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==== औपनिवेशिक विरोधी राष्ट्रीयता ====
 
==== औपनिवेशिक विरोधी राष्ट्रीयता ====
१८वी शताब्दी में युरोप के लोगों ने पूरे आफ्रिका पर आक्रमण कर दिया । आफ्रिका के जनजाति समुदाय युरोपिअन सेना और ईसाई मिशनरियों का सामना नहीं कर सके और अपना टिकाव नहीं कर सके । १९वीं शताब्दी के प्रारंभ तक तो युरोप ने संपूर्ण आफ्रिका को युरोप का उपनिवेश बना दिया। वहाँ के लोगों का शोषण किया और उनकी जनजाति संस्कृति का पूर्ण विध्वंस किया, वहां के प्राकृतिक संसाधनों को लूटा । अपनी भू राजनैतिक शक्ति के आधार पर दूसरे समाज को, देशों को लूटने का, उनका सर्वनाश करने का, उन्हें समाप्त कर देने का यह उदाहरण सारे सभ्य समाज को लज्जित करनेवाला है।
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१८वी शताब्दी में युरोप के लोगों ने पूरे आफ्रिका पर आक्रमण कर दिया । आफ्रिका के जनजाति समुदाय युरोपिअन सेना और ईसाई मिशनरियों का सामना नहीं कर सके और अपना टिकाव नहीं कर सके । १९वीं शताब्दी के प्रारंभ तक तो युरोप ने संपूर्ण आफ्रिका को युरोप का उपनिवेश बना दिया। वहाँ के लोगों का शोषण किया और उनकी जनजाति संस्कृति का पूर्ण विध्वंस किया, वहां के प्राकृतिक संसाधनों को लूटा । अपनी भू राजनैतिक शक्ति के आधार पर दूसरे समाज को, देशों को लूटने का, उनका सर्वनाश करने का, उन्हें समाप्त कर देने का यह उदाहरण सारे सभ्य समाज को लज्जित करनेवाला है। इसमें केवल इथोपिया अपवाद रहा । वहाँ के राजा मनेलिक दूसरे के धैर्य, पराक्रम, कूटनीति और कशलता के कारण १ मार्च १८९६ के दिन इथोपिया अडोवा युद्ध (Battle of -dowa) जीत गया और इटली हार गया । इथोपिया अपनी स्वतंत्रता की रक्षा कर सका। लेकिन उसके बाद पूरा आफ्रिका अनेक नेशन्स में विभाजित हो गया । १८४७ से १९५० तक युरोप के आधिपत्य के कारण आफ्रिका की मूल जातियों की संस्कृति नष्ट हो गई और आफ्रिका में अनेक राष्ट्रों की सीमाओं का निर्माण हुआ।
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इसमें केवल इथोपिया अपवाद रहा । वहाँ के राजा मनेलिक दूसरे के धैर्य, पराक्रम, कूटनीति और कशलता के
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भूराजनैतिक राष्ट्रीयता की भावना से निर्माण हुआ राष्ट्र, साम्राज्यवाद की भावना के कारण नष्ट हुआ उसका यह वैश्विक उदाहरण है।
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==== अति राष्ट्रवाद ====
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अपने भौगोलिक राष्ट्र के प्रति अति स्वाभिमान के परिणाम रूप उत्पन्न अहंकार के कारण से भी विश्व में राष्ट्र भावना का अतिरेक देखा गया है। इस से मानव समाज को बहुत हानि पहँची है।
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जर्मनी के हिटलर की नाजी भावना के कारण से उसे तानाशाह बनाया और उसकी तानाशाही ( फासिझम) ने राष्ट्रीय समाजवाद (National socialism) को जन्म दिया । अपनी जाति अथवा वंश को महान मानना तथा अन्य वंशों को हीन मानने की भावना के परिणाम स्वरूप १९२० के समय में यहुदियों पर भयंकर, अमानवीय अत्याचार किये गये और लाखों यहूदियों को मोत के घाट उतारा गया ।
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The Nazis sent millions of Jews, Gypsy and other people to concentration camps where they were killed. These killings are known as Holocaust. (Anti - Semitism) ईसाई मत छोडकर अन्य मतावलम्बियों के प्रति अत्याचार करना, अन्यों को मार डालना, उनको समाप्त कर देना ही न्याय सम्मत है, इस प्रकार का प्रबोधन बाईबल में किया गया है। नाझी लोगों के अत्याचार का आधार भी यही रहा है।
