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{{One source}}आज विश्वमें बहुत बडी उठापटक हो रही है। जिस युरोप ने एशिया, आफ्रिका एवं लेटिन अमरिका में अपने उपनिवेश स्थापित किये हुए थे, अपने साम्राज्य खडे किये थे, वही युरोप वर्तमान में पतन की कगार पर खडे होने का अनुभव कर रहा है। जब कि उपरोक्त त्रिखंड में से एक एशिया विकासमार्ग का यात्री है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने सन १९०२ में अपनी एक कविता में 'विश्वमें आज तक शाश्वत क्या रहा है ?' ऐसा प्रश्न उपस्थित किया था । वर्तमान में वही प्रश्न अत्यंत प्रासंगिक सिद्ध हुआ है।
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{{One source|date=March 2020}}
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आज विश्वमें बहुत बडी उठापटक हो रही है। जिस युरोप ने एशिया, आफ्रिका एवं लेटिन अमरिका में अपने उपनिवेश स्थापित किये हुए थे, अपने साम्राज्य खडे किये थे, वही युरोप वर्तमान में पतन की कगार पर खडे होने का अनुभव कर रहा है। जब कि उपरोक्त त्रिखंड में से एक एशिया विकासमार्ग का यात्री है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने सन १९०२ में अपनी एक कविता में 'विश्वमें आज तक शाश्वत क्या रहा है ?' ऐसा प्रश्न उपस्थित किया था । वर्तमान में वही प्रश्न अत्यंत प्रासंगिक सिद्ध हुआ है।
    
गत वर्ष में सोवियट संघ के विध्वंस के पचीस साल पूरे हुए। तो इस वर्ष युरोपिअन युनिअन के जन्म को पचीस वर्ष पूरे हो रहे हैं । परंतु अपनी पचीसी पूरी कर रहे युरोपिअन युनिअन को अपना कोई भविष्य है कि नहीं यह प्रश्न विश्व के विचारक लोग पूछने लगे हैं। तात्पर्य यह है कि 'वर्तमानकालीन वैश्विक परिस्थिति' यह विषय सांप्रत अत्यंत महत्त्वपूर्ण और प्रस्तुत है । इस लेख में जिस क्रम से हम विषय का विवेचन करने जा रहे हैं वह इस प्रकार है -
 
गत वर्ष में सोवियट संघ के विध्वंस के पचीस साल पूरे हुए। तो इस वर्ष युरोपिअन युनिअन के जन्म को पचीस वर्ष पूरे हो रहे हैं । परंतु अपनी पचीसी पूरी कर रहे युरोपिअन युनिअन को अपना कोई भविष्य है कि नहीं यह प्रश्न विश्व के विचारक लोग पूछने लगे हैं। तात्पर्य यह है कि 'वर्तमानकालीन वैश्विक परिस्थिति' यह विषय सांप्रत अत्यंत महत्त्वपूर्ण और प्रस्तुत है । इस लेख में जिस क्रम से हम विषय का विवेचन करने जा रहे हैं वह इस प्रकार है -
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==References==
 
==References==
<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
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भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे  
[[Category:भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा]]
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[[Category:Education Series]]
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[[Category:भारतीय शिक्षा ग्रंथमाला 5: पर्व 2: विश्वस्थिति का आकलन]]
[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
 

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