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१. पश्चिमी जीवनविचार आत्मतत्त्व को नहीं जानता है । इसी कारण से उसे आध्यात्मिक सोच का भी पता नहीं है । अंग्रेजी भाषा में “स्पीरीच्युअल' जैसा शब्द तो है और उसका भारत में “आध्यात्मिक' ऐसा अनुवाद भी किया जाता है परन्तु दोनों संकल्पनाओं की व्याप्ति भिन्न है । इस भिन्नता की ओर ध्यान नहीं देने से पश्चिमी जीवनविचार को भी ठीक से जाना नहीं जा सकता ।
 
१. पश्चिमी जीवनविचार आत्मतत्त्व को नहीं जानता है । इसी कारण से उसे आध्यात्मिक सोच का भी पता नहीं है । अंग्रेजी भाषा में “स्पीरीच्युअल' जैसा शब्द तो है और उसका भारत में “आध्यात्मिक' ऐसा अनुवाद भी किया जाता है परन्तु दोनों संकल्पनाओं की व्याप्ति भिन्न है । इस भिन्नता की ओर ध्यान नहीं देने से पश्चिमी जीवनविचार को भी ठीक से जाना नहीं जा सकता ।
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२. भारतीय जीवनविचार अध्यात्म का अधिष्टान लिये है जबकि पश्चिमी जीवनविचार भौतिकता का । इसका तात्पर्य क्या है ? इसका तात्पर्य यह है कि भारत में भौतिकता का विरोध नहीं है अपितु अध्यात्म के प्रकाश में भौतिकता को मान्यता है । जो अध्यात्म के अविरोध है ऐसी भौतिकता को मान्यता है ।
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२. धार्मिक जीवनविचार अध्यात्म का अधिष्टान लिये है जबकि पश्चिमी जीवनविचार भौतिकता का । इसका तात्पर्य क्या है ? इसका तात्पर्य यह है कि भारत में भौतिकता का विरोध नहीं है अपितु अध्यात्म के प्रकाश में भौतिकता को मान्यता है । जो अध्यात्म के अविरोध है ऐसी भौतिकता को मान्यता है ।
    
३. भौतिकता का अर्थ मनुष्य के व्यक्तित्व में होता है अन्नमय शरीर और उसे जीवित रखनेवाला शरीर । सृष्टि में उसका अर्थ होता है पंचमहाभूतात्मक पदार्थ । मनुष्य के व्यक्तित्व में शरीर और प्राण के अलावा अन्तःकरण होता है और सृष्टि में सत्व, रज और तम ऐसे तीन गुण होते हैं। मनुष्य के व्यक्तित्व में अन्तःकरण का विचार तो होता है परन्तु उसे शरीर के अनुकूल बनाया जाता है । सृष्टि के तीन गुणों के अस्तित्व और उनकी भूमिका के विषय में कोई स्पष्टता नहीं है ।
 
३. भौतिकता का अर्थ मनुष्य के व्यक्तित्व में होता है अन्नमय शरीर और उसे जीवित रखनेवाला शरीर । सृष्टि में उसका अर्थ होता है पंचमहाभूतात्मक पदार्थ । मनुष्य के व्यक्तित्व में शरीर और प्राण के अलावा अन्तःकरण होता है और सृष्टि में सत्व, रज और तम ऐसे तीन गुण होते हैं। मनुष्य के व्यक्तित्व में अन्तःकरण का विचार तो होता है परन्तु उसे शरीर के अनुकूल बनाया जाता है । सृष्टि के तीन गुणों के अस्तित्व और उनकी भूमिका के विषय में कोई स्पष्टता नहीं है ।

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