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मेघालय की राजधानी शिलांग सुन्दर पर्वतीय नगर है। शिलांग से लगभग 50 किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ी स्थित है।इस पहाड़ी परजयन्ती देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है| यहाँ सती की वाम जांघा गिरी थी |  
 
मेघालय की राजधानी शिलांग सुन्दर पर्वतीय नगर है। शिलांग से लगभग 50 किमी. दूर जयन्तिया पहाड़ी स्थित है।इस पहाड़ी परजयन्ती देवी का मन्दिर है। यह प्रधान शक्तिपीठ है| यहाँ सती की वाम जांघा गिरी थी |  
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बष्ट्रपदा
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=== बारपेटा ===
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यह वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सन्त शांकरदेव का यह कर्मक्षेत्र है। यहाँ पर अति विशाल एवं भव्य वैष्णव मन्दिर है जो सम्पूर्ण देश के वैष्णवों का श्रद्धा-केन्द्र है।भागवत धर्म व कृष्ण-भक्ति का प्रचार करने के लिए आचार्य शांकरदेव ने यहाँ एक प्रचार केन्द्र स्थापित किया। वटद्धवा (वरदोबा) शांकरदेव जी का जन्म स्थान है।
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यह वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सन्त शांकरदेव का यह कर्मक्षेत्र
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=== तेजपुर ===
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तेजपुर असम प्रदेश का प्रमुख नगर है। सुरक्षा की दृष्टि से यह अति महत्वपूर्ण नगर है। यह उत्तर-पूर्वी भारत का सैन्य मुख्यालय है।इसका प्राचीन नाम शोणितपुर है। महाभारतकालीन बाणासुर की राजधानी होने का श्रेय भी इस नगर की है। बाणासुर द्वारा निर्मित भैरव मन्दिर आज भी विद्यमान हैं।
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है। यहाँ पर अति विशाल एवं भव्य वैष्णव मन्दिर है जो सम्पूर्ण देश के  
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=== शिवसागर ===
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मुसलमानों(मुगलों समेत) से समस्त उत्तर-पूर्वी भारत की रक्षा करने में समर्थ अहोम राजाओं की राजधानी शिवसागर रहा है। अहोम राजा शिवसिंह ने यहाँ मुक्तिनाथ महादेव मन्दिर का निर्माण कराया। कहते हैं कि मन्दिर-स्थित विग्रह स्वयंभू हैं। भगवान विष्णु व भगवती का मन्दिर भी यहाँ है। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है जिसमें सम्पूर्ण उत्तर-पूर्वी भारत के हिन्दू भाग लेते हैं।
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वैष्णवों का श्रद्धा-केन्द्र है।भागवत धर्म व कृष्ण-भक्ति का प्रचार करने के  
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=== डिब्रूगढ़ ===
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उत्तरी असम का प्राचीन प्रमुख नगर,भारत का सुदूर पूर्वी हवाईअड्डा डिब्रूगढ़ ब्रह्मपुत्र के तट पर स्थित है। यहाँ से आगे ब्रह्मपुत्र नौकाचालन योग्य नदी है।
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लिए आचार्य शांकरदेव ने यहाँ एक प्रचार केन्द्र स्थापित किया।
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=== परशुरामकुण्ड ===
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असम प्रदेश के अन्तर्गत यह पवित्र स्थान पर्वत की तलहटी में स्थित है। यह वह स्थान हैजहाँ मातृहत्या के पाप के शमन हेतु परशुरामजी ने तपस्या की थी। यहीं पर ब्रह्मपुत्र का पर्वतीयक्षेत्र को पार कर मैदानी भाग में प्रवेश होता है। पहले ब्रह्मपुत्र पर्वतों से घिरे एक विशाल सागर के रूप में थी,परशुराम जी नेअपने फरसे से ब्रह्मपुत्र के लिए भारतीय क्षेत्र में मार्ग बनाया था। पहले परशुराम कुण्ड ब्रह्मपुत्र के तट परअलग से एक सरोवर के रूप में था, कालान्तर में अपरदन व भू-स्खलन के कारण यह ब्रह्मपुत्र की धारा में समाहित हो गया ।
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वटद्धवा (वरदोबा) शांकरदेव जी का जन्म स्थान है।
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=== लीकावाली ===
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अरुणाचल प्रदेश के अन्तर्गत पड़ने वाला यह ऐतिहासिक स्थान महाभारतकालीन नगर हैं। यहाँ पर मालिनी देवी का प्राचीन मन्दिर है। भगवान् श्रीकृष्ण की पट्टमहिषी रुक्मिणी ने इसी मन्दिर में पूजा की थी। यहीं से श्री कृष्ण ने रुक्मिणी काअपहरण कर अपनी पत्नी रूप में स्वीकार तप्त कांचन संकशां तां नमामि सुरेश्वरीम्।(देवी भागवत) किया ।
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तेहपुर
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=== दीमापुर ===
 
