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अध्ययन करते समय छात्र ज्ञान ग्रहण कैसे करता है
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अध्ययन करते समय छात्र ज्ञान ग्रहण कैसे करता है यह जानना और समझना अत्यंत रोचक है । यह सर्वविदित सिद्धांत है कि अध्यापन अध्ययन प्रक्रिया के अनुकूल होकर ही संभव हो सकता है । यह सिद्धांत भी सहज ही समझा जा सकता है कि छात्र ज्ञान अर्जन अपने करणों की सिद्धता के अनुसार ही करता है। अध्यापक अपनी इच्छा या अपनी क्षमता उसके ऊपर लाद नहीं सकता । उदाहरण के लिए दान देने वाला दान लेने वाले की सिद्धता के अनुसार ही दान दे सकता है । खाना खिलाने वाला खाने वाले की भूख के अनुसार ही खिला सकता है, खाने वाला यदि खाना नहीं चाहता या खाने वाले की भूख या इच्छा नहीं है तो खिलाने के सारे प्रयास व्यर्थ होते हैं । उसी प्रकार अध्ययन करने वाले की सिद्धता, क्षमता और इच्छा के अनुसार ही अध्यापन भी चलता है । हम अध्ययन की प्रक्रिया को जाने ।
 
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यह जानना और समझना अत्यंत रोचक है । यह सर्वविदित
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सिद्धांत है कि अध्यापन अध्ययन प्रक्रिया के अनुकूल होकर
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जा सकता है कि छात्र ज्ञान अर्जन अपने करणों की सिद्धता
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के अनुसार ही करता है। अध्यापक अपनी इच्छा या
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अपनी क्षमता उसके ऊपर लाद नहीं सकता । उदाहरण के
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लिए दान देने वाला दान लेने वाले की सिद्धता के अनुसार
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ही दान दे सकता है । खाना खिलाने वाला खाने वाले की
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भूख के अनुसार ही खिला सकता है, खाने वाला यदि
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खाना नहीं चाहता या खाने वाले की भूख या इच्छा नहीं है
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तो खिलाने के सारे प्रयास व्यर्थ होते हैं । उसी प्रकार
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अनुसार ही अध्यापन भी चलता है । हम अध्ययन की
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== पंचपदी शिक्षण पद्धति ==
 
== पंचपदी शिक्षण पद्धति ==
छात्र जिस प्रक्रिया से ज्ञानार्जन करता है उसे हम
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छात्र जिस प्रक्रिया से ज्ञानार्जन करता है उसे हम पंचपदी कह सकते हैं । पंचपटदी का अर्थ है पाँच पद वाली प्रक्रिया । पाँच पद इस प्रकार हैं । अधीति, बोध, अभ्यास, प्रयोग और प्रसार । अधीति पहला पद है । अध्येता किसी भी विषय को सुनता है, देखता है या पढ़ता है । यह कार्य ज्ञानेंद्रियों से होता है । उदाहरण के लिए वह गीत या कहानी या भाषण सुनता है । वह नाटक देखता है । वह किसी वस्तु को छूकर परखने का प्रयास करता है । वह किसी घटना को देखता और सुनता है । वह और लोगों की बातचीत सुनता है । वह किसी वार्तालाप या घटना का साक्षी बनता है । वह हाथ से परखता भी है । किसी चित्र के रंग और आकृति का निरीक्षण करता है। अपनी कर्मेन्द्रियों  और ज्ञानेन्द्रियों से वह विषय को ग्रहण करता है । यह श्रवण, दर्शन, निरीक्षण । परीक्षण अधीति है । परंतु
 
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पंचपदी कह सकते हैं । पंचपटदी का अर्थ है पाँच पद वाली
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प्रयोग और प्रसार । अधीति पहला पद है । अध्येता किसी
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भी विषय को सुनता है, देखता है या पढ़ता है । यह कार्य
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ज्ञानेंद्रियों से होता है । उदाहरण के लिए वह गीत या
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कर्मन्ट्रियों और ज्ञानेन्द्रियों से वह विषय को ग्रहण करता
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है । यह श्रवण, दर्शन, निरीक्षण । परीक्षण अधीति है । परंतु
      
अधीति मात्र से वह विषय को जानता नहीं है । जानने का
 
अधीति मात्र से वह विषय को जानता नहीं है । जानने का

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