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वेश का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के स्वास्थ्य से है।  शरीर रक्षा हेतु वेश होना चाहिए। किन्तु आज प्रमुख बिन्दु हो गया है सुन्दर दिखना अर्थात् फैशन । आज विद्यालयों में वेश का निर्धारण दुकानदार करता है जिसमें उसका व संचालकों का आर्थिक हित जुड़ा रहता है।  
 
वेश का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के स्वास्थ्य से है।  शरीर रक्षा हेतु वेश होना चाहिए। किन्तु आज प्रमुख बिन्दु हो गया है सुन्दर दिखना अर्थात् फैशन । आज विद्यालयों में वेश का निर्धारण दुकानदार करता है जिसमें उसका व संचालकों का आर्थिक हित जुड़ा रहता है।  
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गर्म जलवायु वाले प्रदेश में छोटे-छोटे बच्चों को बूट-मोजों से लेकर टाई से बाँधने की व्यवस्था उनके साथ अन्याय है। इसलिए वेश सदैव सादा व शरीर रक्षा करने वाला होना चाहिए, अंग्रेज बाबू बनाने वाला नहीं,
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गर्म जलवायु वाले प्रदेश में छोटे-छोटे बच्चों को बूट-मोजों से लेकर टाई से बाँधने की व्यवस्था उनके साथ अन्याय है। इसलिए वेश सदैव सादा व शरीर रक्षा करने वाला होना चाहिए, अंग्रेज बाबू बनाने वाला नहीं, स्वदेशी भाव जगाने वाला होना चाहिए ।
 
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स्वदेशी भाव जगाने वाला होना चाहिए ।
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(१२) विद्यालय वातावरण संस्कारक्षम हो
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==== (१२) विद्यालय वातावरण संस्कारक्षम हो ====
 
स्वामी विवेकानन्द कहते हैं - “समस्त ज्ञान मनुष्य
 
स्वामी विवेकानन्द कहते हैं - “समस्त ज्ञान मनुष्य
 
के अन्तर में स्थित है । आवश्यकता है उसके जागरण के
 
के अन्तर में स्थित है । आवश्यकता है उसके जागरण के
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