दस वर्षो के अथक प्रयास के बाद १८९५ ई. में मुम्बई की चौपाटी पर वेद ज्ञान पर आधारित शुद्ध स्वदेशी उपकरणोंसे निर्मित वायुयान का उन्होंने परीक्षण किया. मरुतूसखा नामक इस वायुयानकी आधे घण्टेकी खुले आकाशमें उडानके साक्षी रहे तत्कालीन सुप्रसिद्ध न्यायमूर्ति महादेव गोविन्द रानडे तथा बडोदा नरेश सयाजीराव गायकवाड । यह घटना राईट बन्धुओं के विमान उड़ाने के सात वर्ष पूर्वकी है। | दस वर्षो के अथक प्रयास के बाद १८९५ ई. में मुम्बई की चौपाटी पर वेद ज्ञान पर आधारित शुद्ध स्वदेशी उपकरणोंसे निर्मित वायुयान का उन्होंने परीक्षण किया. मरुतूसखा नामक इस वायुयानकी आधे घण्टेकी खुले आकाशमें उडानके साक्षी रहे तत्कालीन सुप्रसिद्ध न्यायमूर्ति महादेव गोविन्द रानडे तथा बडोदा नरेश सयाजीराव गायकवाड । यह घटना राईट बन्धुओं के विमान उड़ाने के सात वर्ष पूर्वकी है। |