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→‎पाटलिपुत्र: लेख सम्पादित किया
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बिहार का सुप्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक नगर,जो अनेक साम्राज्यों और राज्यों की राजधानी रहा,आजकल पटना नाम से प्रसिद्ध है। प्राचीन समय  में उसे पाटलिपुत्र' या पाटलीपुत्र के अतिरिक्त कुसुमपुर, पुष्पपुरी" या  कुसुमध्वज नामों से भी जाना जाता था। यह गंगा और शोणभद्र (सोन)  नदियों के संगम पर बसा है। ईसा से सैकड़ों वर्ष पूर्व बुद्ध के अनुयायी अजातशत्रु नामक राजा ने इस नगर का निर्माण करवाया था। स्वयं बुद्ध ने इसके उत्कर्ष की भविष्यवाणी की थी। यह दीर्घकाल तक मगध साम्राज्य की राजधानी रहा और इसने नन्द, मौर्य,शगु और गुप्त वंशों के महान् साम्राज्यों का उत्थान-पतन देखा। सिख पन्थ के दसवें गुरु श्री गोविन्द सिंह का जन्म पटना में ही हुआ था। स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद की भी यह कर्मभूमि रहा है। पाटलिपुत्र शक्तिपीठ के रूप में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जिस स्थान पर भगवती सती के पट(वस्त्र) गिरे, वहाँ पटन देवी का मन्दिर चिर काल से शक्तिपीठ के रूप में पूजित है। गुरु गोविन्द सिंह के जन्म-स्थान परपटना साहिब का प्रसिद्ध गुरुद्वारा बना हुआ है। प्रतिवर्ष पौष शुक्ल सप्तमी को यहाँ गुरु गोविन्द सिंह का जन्म महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।पटना सिद्ध क्षेत्र माना गया है। यहाँ कई जैन मन्दिर तथा बौद्ध मठ विद्यमान हैं। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आर्यभट्ट का जन्म यहीं हुआ था।आचार्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त ने भी पाटलिपुत्र में ही जन्म लेकर मां भारती की सेवा की।  
 
