९. कृषि के लिये, वस्त्र निर्माण के लिये, छोटे से छोटे काम के लिये और पेट्रोल आदि ऊर्जा से चलने वाले यन्त्रों का प्रयोग होता है । ये यन्त्र विराटकाय होते हैं। ऐसी ऊर्जा के परिचालन के लिये भी अनेक यन्त्रों की आवश्यकता होती है । इस प्रकार यन्त्र के लिये यन्त्र, उसके लिये यन्त्र, उसके लिये यन्त्र ऐसी अनन्त शुखला निर्माण होती है जो पर्यावरण का नाश करती है, मनुष्य की शक्ति, बुद्धि और वृत्ति का नाश करती है, कौशल का नाश करती है और मनुष्य का भी नाश करती है । | ९. कृषि के लिये, वस्त्र निर्माण के लिये, छोटे से छोटे काम के लिये और पेट्रोल आदि ऊर्जा से चलने वाले यन्त्रों का प्रयोग होता है । ये यन्त्र विराटकाय होते हैं। ऐसी ऊर्जा के परिचालन के लिये भी अनेक यन्त्रों की आवश्यकता होती है । इस प्रकार यन्त्र के लिये यन्त्र, उसके लिये यन्त्र, उसके लिये यन्त्र ऐसी अनन्त शुखला निर्माण होती है जो पर्यावरण का नाश करती है, मनुष्य की शक्ति, बुद्धि और वृत्ति का नाश करती है, कौशल का नाश करती है और मनुष्य का भी नाश करती है । |