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नौकरों का जवाब सुनने के बाद महाराज फरियादी पर गुस्सा होने लगे, तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो मैं तुम्हे मृत्युदंड नहीं दे रहा हूँ इतना ही शुक्र मनाओ । फरियादी गिड़गिड़ाने लगा कि महाराज यह सभी लोग मालिक के डर से झूठ बोल रहे है, महाराज मुझे न्याय दीजिये । महाराज को भी लगा कि फरियादी कुछ तो सही कह रहा है। महाराज ने तुरंत तेनालीरामा जी को बुलवाया और सभी लोगों को एक कमरे में बिठा दिया। तेनालीरामा जी महाराज के समक्ष उपस्थित हुए। महाराज ने पूरी बात तेनालीरामा को बताई ।तेनालीरामा ने कहा बस इतनी सी बात मैं इसको अभी हल कर देता हूँ। आप परदे के पीछे छुप जाएँ और सभी नौकरों को एक एक कर के अन्दर बुलाता हूँ ।  
 
नौकरों का जवाब सुनने के बाद महाराज फरियादी पर गुस्सा होने लगे, तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो मैं तुम्हे मृत्युदंड नहीं दे रहा हूँ इतना ही शुक्र मनाओ । फरियादी गिड़गिड़ाने लगा कि महाराज यह सभी लोग मालिक के डर से झूठ बोल रहे है, महाराज मुझे न्याय दीजिये । महाराज को भी लगा कि फरियादी कुछ तो सही कह रहा है। महाराज ने तुरंत तेनालीरामा जी को बुलवाया और सभी लोगों को एक कमरे में बिठा दिया। तेनालीरामा जी महाराज के समक्ष उपस्थित हुए। महाराज ने पूरी बात तेनालीरामा को बताई ।तेनालीरामा ने कहा बस इतनी सी बात मैं इसको अभी हल कर देता हूँ। आप परदे के पीछे छुप जाएँ और सभी नौकरों को एक एक कर के अन्दर बुलाता हूँ ।  
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[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]
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[[Category:बाल कथाएँ एवं प्रेरक प्रसंग]]
    
महाराज ना चाहते हुए भी परदे के पीछे छुप गए, पहला नौकर आया । पंडित रामा ने पूछा की तुमने हीरे को देखा था तो बताओ हीरा कैसा दिखता था? सैनिक से कागज और कलम मंगवाया परन्तु पहला नौकर उत्तर ना दे सका । दूसरे को बुलाया गया परन्तु दूसरा गोल गोल करता रह गया, तीसरा नौकर भी आया परन्तु वह भी निरुत्तर था। महाराज को गुस्सा आ गया, वह तुरंत परदे के पीछे से निकल आये उनको देखते ही नौकर डर गया और सब सच बता दिया । महाराज ने मालिक पर जुर्माना लगाया और फरियादी को मालिक से ३० सोने की मुहरे दिलवाए और हीरों को राज्यकोष में जमा करा दिया गया । फरियादी खुश हो गया । महाराज तेनालीरामा से बहुत प्रसन्न हुए और शाबाशी दी ।
 
महाराज ना चाहते हुए भी परदे के पीछे छुप गए, पहला नौकर आया । पंडित रामा ने पूछा की तुमने हीरे को देखा था तो बताओ हीरा कैसा दिखता था? सैनिक से कागज और कलम मंगवाया परन्तु पहला नौकर उत्तर ना दे सका । दूसरे को बुलाया गया परन्तु दूसरा गोल गोल करता रह गया, तीसरा नौकर भी आया परन्तु वह भी निरुत्तर था। महाराज को गुस्सा आ गया, वह तुरंत परदे के पीछे से निकल आये उनको देखते ही नौकर डर गया और सब सच बता दिया । महाराज ने मालिक पर जुर्माना लगाया और फरियादी को मालिक से ३० सोने की मुहरे दिलवाए और हीरों को राज्यकोष में जमा करा दिया गया । फरियादी खुश हो गया । महाराज तेनालीरामा से बहुत प्रसन्न हुए और शाबाशी दी ।

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