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→‎स्त्रीपुरुष समानता: लेख सम्पादित किया
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बेटी और बेटा, स्त्री और पुरुष दोनों की आवश्यकता है । इसलिये स्त्री को स्त्री और पुरुष को पुरुष बनाना प्रथम तो घर की ही जिम्मेदारी है । स्त्री को नकारा नहीं जाता परन्तु स्त्रीत्व को नकारा जाता है यह तो स्त्री को नकारे जाने से भी अधिक घातक है यह बात मातापिता को भी समझनी चाहिये और समाजहितचिन्तकों को भी समझनी चाहिये ।  
 
बेटी और बेटा, स्त्री और पुरुष दोनों की आवश्यकता है । इसलिये स्त्री को स्त्री और पुरुष को पुरुष बनाना प्रथम तो घर की ही जिम्मेदारी है । स्त्री को नकारा नहीं जाता परन्तु स्त्रीत्व को नकारा जाता है यह तो स्त्री को नकारे जाने से भी अधिक घातक है यह बात मातापिता को भी समझनी चाहिये और समाजहितचिन्तकों को भी समझनी चाहिये ।  
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इसका ही परिणाम है कि आजकल लड़कियाँ लडकों का वेश पहनती हैं, उनकी अंगभंगिमा लड़कों जैसी होती है । आगे चलकर करिअर और व्यवसाय भी लड़कों जैसा करती है । परम्परा से घर स्त्री का होता है इसलिये अब गृहसंचालन स्त्री या पुरुष कोई नहीं करना चाहता । इससे तो घर घर नहीं रहेगा । घर ही तो संस्कृति की रक्षा करने का केन्द्र है ।  
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इसका ही परिणाम है कि आजकल लड़कियाँ लडकों का वेश पहनती हैं, उनकी अंगभंगिमा लड़कों जैसी होती है । आगे चलकर करिअर और व्यवसाय भी लड़कों जैसा करती है । परम्परा से घर स्त्री का होता है इसलिये अब गृहसंचालन स्त्री या पुरुष कोई नहीं करना चाहता । इससे तो घर घर नहीं रहेगा । घर ही तो संस्कृति की रक्षा करने का केन्द्र है । उस पर ही संकट आया है। अतः मातापिता को चाहिये कि शिशुअवस्था से बेटी का बेटी की तरह और बेटे का बेटे की तरह संगोपन करे और बेटे को बेटी का, बेटी के रूप में सम्मान करना सिखायें । स्त्रीत्व का सम्मान करने के स्थान पर पुरुषत्व की कसौटी पर खरी उतरने वाली स्त्री का सम्मान करना पुरुषत्व का ही सम्मान है । यह समाज के लिये घातक है ।  
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''उस पर ही संकट आया है । अतः मातापिता को... सम्मान करना पुरुषत्व का ही सम्मान''
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यह एक बड़ा विषय है। देश के साधुसन्तों, समाजचिन्तकों, बौद्धिकों और प्राध्यापकों का विषय है। परन्तु इसका आचरण तो घर में ही होना है ।  
 
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''चाहिये कि शिशुअवस्था से बेटी का बेटी की तरह और बेटे... है । यह समाज के लिये घातक है ।''
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''का बेटे की तरह संगोपन करे और बेटे को बेटी का बेटी के यह एक बड़ा विषय है। देश के साधुसन्तों''
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''रूप में सम्मान करना सिखायें । ख्त्रीत्व का सम्मान करने के... समाजचिन्तकों, बौद्धिकों और प्राध्यापकों का विषय है ।''
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''स्थान पर पुरुषत्व की कसौटी पर खरी उतरने वाली स्त्री का... परन्तु इसका आचरण तो घर में ही होना है ।''
      
==References==
 
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