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# सबसे बड़ी समस्या है प्रदषण की । झट से कोई कह देता है कि सीएनजी के कारण अब उतना प्रदूषण नहीं होता जितना पहले होता था। यह तो ठीक है परन्तु ईंधन की पैदाइश से लेकर प्रयोग तक सर्वत्र वह प्रदूषण का ही स्रोत बनता है। अनदेखी की जा सके इतनी सामान्य समस्या यह नहीं है।  
 
# सबसे बड़ी समस्या है प्रदषण की । झट से कोई कह देता है कि सीएनजी के कारण अब उतना प्रदूषण नहीं होता जितना पहले होता था। यह तो ठीक है परन्तु ईंधन की पैदाइश से लेकर प्रयोग तक सर्वत्र वह प्रदूषण का ही स्रोत बनता है। अनदेखी की जा सके इतनी सामान्य समस्या यह नहीं है।  
 
# यातायात की भीड : वाहनों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि सडकों पर उनकी भीड हो जाती है। ट्रैफिक की समस्या महानगरों में तो विकट बन ही गई है, अब वह नगरों की ओर गति कर रही है। इससे कोलाहल अर्थात् ध्वनि प्रदूषण पैदा होता है। हम जानते ही नहीं है कि यह हमारी श्रवणेन्द्रिय पर गम्भीर अत्याचार है और इससे हमारी मानसिक शान्ति का नाश होता है, विचारशक्ति कम होती है।  
 
# यातायात की भीड : वाहनों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि सडकों पर उनकी भीड हो जाती है। ट्रैफिक की समस्या महानगरों में तो विकट बन ही गई है, अब वह नगरों की ओर गति कर रही है। इससे कोलाहल अर्थात् ध्वनि प्रदूषण पैदा होता है। हम जानते ही नहीं है कि यह हमारी श्रवणेन्द्रिय पर गम्भीर अत्याचार है और इससे हमारी मानसिक शान्ति का नाश होता है, विचारशक्ति कम होती है।  
# वाहनों की भीड के कारण सडकें चौडी से अधिक चौडी बनानी पडती हैं। सडक के बहाने फिर प्राकृतिक संसाधनों के नाश का चक्र शुरू होता है। सडकें चौडी बनाने के लिये खेतों को नष्ट किया जाता है, पुराने रास्तों के किनारे लगे वृक्षों को उखाडा जाता है । यह संकट कोई सामान्य संकट नहीं है।  
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# वाहनों की भीड के कारण सडकें चौडी से अधिक चौडी बनानी पडती हैं। सडक के बहाने फिर प्राकृतिक संसाधनों के नाश का चक्र आरम्भ होता है। सडकें चौडी बनाने के लिये खेतों को नष्ट किया जाता है, पुराने रास्तों के किनारे लगे वृक्षों को उखाडा जाता है । यह संकट कोई सामान्य संकट नहीं है।  
 
# ट्रेफिक जेम होने के कारण समय की और बरबादी होती है। समय की बरबादी का तो और भी एक कारण है। एक बस में यदि २० से ५० विद्यार्थी आते जाते हैं तो उन्हें आने जाने में एक से ढाई घण्टे खर्च करने पडते हैं । समय एक ऐसी सम्पत्ति है जो अमीर-गरीब के पास समान मात्रा में ही होती है, और एक बार गई तो किसी भी उपाय से न पुनः प्राप्त हो सकती है न उसका खामियाजा भरपाई किया जा सकता है।  
 
# ट्रेफिक जेम होने के कारण समय की और बरबादी होती है। समय की बरबादी का तो और भी एक कारण है। एक बस में यदि २० से ५० विद्यार्थी आते जाते हैं तो उन्हें आने जाने में एक से ढाई घण्टे खर्च करने पडते हैं । समय एक ऐसी सम्पत्ति है जो अमीर-गरीब के पास समान मात्रा में ही होती है, और एक बार गई तो किसी भी उपाय से न पुनः प्राप्त हो सकती है न उसका खामियाजा भरपाई किया जा सकता है।  
 
# वाहन से यात्रा का प्रभाव शरीरस्वास्थ्य पर भी विपरीत ही होता है। वाहन के चलने से उसकी गति से, उसकी आवाज से, उसकी ब्रेक से शरीर पर आघात होते हैं और दर्द तथा थकान उत्पन्न होते हैं । हमारी विपरीत सोच के कारण से हमें समझ में नहीं आता कि चलने से व्यायाम होता है और शरीर स्वस्थ बनता है जबकि वाहन से अस्वास्थ्य बढ़ता है और खर्च भी होता है। वाहन से समय बचता है ऐसा हमें लगता है परन्तु उसकी कीमत पैसा नहीं, स्वास्थ्य है।
 
