३. भौतिकता का अर्थ मनुष्य के व्यक्तित्व में होता है अन्नमय शरीर और उसे जीवित रखनेवाला शरीर । सृष्टि में उसका अर्थ होता है पंचमहाभूतात्मक पदार्थ । मनुष्य के व्यक्तित्व में शरीर और प्राण के अलावा अन्तःकरण होता है और सृष्टि में सत्व, रज और तम ऐसे तीन गुण होते हैं। मनुष्य के व्यक्तित्व में अन्तःकरण का विचार तो होता है परन्तु उसे शरीर के अनुकूल बनाया जाता है । सृष्टि के तीन गुणों के अस्तित्व और उनकी भूमिका के विषय में कोई स्पष्टता नहीं है । | ३. भौतिकता का अर्थ मनुष्य के व्यक्तित्व में होता है अन्नमय शरीर और उसे जीवित रखनेवाला शरीर । सृष्टि में उसका अर्थ होता है पंचमहाभूतात्मक पदार्थ । मनुष्य के व्यक्तित्व में शरीर और प्राण के अलावा अन्तःकरण होता है और सृष्टि में सत्व, रज और तम ऐसे तीन गुण होते हैं। मनुष्य के व्यक्तित्व में अन्तःकरण का विचार तो होता है परन्तु उसे शरीर के अनुकूल बनाया जाता है । सृष्टि के तीन गुणों के अस्तित्व और उनकी भूमिका के विषय में कोई स्पष्टता नहीं है । |