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==== साम्यवादियों का अति राष्ट्रवाद ====
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वामपंथियों की हिंसा से प्रेरित राष्ट्रीयता के कारण भी विश्व में मानवता का शोषण हुआ है। सोवियत रशिया -
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सोवियत युनिअन ने जार की वसाहतों एवं एशिया और युरोप में अनेक आक्रमण किये और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। मध्य एशिया के कजाकिस्थान, किरालिस्थान, तनकिस्थान, उजबेकिस्थानऔर तुर्कमेनिस्थान के करोड़ों लोगों को मार डाला। रशियन राष्ट्रवाद और रशियन साम्राज्यवाद की मानसिकताने वहां की अरबी भाषा को बदल दिया, अनेक देशों की मूल भाषा और संस्कृति को नष्ट किया। इस प्रकार ७० वर्ष तक साम्राज्यवाद की भावना से राज्य चलाने के बाद भी आखिर में १९८९९० में सोवियत युनिअन बिखर गया, सारे देश स्वतंत्र हो गये। केवल रशिया देश राष्ट्र (नेशन) बचा रहा । अर्थात् राज्य राष्ट्र बनने का आधार नहीं है, सांस्कृतिक आधार ही 'राष्ट्र के नाते जीने का शाश्वत आधार दीखाई देता है। धार्मिक राष्ट्रवाद ___धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्माण भी हुआ है। मध्य पूर्व देशों में अधिक मुसलमान (इस्लाम मतावलम्बी) हैं। इस्लाम पंथ भी देश, सीमा मानता नहीं है। परंतु अनेक वर्ष खलीफा को सारे इस्लाम देशों का राजा मानकर चलने के बाद भी जब राष्ट्रीय भावना जाग्रत हुई तब अनेक राष्ट्रों (नेशन्स) का जन्म और विकास हुआ । इरान इराक अलग हैं और दोनों के बीच शत्रुता है। पाकिस्तान- इरान, पाकिस्तान - अफ्धानिस्तान तथा जॉर्डन - पेलेस्टाईन और इजिप्त - पेलेस्टाईन सब के बीच में शत्रुता है। सब अलग राष्ट्र हैं, नेशन्स हैं।
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पश्चिमी जगत में राष्ट्र (नेशन) का स्वरूप
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पश्चिम में राष्ट्र राज्य अवधारणा (National State Concept) है। राष्ट्र राज्य के आधारित है। जब राज्य जीतता था तब राष्ट्र विद्यमान था, परन्तु जब राज्य बदल जाता था तो राष्ट्र भी बदल जाता था । इस बात को समझने के लिये मिस्र, इजिप्त देश राष्ट्र के इतिहास का अध्ययन करना आवश्यक है।
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मिस्र विश्व में एक प्राचीन राष्ट्र था । वहाँ फराहो राजा
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सोवियत युनिअन ने जार की वसाहतों एवं एशिया और युरोप में अनेक आक्रमण किये और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। मध्य एशिया के कजाकिस्थान, किरालिस्थान, तनकिस्थान, उजबेकिस्थानऔर तुर्कमेनिस्थान के करोड़ों लोगों को मार डाला। रशियन राष्ट्रवाद और रशियन साम्राज्यवाद की मानसिकताने वहां की अरबी भाषा को बदल दिया, अनेक देशों की मूल भाषा और संस्कृति को नष्ट किया। इस प्रकार ७० वर्ष तक साम्राज्यवाद की भावना से राज्य चलाने के बाद भी आखिर में १९८९९० में सोवियत युनिअन बिखर गया, सारे देश स्वतंत्र हो गये। केवल रशिया देश राष्ट्र (नेशन) बचा रहा । अर्थात् राज्य राष्ट्र बनने का आधार नहीं है, सांस्कृतिक आधार ही 'राष्ट्र के नाते जीने का शाश्वत आधार दीखाई देता है।
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==== धार्मिक राष्ट्रवाद ====
