करेंगे। हम इन्हीं विश्वविद्यालयों से अध्यापक और विद्यार्थियों का चयन करेंगे।
 
हमने कुछ कार्ययोजना की रूपरेखा भी बनाई है । मैं केवल बिन्दु ही आपके सम्मुख रखता हूँ। (१) हम पूरा एक वर्ष समाज सम्पर्क करेंगे । इनमें राज्यों के शिक्षाविभाग और विश्वविद्यालय तथा अन्य शोधसंस्थान होंगे । आप इन सभी राज्य सरकारों से बात कर हमारा यह सम्पर्क अभियान यशस्वी हो ऐसा करें यही निवेदन है। हम सभी राज्यों के शिक्षा विभागों से बात करेंगे। सभी विश्वविद्यालयों के अध्ययन मण्डलों तथा उनकी कार्यवाहक समितियों से बात करेंगे। देश में अभी सातसौ से अधिक विश्वविद्यालय हैं, हम उनमें से एकसौ विश्वविद्यालयों का सम्पर्क करेंगे । उन्हें इस विचार के अनुकूल भी बनायेंगे और शैक्षिक दृष्टि से सहायता करने का निवेदन भी करेंगे। हम इन्हीं विश्वविद्यालयों से अध्यापक और विद्यार्थियों का चयन करेंगे।
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# हम संचार माध्यमों का उपयोग कर जनसमाज को भी इस विषय से अवगत करायेंगे । अर्थात् समस्त प्रजा को जानना चाहिये कि आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की क्यों आवश्यकता है।
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# हम देशभर में चार विद्वत् परिषदों का आयोजन करेंगे। इनमें आपके शिक्षाविभाग के प्रमुख अधिकारियों सहित आप तथा उन उन राज्यों के शिक्षाविभाग के प्रमुख अधिकारी सहभागी हों ऐसा हम चाहेंगे। आप लोगों की उपस्थिति से लोगों के मन आश्वस्त होंगे । आपकी सिस्टम का भय नहीं रहेगा। साथ ही हमारा संवाद बना रहेगा।
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# विश्व के अन्यान्य देशों में आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और अध्यापक जायेंगे। इनके लिये उन उन देशों में कोई प्रतिकूलता न रहे यह देखना तो आपका ही दायित्व है। उन देशों की सरकारें उनके विश्वविद्यालयों से बात करें और हमारे विद्यार्थी तथा अध्यापकों को सहयोग करें ऐसा हम चाहेंगे। सरकारी बाधायें दूर हों।
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# आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय को सहयोग करने का किसी पर सरकारी दबाव बने ऐसा हम नहीं चाहते । परन्तु अविरोध अवश्य चाहेंगे।
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# धीरे धीरे बिना सरकारी मान्यता के भी पढा जाता है ऐसी मानसिकता बनाने में आपका बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। आप जहाँ जायें वहाँ औपचारिक अनौपचारिक तौर पर इस विश्वविद्यालय की चर्चा हो ऐसे अवसर आप बनायें। अनेक लोग इस विश्वविद्यालय की संकल्पना सुनने समझने के लिये आयें इस हेतु प्रोत्साहन दें। शिक्षा धीरे धीरे सरकार से समाज की ओर किस प्रकार जाय इसका विचार करें। आज सरकार शिक्षा को उद्योगों को हस्तान्तरित कर रही है। इससे शिक्षा का बाजारीकरण होने की सम्भावनायें बढती हैं। शिक्षा को बाजार के हाथ में न दें, शिक्षकों के हाथ में दें।
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# आन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षित लोगों को सरकारी नौकरियाँ न दें। यह एक आपद्धर्म होगा । मैं ऐसा उल्टा कथन आपकी सहायता हेतु ही कर रहा हूँ । सरकारी
    
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