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बिहार की प्राचीन नगरी है। प्रसिद्ध लिच्छवि गणराज्य की राजधानी जिसे सम्पूर्ण वजिज संघ की राजधानी होने का भी गौरव प्राप्त है। यह नगरी एक समय अपनी भव्यता और वैभव के लिए सम्पूर्ण देश में विख्यात थी। २४ वें जैन तीर्थकर महावीर का जन्म वैशाली में ही हुआ था। इस नाते यह जैन पंथ का प्रसिद्ध तीर्थ एवं श्रद्धा का केन्द्र है। बुद्ध के समय में भारत के छ: प्रमुख नगरों में वैशाली भी एक थी।बुद्ध ने भी इस नगरी को अपना सान्निध्य प्रदान किया। वैशाली का नामकरण इक्ष्वाकुवंशी राजा विशाल के नाम पर हुआ माना जाता है। भगवान् राम ने मिथिला जाते हुए इसकी भव्यता का अवलोकन किया था।   
 
बिहार की प्राचीन नगरी है। प्रसिद्ध लिच्छवि गणराज्य की राजधानी जिसे सम्पूर्ण वजिज संघ की राजधानी होने का भी गौरव प्राप्त है। यह नगरी एक समय अपनी भव्यता और वैभव के लिए सम्पूर्ण देश में विख्यात थी। २४ वें जैन तीर्थकर महावीर का जन्म वैशाली में ही हुआ था। इस नाते यह जैन पंथ का प्रसिद्ध तीर्थ एवं श्रद्धा का केन्द्र है। बुद्ध के समय में भारत के छ: प्रमुख नगरों में वैशाली भी एक थी।बुद्ध ने भी इस नगरी को अपना सान्निध्य प्रदान किया। वैशाली का नामकरण इक्ष्वाकुवंशी राजा विशाल के नाम पर हुआ माना जाता है। भगवान् राम ने मिथिला जाते हुए इसकी भव्यता का अवलोकन किया था।   
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एक्यूड
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=== राजगृह ===
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पटना से लगभग १०० किमी. दक्षिण-पूर्व में पहाड़ियों से घिरा हुआ 'राजगिर" (राजगृह) अति प्राचीन नगर है। यहाँ के प्रमुख स्थान हैं राजगृह, वसुमति, बृहद्पुर, गिरिव्रज। यह नगर बौद्ध, जैन तथा सनातनी  हिन्दुओं का तीर्थ स्थान है। अनेक शताब्दियों तक राजगिरि मगध गणराज्य की राजधानी रहा। यहाँ परबौद्ध व जैन पंथों का विकास हुआ। इक्कीसवें तीर्थकर मुनि सुव्रतनाथ का जन्म, तप, ज्ञान, कल्याणक यहीं हुए।अन्तिम तीर्थकर महावीर स्वामी ने राजगिर में कई चातुर्मास किये। राजगिर के चारों ओर पाँच पहाड़ियाँ हैं जिन पर जैन व बौद्ध मन्दिर हैं। पहाड़ियों में कई झरने व कुण्ड हैं जिनमें ब्रह्मकुण्ड, सप्तर्षिधारा,गंगा-यमुना कुण्ड, अनन्त कुण्ड, काशीधारा प्रमुख हैं। झरनों में अनेक गन्धक के झरने हैं जिनमें व्याधि-हरण की अद्भुतक्षमता है। रास्वसंघ केआद्य सरसंघचालक डा. हेडगेवार भी यहाँ पधारे थे। वेणुवन, गृधकुटतथा सप्तपणीं बौद्धों के प्रसिद्धतीर्थ स्थान हैं। करकन्द निवास,पीपला गुफा, सोन भण्डार, रणभूमि (भीम-जरासंघ की), जीवक का आम्र कुंज, विश्वशांति स्तूप, बाण गंगा नामक कई दर्शनीय स्थान यहाँ हैं।
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पटना से लगभग 100 किमी. दक्षिण-पूर्व में पहाड़ियों से घिरा हुआ
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=== नालन्दा ===
 
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राजगृह से लगभग 11 कि.मी. दूर नालन्दा विश्वविद्यालय के खण्डहर विद्यमान हैं। इसका इतिहास बहुत प्राचीन है। ईसा के कई शताब्दी पूर्व इसकी स्थापना हुई। इस विश्वविद्यालय में संसार के समस्त देशों से विद्याथीं विद्यार्जन के लिएआतेथे।अनेक शताब्दियों तक यह विश्वविद्यालय ज्ञान-सुरभि चतुर्देिक फैलाता रहा। नागार्जुन,शीलभद्र, दिडनाग, धर्मकीर्ति  
'राजगिर" (राजगृह) अति प्राचीन नगर है। यहाँ के प्रमुख स्थान हैं
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राजगृह, वसुमति, बृहद्पुर, गिरिव्रज। यह नगर बौद्ध, जैन तथा सनातनी 2. महाकवि दण्डी की प्रसिद्ध कृति दशकुमारचरितम् में मगधदेश शेखरीभूता पुष्पपुरी नाम
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नगरी।" उल्लेख किया हैं। <sup>हिन्दुओं का तीर्थ स्थान है। अनेक शताब्दियों तक राजगिरि मगध</sup>
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64 पुण्यभूमेभारत <sup>हत्तर-पशिलमएवंटलताए-भारत 65</sup>
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गणराज्य की राजधानी रहा। यहाँ परबौद्ध व जैन पंथों का विकास हुआ।
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इक्कीसवें तीर्थकर मुनि सुव्रतनाथ का जन्म, तप, ज्ञान, कल्याणक यहीं
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हुए।अन्तिम तीर्थकर महावीर स्वामी ने राजगिर में कई चातुर्मास किये।
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राजगिर के चारों ओर पाँच पहाड़ियाँ हैं जिन पर जैन व बौद्ध मन्दिर हैं।
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पहाड़ियोंमें कईझरने व कुण्ड हैं जिनमेंब्रह्मकुण्ड, सप्तर्षिधारा,गंगा-यमुना
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कुण्ड, अनन्त कुण्ड, काशीधारा प्रमुख हैं। झरनों में अनेक गन्धक के झरने
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हैं जिनमें व्याधि-हरण की अद्भुतक्षमता है। रास्वसंघ केआद्य सरसंघचालक
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डा. हेडगेवार भी यहाँ पधारे थे। वेणुवन, गृधकुटतथा सप्तपणीं बौद्धों के
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प्रसिद्धतीर्थ स्थान हैं। करकन्द निवास,पीपला गुफा, सोन भण्डार, रणभूमि
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(भीम-जरासंघ की), जीवक का आम्र कुंज, विश्वशांति स्तूप, बाण गंगा
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नामक कई दर्शनीय स्थान यहाँ हैं।
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राजगृह से लगभग 11 कि.मी. दूर नालन्दा विश्वविद्यालय के खण्डहर  
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विद्यमान हैं। इसका इतिहास बहुत प्राचीन है। ईसा के कई शताब्दी पूर्व  
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इसकी स्थापना हुई। इस विश्वविद्यालय में संसार के समस्त देशों से  
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विद्याथीं विद्यार्जन के लिएआतेथे।अनेक शताब्दियों तक यह विश्वविद्यालय  
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ज्ञान-सुरभि चतुर्देिक फैलाता रहा। नागार्जुन,शीलभद्र, दिडनाग, धर्मकीर्ति  
      
==References==
 
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