− | लगभग सभी उत्तर देने वाले नित्य कक्षा कक्षों में पढ़ाने वाले ही थे । फिर भी प्रश्नों के उत्तर केवल शब्दार्थ को ध्यान में रखकर ही दिये गये हैं । कक्षा कक्ष यह स्थान केवल भौतिक वस्तुओं का संच है, परन्तु विद्यार्थी और शिक्षक यह जीवमान ईकाई है तथा इनके बीच चलने वाली अध्ययन अध्यापन प्रक्रिया भी जीवन्त ही होती है। अतः इस जीवन्तता को बनाये रखना चाहिए । भौतिक व्यवस्थाओं को हावी नहीं होने देना चाहिए | | + | लगभग सभी उत्तर देने वाले नित्य कक्षा कक्षों में पढ़ाने वाले ही थे । फिर भी प्रश्नों के उत्तर केवल शब्दार्थ को ध्यान में रखकर ही दिये गये हैं । कक्षा कक्ष यह स्थान केवल भौतिक वस्तुओं का संच है, परन्तु विद्यार्थी और शिक्षक यह जीवमान ईकाई है तथा इनके मध्य चलने वाली अध्ययन अध्यापन प्रक्रिया भी जीवन्त ही होती है। अतः इस जीवन्तता को बनाये रखना चाहिए । भौतिक व्यवस्थाओं को हावी नहीं होने देना चाहिए | |
| भवन निर्माण के समय शिक्षकों की कोई भूमिका नहीं रहती, वे तो मात्र इतना चाहते हैं कि सभी व्यवस्थाओं से | | भवन निर्माण के समय शिक्षकों की कोई भूमिका नहीं रहती, वे तो मात्र इतना चाहते हैं कि सभी व्यवस्थाओं से |
− | कुछ और क्रियाकलाप न करते हों और केवल अध्यापक द्वारा बोला जा रहा सुनते हों तब भी, भूमि पर, कुर्सी पर या बेन्च पर बैठे हों तब भी, सीधी पंक्तियों में या बिना पंक्तियों के बैठे हों तब भी एक दूसरे का स्पर्श न हो इतनी दूरी बनाकर तो बैठना ही चाहिये । बिना स्पर्श किये कुछ हलचल कर सर्के इतना अन्तर भी अपेक्षित है । बीच में से उठकर जाना हो तब भी बिना स्पर्श किये जा सकें इतनी दूरी चाहिये । कक्ष में बैठे विद्यार्थियों से उचित अन्तर रखकर शिक्षक बैठ सके इतना स्थान होना चाहिये । उचित अन्तर किसे कहते हैं ? विद्यार्थियों के सामने, मध्य में, कुछ ऊँचाई पर बैठकर शिक्षक एक दृष्टिक्षेप में कक्षा के सभी विद्यार्थियों को देख सके इतने अन्तर को समुचित अन्तर कहते हैं । | + | कुछ और क्रियाकलाप न करते हों और केवल अध्यापक द्वारा बोला जा रहा सुनते हों तब भी, भूमि पर, कुर्सी पर या बेन्च पर बैठे हों तब भी, सीधी पंक्तियों में या बिना पंक्तियों के बैठे हों तब भी एक दूसरे का स्पर्श न हो इतनी दूरी बनाकर तो बैठना ही चाहिये । बिना स्पर्श किये कुछ हलचल कर सर्के इतना अन्तर भी अपेक्षित है । मध्य में से उठकर जाना हो तब भी बिना स्पर्श किये जा सकें इतनी दूरी चाहिये । कक्ष में बैठे विद्यार्थियों से उचित अन्तर रखकर शिक्षक बैठ सके इतना स्थान होना चाहिये । उचित अन्तर किसे कहते हैं ? विद्यार्थियों के सामने, मध्य में, कुछ ऊँचाई पर बैठकर शिक्षक एक दृष्टिक्षेप में कक्षा के सभी विद्यार्थियों को देख सके इतने अन्तर को समुचित अन्तर कहते हैं । |
| कक्षा में विद्यार्थियों को केवल एक स्थान पर बैठना ही नहीं होता है। घूमना चलना भी होता है । लिखना पढना होता है, सामग्री लेकर काम करना होता है, एक दूसरे के साथ वार्तालाप करना होता है, गटों में बैठकर चर्चा करनी होती है । तब विभिन्न रचनाओं में बैठ सकें, सामने डेस्क रखकर बैठ सकें, बगल में बस्ता या अन्य सामग्री रख सकें इतना स्थान होना चाहिये । कक्षा में कक्षा पुस्तकालय की पुस्तकें, कक्षा के लिये दैनन्दिन उपयोग की सामग्री, विद्यार्थियों के भोजन के डिब्बे आदि रखने का स्थान होना चाहिये । उसी प्रकार कक्ष के बाहर पादत्राण रखने की व्यवस्था, पानी की व्यवस्था, कचरे का डिब्बा भी होना चाहिये । कचरे का डिब्बा, झाड़ू, फर्निचर पॉंछने का कपडा आदि रखने के लिये स्थान और व्यवस्था चाहिये । | | कक्षा में विद्यार्थियों को केवल एक स्थान पर बैठना ही नहीं होता है। घूमना चलना भी होता है । लिखना पढना होता है, सामग्री लेकर काम करना होता है, एक दूसरे के साथ वार्तालाप करना होता है, गटों में बैठकर चर्चा करनी होती है । तब विभिन्न रचनाओं में बैठ सकें, सामने डेस्क रखकर बैठ सकें, बगल में बस्ता या अन्य सामग्री रख सकें इतना स्थान होना चाहिये । कक्षा में कक्षा पुस्तकालय की पुस्तकें, कक्षा के लिये दैनन्दिन उपयोग की सामग्री, विद्यार्थियों के भोजन के डिब्बे आदि रखने का स्थान होना चाहिये । उसी प्रकार कक्ष के बाहर पादत्राण रखने की व्यवस्था, पानी की व्यवस्था, कचरे का डिब्बा भी होना चाहिये । कचरे का डिब्बा, झाड़ू, फर्निचर पॉंछने का कपडा आदि रखने के लिये स्थान और व्यवस्था चाहिये । |