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==== ४. आत्मविश्वास प्राप्त करना ====
 
==== ४. आत्मविश्वास प्राप्त करना ====
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१. भारत विश्व का प्राचीनतम देश है इसमें तो विश्व में किसी को सन्देह नहीं है। ऋग्वेद विश्व की प्रथम ज्ञान की पुस्तक है यह भी विश्वमान्य है। भारत ने सत्रहवीं शताब्दी तक विश्वव्यापार में अग्रक्रम प्राप्त किया है इसमें भी विश्व को सन्देह नहीं है। ऐसा भारत ज्ञान, व्यवहार और समृद्धि में अग्रणी हो सकता है ऐसा विश्वास विश्व के देशों को तो है, भारत को स्वयं को नहीं है। ऐसा आत्मविश्वास भारत को प्राप्त करने की आवश्यकता है।
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२. जिस भारत को देवतात्मा हिमालय और सिन्धुसागर, रत्नाकर और पूर्वसमुद्र जैसे रक्षक प्राप्त हुए हैं, विश्व में केवल उसे ही छ: ऋतुओं की विविधता प्राप्त हुई है। अत्यन्त सन्तुलित और समृद्ध प्राकृतिक स्थिति प्राप्त हुई है। धर्म और संस्कृति की संकल्पना देने वाली बुद्धि प्राप्त हुई है। ऐसा भारत विश्वकल्याण की क्षमता रखता है इसमें भारत को सन्देह नहीं होना चाहिये।
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३. भारत आदिकाल से विश्व में संचार करता रहा है। अपना ज्ञान, अपनी सुसंस्कृत जीवनशैली, अपनी कला कारीगरी, अपनी सभ्यता अन्य देशों को सिखाता रहा है। विश्व के सभी देश भारत से लाभान्वित होते रहे हैं और भारत के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते रहे हैं। कोई कारण नहीं कि आज भी भारत विश्व को सुख, समृद्धि और शान्ति का मार्ग न दिखा सके।
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४. आज भी विश्व के अनेक देशों में भारतीय हैं। विशेष रूप से अमेरिका में भारतीयों का जो योगदान है वह लक्षणीय है। डॉक्टर, इन्जिनीयर, मैनेजर, वैज्ञानिक, संगणक निष्णात आदि विविध रूपों में भारतीयों का योगदान है । एक गिनती के अनुसार अमेरिका की दो सौ कम्पनियों के मुख्य कार्यवाहक अधिकारी भारतीय हैं। नासा में अनेक भारतीय वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। ऐसा भारत विश्व में अग्रणी हो सकता है इसमें किसे सन्देह हो सकता है।
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५. भारत का ज्ञान विज्ञान, सांस्कृतिक परम्परायें, कला, कौशल और जीवनदृष्टि किसी भी राष्ट्र को अभ्युदय और निःश्रेयस की प्राप्ति करवाने में सक्षम है। इन बातों के चलते जो देश अपना विकास कर सकता है वह विश्व को भी मार्ग दिखा सकता है।
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६. जीवन की श्रेष्ठता किन बातों में है यह भारत जानता है। श्रेष्ठता कैसे प्राप्त की जाती है वह भी भारत जानता है। इस श्रेष्ठता के बल पर भारत विश्व की निकृष्ट बातों को जान सकता है। निकृष्ट बातों का विश्लेषण कर उसे दूर करने हेतु परामर्श देने की क्षमता भारत में है।
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७. अन्य देशों की तुलना में भारत युवा देश है। भारत का औसत विद्यार्थी अमेरिका के औसत विद्यार्थी की तुलना में अधिक बुद्दिमान है । भारत की जनसंख्या भारत की शक्ति है। समस्याओं को सुलझाने की भारत में सहज बुद्धि है। ऐसा भारत विश्व का पथप्रदर्शक बनने की क्षमता रखता है।
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८. भारत की आत्मा, एकात्मता और आध्यात्मिकता, पुनर्जन्म, जन्मान्तर और मोक्ष, धर्म, सम्प्रदाय, संस्कृति और सभ्यता, कुटुम्बभावना, संस्कार और विवेक की संकल्पना किसी के पास नहीं है । इन संकल्पनाओं के आधार पर भारत ने अपना सुसंस्कृत जीवन विकसित किया है । ऐसा देश विश्व का अग्रणी होने की पात्रता रखता है इसमें क्या आश्चर्य है ?
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९. जो लेने से अधिक देने में विश्वास करता हो, अपने से पहले दूसरों का विचार करता हो, अपने से छोटों का रक्षण और पोषण करने को अपना कर्तव्य मानता हो, किसी की भी स्वतन्त्रता को छीनता न हो उस देश को विश्वास होना चाहिये कि वह अन्यों को भी अच्छा जीवन जीने की राह दिखा सकता है।
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१०. जो देश हमेशा चराचर के हित की ही कामना करता
    
==References==
 
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