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धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्माण भी हुआ है। मध्य पूर्व देशों में अधिक मुसलमान (इस्लाम मतावलम्बी) हैं। इस्लाम पंथ भी देश, सीमा मानता नहीं है। परंतु अनेक वर्ष खलीफा को सारे इस्लाम देशों का राजा मानकर चलने के बाद भी जब राष्ट्रीय भावना जाग्रत हुई तब अनेक राष्ट्रों (नेशन्स) का जन्म और विकास हुआ । इरान इराक अलग हैं और दोनों के बीच शत्रुता है। पाकिस्तान- इरान, पाकिस्तान - अफ्धानिस्तान तथा जॉर्डन - पेलेस्टाईन और इजिप्त - पेलेस्टाईन सब के बीच में शत्रुता है। सब अलग राष्ट्र हैं, नेशन्स हैं।
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==== पश्चिमी जगत में राष्ट्र (नेशन) का स्वरूप ====
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पश्चिम में राष्ट्र राज्य अवधारणा (National State Concept) है। राष्ट्र राज्य के आधारित है। जब राज्य जीतता था तब राष्ट्र विद्यमान था, परन्तु जब राज्य बदल जाता था तो राष्ट्र भी बदल जाता था । इस बात को समझने के लिये मिस्र, इजिप्त देश राष्ट्र के इतिहास का अध्ययन करना आवश्यक है।
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मिस्र विश्व में एक प्राचीन राष्ट्र था । वहाँ फराहो राजा राज्य करते थे। उन्होंने शवों को । सुरक्षित रखने के लिये ममी और पिरामिड्ज का भी निर्माण किया था । जब जर्मन क्षेत्र से सेमेटिक बर्बर जातियों ने उन पर आक्रमण किया और उनको हराकर उन पर कब्जा कर लिया तब मिस्र राष्ट्र नष्ट हो गया। उसके बाद फ्रांस ने आक्रमण किया, बाद में रोम ने आक्रमण किया और इस तीसरे आक्रमण के बाद मिस्र (इजिप्त) रोमन साम्राज्य के अंतर्गत आ गया।
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उसके बाद अरब (मुस्लिम) आक्रमणकारियों ने रोम पर आक्रमण किया और पूरा इस्लामीकरण हो गया । फराहो संस्कृति, फराहो विचार, फराहो परम्परा को जीवित रखने की व्यवस्था वहाँ नहीं थी इसलिये राज्य बदलते ही राष्ट्र नष्ट हो गया । इन सभी पुराने देशों की - इरान, ग्रीस, रोम, पर्शिया, मिस्र- सब की कहानी लगभग एक समान है। भूजागतिक राष्ट्रीयता होने के कारण राष्ट्र नष्ट होते गये अथवा दूसरों का शोषण करते गये और मानवता का विध्वंस होता गया।
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अब जब हम भारत के बारे में सोचते हैं तब स्वराज्य प्राप्ति के बाद का भ्रम सामने आता है । भारत आज़ाद होने के बाद संविधान तो बना । राष्ट्रभक्त महान विद्वान डॉ. संपूर्णानंद को भावनात्मक एकात्मता समिति (Emotional National integration Committee) का अध्यक्ष बनाया गया था। संपूर्ण देश में भावनात्मक एकात्मता निर्माण करने का यह प्रयास था । डॉ. संपूर्णानंदजी लिखते हैं, 'दुर्भाग्य है कि आज तक अपने राष्ट्र का कोई दर्शन निश्चित नहीं है। जब राष्ट्र का दर्शन नहीं है तो शिक्षा का दर्शन तो कहाँ से होगा ? 'अत्यंत आश्चर्य की बात है कि स्वतंत्रता के पश्चात हम कौन है, हमारी परम्परा, हमारा इतिहास क्या है, हमारे पूर्वज कौन थे, हमारे उद्देश्य क्या हैं, विश्व को हमारा योगदान क्या हो इत्यादि विषयों के बारे में कुछ निश्चित नहीं किया गया ।
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==== विदेशियों द्वारा भ्रम निर्माण ====
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मेक्समूलर नामक विद्वान लिखता है, "Indians are
    
==References==
 
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