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= सप्त पर्वत =
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== सप्त पर्वत ==
 
जिस प्रकार पीयूष-प्रवाहिनी नदियाँ राष्ट्र की एकात्मता को सुदृढ़ कड़ियाँ हैं वैसे ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित पर्वत और शिखर सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। एकात्मता-स्तोत्र में वर्णित पर्वतों के नाम हैं-हिमालय, महेन्द्र, मलयगिरी, सहयाद्रि, रैवतक, विंध्याचल तथा अरावली। इनके अतिरिक्त अमरकण्टक, सरगमाथा, अर्बुदांचल, कैलास आदि शिखरऔर बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि पर्वतीय स्थल भी वन्दनीय हैं।  
 
जिस प्रकार पीयूष-प्रवाहिनी नदियाँ राष्ट्र की एकात्मता को सुदृढ़ कड़ियाँ हैं वैसे ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित पर्वत और शिखर सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। एकात्मता-स्तोत्र में वर्णित पर्वतों के नाम हैं-हिमालय, महेन्द्र, मलयगिरी, सहयाद्रि, रैवतक, विंध्याचल तथा अरावली। इनके अतिरिक्त अमरकण्टक, सरगमाथा, अर्बुदांचल, कैलास आदि शिखरऔर बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि पर्वतीय स्थल भी वन्दनीय हैं।  
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=== रैवतक पर्वत ===
 
=== रैवतक पर्वत ===
गुजरात प्रान्त के काठियावाड़ जिले में यह पर्वत स्थित है। यह पर्वत पावन प्रभास क्षेत्र तक विस्तृत है। जैन सम्प्रदाय के ५ पवित्र तीर्थों में से एक शत्रुजय या पालीताना भी इसी के अन्तर्गत आता है। यह गिरनार के नाम से भी जाना जाता है। माघकवि द्वारा रचित ग्रन्थ '''शिशुपाल-वध''' में इसका सुन्दर वर्णन किया गया है। कोटिरुद्र संहिता के अनुसार भगवान शंकर ने यहाँ निवास किया। सोमनाथ नामक ज्योतिर्लिग यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर विराजमान है। रैवतक पर्वत शिव का प्रिय स्थान है, अत: उन्होंने अन्य देवताओं को भी वहाँ आमन्त्रित कर वहीं वास करने को राजी कर लिया। इस पर्वत पर अनेक पवित्र मन्दिर व पवित्र जलकुण्ड विद्यमान हैं। रैवतक पर्वत का गोरखनाथ शिखर सबसे ऊँचा है। सम्पूर्ण देश से तीर्थयात्री यहाँ आते हैं। जैन सम्प्रदाय के भी अनेक मन्दिर इस पर्वत पर विद्यमान हैं।   
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गुजरात प्रान्त के काठियावाड़ जिले में यह पर्वत स्थित है। यह पर्वत पावन प्रभास क्षेत्र तक विस्तृत है। जैन सम्प्रदाय के ५ पवित्र तीर्थों में से एक शत्रुजय या पालीताना भी इसी के अन्तर्गत आता है। यह गिरनार के नाम से भी जाना जाता है। माघकवि द्वारा रचित ग्रन्थ '''शिशुपाल-वध''' में इसका सुन्दर वर्णन किया गया है। कोटिरुद्र संहिता के अनुसार भगवान शंकर ने यहाँ निवास किया। सोमनाथ नामक ज्योतिर्लिंग यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर विराजमान है। रैवतक पर्वत शिव का प्रिय स्थान है, अत: उन्होंने अन्य देवताओं को भी वहाँ आमन्त्रित कर वहीं वास करने को राजी कर लिया। इस पर्वत पर अनेक पवित्र मन्दिर व पवित्र जलकुण्ड विद्यमान हैं। रैवतक पर्वत का गोरखनाथ शिखर सबसे ऊँचा है। सम्पूर्ण देश से तीर्थयात्री यहाँ आते हैं। जैन सम्प्रदाय के भी अनेक मन्दिर इस पर्वत पर विद्यमान हैं।   
    
=== महेन्द्र पर्वत ===
 
=== महेन्द्र पर्वत ===
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=== सह्याद्री ===
 
=== सह्याद्री ===
भारत के पश्चिमी तट के गुजरात महाराष्ट्र तथा कर्नाटक राज्य में सह्याद्रि पर्वतमाला का विस्तार है। दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों (गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) के उद्गम-स्थान इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। त्रयम्बकेश्वर, महाबलेश्वर, भीमशंकर, ब्रह्मगिरि, भगवती भवानी, बौद्ध चैत्य प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र इसी पर्वत-श्रेणी में विराजमान हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज से सम्बन्धित कई दुर्ग (शिवनेरी, पन्हालगढ़, प्रतापगढ़, चाकन, रायगढ़) और शिवाजी महाराज की समाधि इस पर्वत की ऐतिहासिक धरोहर हैं। सह्याद्रि उत्तर-दक्षिण खड़ी दीवार के रूप में है। तटीय क्षेत्र में जाने के लिए थाल घाट, भोरघाट, नाना दरी, पालघाट होकर रेल व सड़क मार्ग बनाये गये हैं। सूरत, मुम्बई, रत्नागिरि, पजिम, मंगलौर आदि नगर इसके पश्चिम में समुद्र की ओर स्थित हैं। भगवान् विष्णु यहाँ पर अतिबलेश्वर, ब्रह्मा कोटीश्वर तथा शंकर महाबलेश्वर के रूप में विराजमान होकर आज भी प्रतिष्ठित हैं।
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भारत के पश्चिमी तट के गुजरात महाराष्ट्र तथा कर्नाटक राज्य में सह्याद्रि पर्वतमाला का विस्तार है। दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों (गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) के उद्गम-स्थान इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। त्रयम्बकेश्वर, महाबलेश्वर, भीमशंकर, ब्रह्मगिरि, भगवती भवानी, बौद्ध चैत्य प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र इसी पर्वत-श्रेणी में विराजमान हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज से सम्बन्धित कई दुर्ग (शिवनेरी, पन्हालगढ़, प्रतापगढ़, चाकन, रायगढ़) और शिवाजी महाराज की समाधि इस पर्वत की ऐतिहासिक धरोहर हैं। सह्याद्रि उत्तर-दक्षिण खड़ी दीवार के रूप में है। तटीय क्षेत्र में जाने के लिए थाल घाट, भोरघाट, नाना दरी, पालघाट होकर रेल व सड़क मार्ग बनाये गये हैं। सूरत, मुम्बई, रत्नागिरि, पजिम, मंगलौर आदि नगर इसके पश्चिम में समुद्र की ओर स्थित हैं। भगवान विष्णु यहाँ पर अतिबलेश्वर, ब्रह्मा कोटीश्वर तथा शंकर महाबलेश्वर के रूप में विराजमान होकर आज भी प्रतिष्ठित हैं।
    
==References==
 
==References==

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