# वाहन से यात्रा का प्रभाव शरीरस्वास्थ्य पर भी विपरीत ही होता है। वाहन के चलने से उसकी गति से, उसकी आवाज से, उसकी ब्रेक से शरीर पर आघात होते हैं और दर्द तथा थकान उत्पन्न होते हैं । हमारी विपरीत सोच के कारण से हमें समझ में नहीं आता कि चलने से व्यायाम होता है और शरीर स्वस्थ बनता है जबकि वाहन से अस्वास्थ्य बढ़ता है और खर्च भी होता है। वाहन से समय बचता है ऐसा हमें लगता है परन्तु उसकी कीमत पैसा नहीं, स्वास्थ्य है।
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# महाविद्यालयों में मोटर साइकिल एक आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक अनिष्ट बन गया है। मार्गों पर दुर्घटनायें युवाओं के बेतहाशा वाहन चलाने के कारण होती हैं । महाविद्यालय के परिसर में और आसपास पार्किंग की समस्या इन्हीं के कारण से होती है। पिरीयड बंक करने का प्रचलन इसी के आकर्षण से होता है। मित्रों के साथ मजे करने का एक माध्यम मोटरसाइकिल की सवारी । वह दस प्रतिशत उपयोगी और नब्बे प्रतिशत अनिष्टकारी वाहन बन गया है। महाविद्यालयों का किसी भी प्रकार का नैतिक प्रभाव विद्यार्थियों पर नहीं है इसलिये वे उन्हें मोटरसाइकिल के उपयोग से रोक नहीं सकते । परन्तु इसका एकमात्र उपाय नैतिक प्रभाव निर्माण करने का, विद्यार्थियों का प्रबोधन करने का और महाविद्यालय में साइकिल लेकर आने की प्रेरणा देने का है। इसके बाद मोटरसाइकिल लेकर नहीं आने का नियम बनाया जा सकता है।  
 
# महाविद्यालयों में मोटर साइकिल एक आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक अनिष्ट बन गया है। मार्गों पर दुर्घटनायें युवाओं के बेतहाशा वाहन चलाने के कारण होती हैं । महाविद्यालय के परिसर में और आसपास पार्किंग की समस्या इन्हीं के कारण से होती है। पिरीयड बंक करने का प्रचलन इसी के आकर्षण से होता है। मित्रों के साथ मजे करने का एक माध्यम मोटरसाइकिल की सवारी । वह दस प्रतिशत उपयोगी और नब्बे प्रतिशत अनिष्टकारी वाहन बन गया है। महाविद्यालयों का किसी भी प्रकार का नैतिक प्रभाव विद्यार्थियों पर नहीं है इसलिये वे उन्हें मोटरसाइकिल के उपयोग से रोक नहीं सकते । परन्तु इसका एकमात्र उपाय नैतिक प्रभाव निर्माण करने का, विद्यार्थियों का प्रबोधन करने का और महाविद्यालय में साइकिल लेकर आने की प्रेरणा देने का है। इसके बाद मोटरसाइकिल लेकर नहीं आने का नियम बनाया जा सकता है।  
 
# वास्तव में साइकिल संस्कृति का विकास करने की आवश्यकता है । सडकों पर साइकिल के लिये अलग से व्यवस्था बन सकती है। पैदल चलनेवालों और साइकिल का प्रयोग करने वालों की प्रतिष्ठा बढनी चाहिये। विद्यालयों ने इसे अपना मिशन बनाना चाहिये । सरकार ने आवाहन करना चाहिये । समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने नेतृत्व करना चाहिये ।
 
# वास्तव में साइकिल संस्कृति का विकास करने की आवश्यकता है । सडकों पर साइकिल के लिये अलग से व्यवस्था बन सकती है। पैदल चलनेवालों और साइकिल का प्रयोग करने वालों की प्रतिष्ठा बढनी चाहिये। विद्यालयों ने इसे अपना मिशन बनाना चाहिये । सरकार ने आवाहन करना चाहिये । समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने नेतृत्व करना चाहिये ।
जिस दिन वाहनव्यवस्था और वाहनमानसिकता में परिवर्तन होगा उस दिन से हम स्वास्थ्य, शान्ति और समृद्धि की दिशा में चलना शुरू करेंगे।
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जिस दिन वाहनव्यवस्था और वाहनमानसिकता में परिवर्तन होगा उस दिन से हम स्वास्थ्य, शान्ति और समृद्धि की दिशा में चलना आरम्भ करेंगे।
    
=== विद्यालय में धनव्यवस्था ===
 
=== विद्यालय में धनव्यवस्था ===

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