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तरह तरह के वाटर बेग्ज, उनके आकर्षक रंग व आकार पर मोहित हो अभिभावक अपने पुत्र के नाम पर कितना पैसा व्यर्थ में लुटा देते हैं । आर ओ प्लान्ट के बिना जल शुद्ध हो ही नहीं सकता इस विचार के कारण कितना अनावश्यक धन खर्च होता है इसका अभिभावकों को भान ही नहीं है । मेरा खरीदा हुआ पानी, इसलिए उस पर केवल मेरा अधिकार, मैं जैसा चाहूँगा, वैसा उसका उपयोग करूँगा
 
तरह तरह के वाटर बेग्ज, उनके आकर्षक रंग व आकार पर मोहित हो अभिभावक अपने पुत्र के नाम पर कितना पैसा व्यर्थ में लुटा देते हैं । आर ओ प्लान्ट के बिना जल शुद्ध हो ही नहीं सकता इस विचार के कारण कितना अनावश्यक धन खर्च होता है इसका अभिभावकों को भान ही नहीं है । मेरा खरीदा हुआ पानी, इसलिए उस पर केवल मेरा अधिकार, मैं जैसा चाहूँगा, वैसा उसका उपयोग करूँगा
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यह व्यवहार अत्यन्त सहज हो गया है। । - प्यासे को पानी पिलाने के भाव ही अब उत्पन्न नहीं होता ।
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एक विद्यालय की ट्रिप रेल से जा रही थी । उसमें ५० विद्यार्थी थे । प्रत्येक विद्यार्थी को ५-५- बोतल दी गईं थी। हिसाब लगाये तो ५ x ५० x २० = ५००० रु. केवल पानी का खर्च था। फिर आवश्यकता, स्वतन्त्रता का अधिकार, अपव्यय, आर्थिकपक्ष आदि बिन्दुओं का विचार ही नहीं किया जाता । हमें इसका विचार करना चाहिए।
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ईश्वर हमें पर्याप्त जल निःशुल्क देता है, परन्तु हम लोग उसका व्यवसाय करते हैं, आर्थिक लाभ करमा रहे हैं । हमें कुछ तो विचार करना चाहिए ।
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==== विद्यालय में पानी की व्यवस्था ====
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पानी का विषय भी कोई विषय है ऐसा ही कोई भी कहेगा । परन्तु विचार करने लगते हैं तब कई बिन्दु सामने आते हैं ...
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१. विद्यालय में पानी की व्यवस्था होती ही है परन्तु उसके प्रकार अलग अलग होते हैं ।
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२. कई स्थानों पर टंकी होती है और उसे नल लगे होते हैं । पानी की टंकी या तो सिमेन्ट की होती है अथवा प्लास्टिक की । टंकी में से पानी लाने वाली नलिकायें भी या तो प्लास्टिक की होती हैं या सिमेन्ट की । नल स्टील के, लोहे के अथवा प्लास्टिक के । पानी पीने के प्याले अधिकांश प्लास्टिक के और कभी कभी स्टील के होते हैं।
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३. अनेक विद्यालयों में पानी शुद्धीकरण के यन्त्र लगाए जाते हैं । कई स्थानों पर मिट्टी के मटके होते हैं । कई स्थानों पर बाजार में जो मिनरल पानी मिलता है वह लाया जाता है । छात्रों को शुद्ध पानी मिले ऐसा आग्रह विद्यालय का और अभिभावकों का होता है।
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४. अनेक विद्यालयों में छात्र घर से पानी लेकर आते हैं । वे ऐसा करें इसका आग्रह विद्यालय और अभिभावक दोनों का होता है। विद्यालय कभी कभी विचार करता है कि छात्र यदि घर से पानी लाते हैं तो विद्यालय का बोज कम होगा। अभिभावकों को कभी कभी
    
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