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यह ऐतिहासिक स्थल वर्तमान नागालैण के अन्तर्गत आता है। महाभारत में इसका वर्णन हिडिम्बपुर नाम से किया गया है। यह वह स्थान है जहाँ वनवास-काल में भीम ने हिडिम्बा से विवाह किया था । घटोत्कच. जिसने महाभारत युद्ध के दौरान कौरव सेना का संहार कर कर्ण को दिव्यास्त्र का प्रयोग करने के लिए विवश कर दिया था, हिडिम्बा का ही पुत्र था। पास की एक पहाड़ी पर महादेव शिव का मन्दिर यहाँ का पूज्य स्थान है।  
तेजपुरअसम प्रदेश का प्रमुख नगर है। सुरक्षा की दृष्टि से यह अति
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महत्वपूर्ण नगर है। यह उत्तर-पूर्वी भारत का सैन्य मुख्यालय है।इसका
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1. पीठानि चैकपंचशदभवन्मुनिपुंगव।
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तेषु श्रेष्ठतम पीठ: कामरूपो महामते। (महाभारत) 2. कामेश्वरी च कामाख्यां कामरूपनिवासिनीम्।
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प्राचीन नाम शोणितपुर है। महाभारतकालीन बाणासुर की राजधानी होने
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का श्रेय भी इस नगर कीहै। बाणासुर द्वारा निर्मित भैरव मन्दिर आज भी
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विद्यमान हैं।
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शिवसागर
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मुसलमानों(मुगलों समेत) से समस्त उत्तर-पूर्वी भारत की रक्षा करने
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में समर्थ अहोम राजाओं की राजधानी शिवसागर रहा है। अहोम राजा
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शिवसिंह ने यहाँ मुक्तिनाथ महादेव मन्दिर का निर्माण कराया। कहते हैं
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कि मन्दिर-स्थित विग्रह स्वयंभू हैं। भगवान विष्णु व भगवती का मन्दिर भी
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यहाँ है। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है
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जिसमें सम्पूर्ण उत्तर-पूर्वी भारत के हिन्दू भाग लेते हैं।
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डिब्रूगढ़
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उत्तरी असम का प्राचीन प्रमुख नगर,भारत का सुदूर पूर्वी हवाईअड्डा
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डिब्रूगढ़ ब्रह्मपुत्र के तट पर स्थित है। यहाँ से आगे ब्रह्मपुत्र नौकाचालन
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योग्य नदी है।
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प्गुटकुष्ठ
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असम प्रदेश के अन्तर्गत यह पवित्र स्थान पर्वत की तलहटी में स्थित
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है। यह वह स्थान हैजहाँ मातृहत्या के पाप के शमन हेतुपरशुरामजी ने
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तपस्या कीथी। यहीं पर ब्रह्मपुत्र का पर्वतीयक्षेत्र को पार करमैदानी भाग
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में प्रवेश होता है। पहले ब्रह्मपुत्र पर्वतों से घिरे एक विशाल सागर के रूप
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में थी,परशुराम जी नेअपने फरसे से ब्रह्मपुत्र के लिए भारतीयक्षेत्र में मार्ग
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बनाया था। पहले परशुराम कुण्ड ब्रह्मपुत्र के तट परअलग से एक सरोवर
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के रूप में था, कालान्तर में अपरदन व भू-स्खलन के कारण यह ब्रह्मपुत्र
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की धारा में समाहित हो गया ।
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लोकावाली
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अरुणाचल प्रदेश के अन्तर्गत पड़ने वाला यह ऐतिहासिक स्थान
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महाभारतकालीन नगर हैं। यहाँ पर मालिनी देवी का प्राचीन मन्दिर है।
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भगवान् श्रीकृष्ण की पट्टमहिषी रुक्मिणी ने इसी मन्दिर में पूजा की थी।
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यहीं से श्री कृष्ण ने रुक्मिणी काअपहरण कर अपनी पत्नी रूप में स्वीकार तप्त कांचन संकशां तां नमामि सुरेश्वरीम्।(देवी भागवत) किया ।
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पूर्वोत्तरएवंपूर्वीभारत 77
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दीमापुर  
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यह ऐतिहासिक स्थल वर्तमान नागालैण के अन्तर्गत आता है।  
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महाभारत में इसका वर्णन हिडिम्बपुर नाम से किया गया है। यह वह स्थान  
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है जहाँ वनवास-काल मेंभीम ने हिडिम्बा से विवाह किया था । घटोत्कच.  
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जिसने महाभारत युद्ध के दौरान कौरव सेना का संहार कर कर्ण को  
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दिव्यास्त्र का प्रयोग करने के लिए विवश कर दिया था, हिडिम्बा का ही  
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पुत्र था। पास की एक पहाड़ी पर महादेव शिव का मन्दिर यहाँ का पूज्य  
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स्थान है।  
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उदयपुर .
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=== उदयपुर . ===
 
उदयपुर प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। यहाँ भगवती शक्ति  
 
उदयपुर प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। यहाँ भगवती शक्ति  
  
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