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१. इस लेख का शीर्षक ही अतार्किक है । यन्त्र निर्जीव होता है। उसके लिये संस्कृति आप्रस्तुत है। वह प्रकृति के अधीन होता है । संस्कृति मनुष्य के लिये होती है। परन्तु यन्त्र से जुड़कर जिसका प्रादुर्भाव होता है वह संस्कृति नहीं अपितु विकृति ही होती है ऐसा आजतक का विश्व का अनुभव कह रहा है। विकृति शीर्षक ही होना चाहिये यन्त्रविकृति से विनाश ।
 
१. इस लेख का शीर्षक ही अतार्किक है । यन्त्र निर्जीव होता है। उसके लिये संस्कृति आप्रस्तुत है। वह प्रकृति के अधीन होता है । संस्कृति मनुष्य के लिये होती है। परन्तु यन्त्र से जुड़कर जिसका प्रादुर्भाव होता है वह संस्कृति नहीं अपितु विकृति ही होती है ऐसा आजतक का विश्व का अनुभव कह रहा है। विकृति शीर्षक ही होना चाहिये यन्त्रविकृति से विनाश ।
  

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