Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 388: Line 388:  
३. अनेक विद्यालयों में पानी शुद्धीकरण के यन्त्र लगाए जाते हैं । कई स्थानों पर मिट्टी के मटके होते हैं । कई स्थानों पर बाजार में जो मिनरल पानी मिलता है वह लाया जाता है । छात्रों को शुद्ध पानी मिले ऐसा आग्रह विद्यालय का और अभिभावकों का होता है।  
 
३. अनेक विद्यालयों में पानी शुद्धीकरण के यन्त्र लगाए जाते हैं । कई स्थानों पर मिट्टी के मटके होते हैं । कई स्थानों पर बाजार में जो मिनरल पानी मिलता है वह लाया जाता है । छात्रों को शुद्ध पानी मिले ऐसा आग्रह विद्यालय का और अभिभावकों का होता है।  
   −
४. अनेक विद्यालयों में छात्र घर से पानी लेकर आते हैं । वे ऐसा करें इसका आग्रह विद्यालय और अभिभावक दोनों का होता है। विद्यालय कभी कभी विचार करता है कि छात्र यदि घर से पानी लाते हैं तो विद्यालय का बोज कम होगा। अभिभावकों को कभी कभी
+
४. अनेक विद्यालयों में छात्र घर से पानी लेकर आते हैं । वे ऐसा करें इसका आग्रह विद्यालय और अभिभावक दोनों का होता है। विद्यालय कभी कभी विचार करता है कि छात्र यदि घर से पानी लाते हैं तो विद्यालय का बोज कम होगा। अभिभावकों को कभी कभी विद्यालय की व्यवस्था पर सन्देह होता है। वहाँ शुद्ध पानी मिलेगा कि नहीं इसकी आशंका रहती है। इसलिए वे घर से ही पानी भेजते हैं। विद्यालय में भीड़ होने के कारण भी अपना पानी अलग रखने की आवश्यकता उन्हें लगती है। घर से विद्यालय की दूरी भी होती है और रास्ते में पानी की आवश्यकता होती है इसलिए भी अभिभावक पानी घर से देते हैं।
 +
 
 +
५. अब इसमें शैक्षिक दृष्टि से विचारणीय बातें कौनसी
 +
 
 +
हैं ?पहली बात तो यह है कि विद्यालय में पानी की व्यवस्था है और वह अच्छी है इस बात पर अभिभावकों का विश्वास बनना चाहिये । इसके आधार पर ही आगे की बातें सम्भव हो सकती हैं।
 +
 
 +
६. आजकल जो बात सर्वाधिक प्रचलन में है वह है प्लास्टिक का प्रयोग । टंकी, बोतल, नलिका और नल, प्याले आदि सबकुछ प्लास्टिक का ही बना होता है। भौतिक विज्ञान स्पष्ट कहता है कि प्लास्टिक पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक है । इसलिए विद्यालय का यह कर्तव्य है कि प्लास्टिक का इसलिए विद्यालय का यह कर्तव्य है कि प्लास्टिक का प्रयोग न करे और उसके निषेध के लिए छात्रों की सिद्धता बनाए और अभिभावकों का प्रबोधन करे । विद्यालय के शिक्षाक्रम का यह एक महत्त्वपूर्ण अंग होना चाहिये । विश्वभर के संकट मनुष्य की अनुचित मन:स्थिति और उससे प्रेरित होने वाले अनुचित व्यवहार के कारण ही तो निर्माण होते हैं। मन और व्यवहार ठीक करने का प्रमुख अथवा कहो कि एकमेव केन्द्र ही तो विद्यालय है । वहाँ भी यदि प्लास्टिक का प्रयोग किया जाय तो इससे बढ़कर पाप कौनसा होगा। इस सन्दर्भ में सुभाषित देखें <blockquote>अन्यक्षेत्रे कृतं पापं तीर्थक्षेत्रे विनश्यति । </blockquote><blockquote>तीर्थक्षेत्रे कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति ।।</blockquote>अर्थात अन्य स्थानों पर किया गया पाप तीर्थक्षेत्र में धुल जाता है परन्तु तीर्थक्षेत्र में किया हुआ पाप वज्रलेप बन जाता है। विद्यालय ज्ञान के क्षेत्र में तीर्थक्षेत्र ही तो है । अतः
    
............. page-188 .............
 
............. page-188 .............
1,815

edits

Navigation menu