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== शुभ अनुभवों की अनिवार्यता ==
 
== शुभ अनुभवों की अनिवार्यता ==
इस अवस्था में चित्त तो सक्रिय होता ही है, साथ ही
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इस अवस्था में चित्त तो सक्रिय होता ही है, साथ ही ज्ञानेन्द्रियाँ भी सक्रिय होकर अनुभव प्राप्त करती हैं । शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध के उसके अनुभव शुभ होना आवश्यक है । उसी प्रकार चित्त पर पड़नेवाले संस्कार भी शुभ होना आवश्यक है । जीवन में सुन्दर असुन्दर, शुभ और अशुभ दोनों अनुभव होते हैं । दोनों ग्रहण करने के अवसर आते ही हैं । दोनों को सहना भी पड़ता है । परन्तु प्रारंभ के अनुभव सुन्दर और शुभ होना इसलिये आवश्यक है क्योंकि इससे उसका जीवनविषयक दृष्टिकोण सकारात्मक बनता है । जीवन और जगत्‌ अच्छे हैं यह उसके विचार और व्यवहार का आधार बनता है । इस दृष्टि से उसका खानपान, उसके खानेपीने के पात्र, उसका बिस्तर, उसके कपड़े, आभूषण और खिलौने आदि का चयन ज्ञानेन्द्रियों की अनुभवक्षमता को ध्यान में रखकर करने चाहिये । सूती या रेशमी वस्त्र, देशी गाय के घी-दूध-मक्खन, लकड़ी के खिलौने, सोने-चाँदी और रत्नों के आभूषण आदि का प्रावधान करना चाहिये । उसी प्रकार मधुर संगीत, उत्तम दृश्य, मधुर गन्ध आदि का भी अनुभव
 
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ज्ञानेन्द्रियाँ भी सक्रिय होकर अनुभव प्राप्त करती हैं । शब्द,
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स्पर्श, रूप, रस, गन्ध के उसके अनुभव शुभ होना
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आवश्यक है । उसी प्रकार चित्त पर पड़नेवाले संस्कार भी
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और अशुभ दोनों अनुभव होते हैं । दोनों ग्रहण करने के
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अवसर आते ही हैं । दोनों को सहना भी पड़ता है । परन्तु
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प्रास्भ के अनुभव सुन्दर और शुभ होना इसलिये आवश्यक
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बनता है । जीवन और जगत्‌ अच्छे हैं यह उसके विचार
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और व्यवहार का आधार बनता है । इस दृष्टि से उसका
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खानपान, उसके खानेपीने के पात्र, उसका बिस्तर, उसके
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कपड़े, आभूषण और खिलौने आदि का चयन ज्ञानेन्द्रियों
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की अनुभवक्षमता को ध्यान में रखकर
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करने चाहिये । सूती या रेशमी वस्त्र, देशी गाय के घी-दूध-
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मक्खन, लकड़ी के खिलौने, सोने-चाँदी और रत्नों के
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आभूषण आदि का प्रावधान करना चाहिये । उसी प्रकार
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मधुर संगीत, उत्तम दृश्य, मधुर गन्ध आदि का भी अनुभव
      
आवश्यक है । ज्ञानेन्द्रियाँ WAN प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण
 
आवश्यक है । ज्ञानेन्द्रियाँ WAN प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण

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