बिहार का सुप्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक नगर,जो अनेक साम्राज्यों और राज्यों की राजधानी रहा,आजकल पटना नाम से प्रसिद्ध है। प्राचीन समय  में उसे पाटलिपुत्र' या पाटलीपुत्र के अतिरिक्त कुसुमपुर, पुष्पपुरी" या  कुसुमध्वज नामों से भी जाना जाता था। यह गंगा और शोणभद्र (सोन)  नदियों के संगम पर बसा है। ईसा से सैकड़ों वर्ष पूर्व बुद्ध के अनुयायी अजातशत्रु नामक राजा ने इस नगर का निर्माण करवाया था। स्वयं बुद्ध ने इसके उत्कर्ष की भविष्यवाणी की थी। यह दीर्घकाल तक मगध साम्राज्य की राजधानी रहा और इसने नन्द, मौर्य,शगु और गुप्त वंशों के महान् साम्राज्यों का उत्थान-पतन देखा। सिख पन्थ के दसवें गुरु श्री गोविन्द सिंह का जन्म पटना में ही हुआ था। स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद की भी यह कर्मभूमि रहा है। पाटलिपुत्र शक्तिपीठ के रूप में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जिस स्थान पर भगवती सती के पट(वस्त्र) गिरे, वहाँ पटन देवी का मन्दिर चिर काल से शक्तिपीठ के रूप में पूजित है। गुरु गोविन्द सिंह के जन्म-स्थान परपटना साहिब का प्रसिद्ध गुरुद्वारा बना हुआ है। प्रतिवर्ष पौष शुक्ल सप्तमी को यहाँ गुरु गोविन्द सिंह का जन्म महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।पटना सिद्ध क्षेत्र माना गया है। यहाँ कई जैन मन्दिर तथा बौद्ध मठ विद्यमान हैं। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आर्यभट्ट का जन्म यहीं हुआ था।आचार्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त ने भी पाटलिपुत्र में ही जन्म लेकर मां भारती की सेवा की।  
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टैशाली
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=== वैशाली ===
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बिहार की प्राचीन नगरी है। प्रसिद्ध लिच्छवि गणराज्य की राजधानी जिसे सम्पूर्ण वजिज संघ की राजधानी होने का भी गौरव प्राप्त है। यह नगरी एक समय अपनी भव्यता और वैभव के लिए सम्पूर्ण देश में विख्यात थी। २४ वें जैन तीर्थकर महावीर का जन्म वैशाली में ही हुआ था। इस नाते यह जैन पंथ का प्रसिद्ध तीर्थ एवं श्रद्धा का केन्द्र है। बुद्ध के समय में भारत के छ: प्रमुख नगरों में वैशाली भी एक थी।बुद्ध ने भी इस नगरी को अपना सान्निध्य प्रदान किया। वैशाली का नामकरण इक्ष्वाकुवंशी राजा विशाल के नाम पर हुआ माना जाता है। भगवान् राम ने मिथिला जाते हुए इसकी भव्यता का अवलोकन किया था। 
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बिहार की प्राचीन नगरी है। प्रसिद्ध लिच्छवि गणराज्य की राजधानी
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एक्यूड
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जिसे सम्पूर्ण वजिज संघ की राजधानी होने का भी गौरव प्राप्त है। यह
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पटना से लगभग 100 किमी. दक्षिण-पूर्व में पहाड़ियों से घिरा हुआ
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नगरी एक समय अपनी भव्यता और वैभव के लिए सम्पूर्ण देश में विख्यात
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'राजगिर" (राजगृह) अति प्राचीन नगर है। यहाँ के प्रमुख स्थान हैं
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थी।24वें जैन तीर्थकरमहावीर का जन्म वैशाली में हीहुआ था। इस नाते
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राजगृह, वसुमति, बृहद्पुर, गिरिव्रज। यह नगर बौद्ध, जैन तथा सनातनी 2. महाकवि दण्डी की प्रसिद्ध कृति दशकुमारचरितम् में मगधदेश शेखरीभूता पुष्पपुरी नाम
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नगरी।" उल्लेख किया हैं। <sup>हिन्दुओं का तीर्थ स्थान है। अनेक शताब्दियों तक राजगिरि मगध</sup>
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64 पुण्यभूमेभारत <sup>हत्तर-पशिलमएवंटलताए-भारत 65</sup>
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गणराज्य की राजधानी रहा। यहाँ परबौद्ध व जैन पंथों का विकास हुआ।
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इक्कीसवें तीर्थकर मुनि सुव्रतनाथ का जन्म, तप, ज्ञान, कल्याणक यहीं
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हुए।अन्तिम तीर्थकर महावीर स्वामी ने राजगिर में कई चातुर्मास किये।
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राजगिर के चारों ओर पाँच पहाड़ियाँ हैं जिन पर जैन व बौद्ध मन्दिर हैं।
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पहाड़ियोंमें कईझरने व कुण्ड हैं जिनमेंब्रह्मकुण्ड, सप्तर्षिधारा,गंगा-यमुना
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कुण्ड, अनन्त कुण्ड, काशीधारा प्रमुख हैं। झरनों में अनेक गन्धक के झरने
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हैं जिनमें व्याधि-हरण की अद्भुतक्षमता है। रास्वसंघ केआद्य सरसंघचालक
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डा. हेडगेवार भी यहाँ पधारे थे। वेणुवन, गृधकुटतथा सप्तपणीं बौद्धों के
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प्रसिद्धतीर्थ स्थान हैं। करकन्द निवास,पीपला गुफा, सोन भण्डार, रणभूमि
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(भीम-जरासंघ की), जीवक का आम्र कुंज, विश्वशांति स्तूप, बाण गंगा
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नामक कई दर्शनीय स्थान यहाँ हैं।
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राजगृह से लगभग 11 कि.मी. दूर नालन्दा विश्वविद्यालय के खण्डहर
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विद्यमान हैं। इसका इतिहास बहुत प्राचीन है। ईसा के कई शताब्दी पूर्व
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इसकी स्थापना हुई। इस विश्वविद्यालय में संसार के समस्त देशों से
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विद्याथीं विद्यार्जन के लिएआतेथे।अनेक शताब्दियों तक यह विश्वविद्यालय
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ज्ञान-सुरभि चतुर्देिक फैलाता रहा। नागार्जुन,शीलभद्र, दिडनाग, धर्मकीर्ति
    
==References==
 
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