Line 90:
Line 90:
# तात्पर्य यह है कि भौतिक स्तर पर जीने के स्थान पर भारत को अन्तःकरण के स्तर पर जीने का प्रारम्भ करना चाहिये । यह उन्नत अवस्था है। यह विकास की दिशा है। इससे श्रेष्ठता प्राप्त होती है। इससे प्रभाव निर्माण होता है।
# तात्पर्य यह है कि भौतिक स्तर पर जीने के स्थान पर भारत को अन्तःकरण के स्तर पर जीने का प्रारम्भ करना चाहिये । यह उन्नत अवस्था है। यह विकास की दिशा है। इससे श्रेष्ठता प्राप्त होती है। इससे प्रभाव निर्माण होता है।
# सामान्य जन में यह भावना है परन्तु उसकी प्रतिष्ठा नहीं है। विद्वज्जन में यह भावना नहीं है इसलिये वह उपेक्षित है। या तो विद्वज्जन को सामान्य और सामान्य को विद्वज्जन बनना चाहिये अथवा विद्वज्जन को पवित्रता की भावना अपने अन्तःकरण में प्रतिष्ठित करनी चाहिये । यह कार्य घरों में, मन्दिरों में और विद्यालयों में एक साथ होने से परिणामकारी पद्धति से हो सकेगा।
# सामान्य जन में यह भावना है परन्तु उसकी प्रतिष्ठा नहीं है। विद्वज्जन में यह भावना नहीं है इसलिये वह उपेक्षित है। या तो विद्वज्जन को सामान्य और सामान्य को विद्वज्जन बनना चाहिये अथवा विद्वज्जन को पवित्रता की भावना अपने अन्तःकरण में प्रतिष्ठित करनी चाहिये । यह कार्य घरों में, मन्दिरों में और विद्यालयों में एक साथ होने से परिणामकारी पद्धति से हो सकेगा।
+
+
==== ४. आत्मविश्वास प्राप्त करना ====
==References==
==References==