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# १९. पश्चिम स्वतन्त्रता का सही अर्थ नहीं जानता। वह जैसा भी जानता है उसमें भी उसकी नीयत अच्छी नहीं है। वह अपने लिये तो स्वतन्त्रता चाहता है। परन्तु दूसरों की स्वतन्त्रता : छीनकर उन्हें अपना दास बनाना चाहता है। ऐसा अन्याय वह हमेशा करता है, किंबहुना उसे वह गलत मानता भी नहीं है। उसे सही बात समझाना भारत स्वतन्त्र होगा तभी हो पायेगा।  
 
# १९. पश्चिम स्वतन्त्रता का सही अर्थ नहीं जानता। वह जैसा भी जानता है उसमें भी उसकी नीयत अच्छी नहीं है। वह अपने लिये तो स्वतन्त्रता चाहता है। परन्तु दूसरों की स्वतन्त्रता : छीनकर उन्हें अपना दास बनाना चाहता है। ऐसा अन्याय वह हमेशा करता है, किंबहुना उसे वह गलत मानता भी नहीं है। उसे सही बात समझाना भारत स्वतन्त्र होगा तभी हो पायेगा।  
 
# २०. भारत को स्वतन्त्र बनाना अब शासन के बस की बात नहीं रही। यह कार्य धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों के नेतृत्व में भारतीय प्रजा ही कर सकती है। धर्माचार्य और शिक्षक इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
 
# २०. भारत को स्वतन्त्र बनाना अब शासन के बस की बात नहीं रही। यह कार्य धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों के नेतृत्व में भारतीय प्रजा ही कर सकती है। धर्माचार्य और शिक्षक इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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==== ७. श्रद्धा और विश्वास ====
    
==References==
 
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