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* भारत में ज्ञान की वाहक शिक्षा को पवित्र माना जाता है और वह अन्य भौतिक पदार्थों की तरह बिकाऊ नहीं है, यह तत्व है परन्तु हमने शिक्षा को भी उद्योग बना
 
* भारत में ज्ञान की वाहक शिक्षा को पवित्र माना जाता है और वह अन्य भौतिक पदार्थों की तरह बिकाऊ नहीं है, यह तत्व है परन्तु हमने शिक्षा को भी उद्योग बना
 
* दिया है और शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया है ।
 
* दिया है और शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया है ।
* शिक्षा का उद्देश्य मुक्ति है, यह तत्व है परन्तु हमने शिक्षा का लक्ष्य अथर्जिन है, ऐसा मानकर सारी व्यवस्था की है ।
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* शिक्षा का उद्देश्य मुक्ति है, यह तत्व है परन्तु हमने शिक्षा का लक्ष्य अर्थार्जन है, ऐसा मानकर सारी व्यवस्था की है ।
 
ऐसे तो अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं जो दर्शाते हैं कि व्यवहार तत्व से कितना दूर चला गया है । शिक्षा को ही यह सब ठीक करना चाहिये, यह स्वाभाविक तथ्य है । इसलिये शिक्षा के सम्बन्ध में तत्वचिन्तन जितना आवश्यक है उतना ही व्यवहारचिन्तन भी है। तत्वचिन्तन कदाचित सरल है परन्तु व्यवहारचिन्तन नहीं क्योंकि व्यवहार बहुत जटिल होता है, तत्व सरल । तत्व बुद्धि से समझा जाता धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम है इसलिये सरल है । व्यवहार मन, बुद्धि और शरीर से होता है इसलिये देशकाल परिस्थिति सापेक्ष होता है और हर समय नए से विचार कर निश्चित करना होता है ।
 
ऐसे तो अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं जो दर्शाते हैं कि व्यवहार तत्व से कितना दूर चला गया है । शिक्षा को ही यह सब ठीक करना चाहिये, यह स्वाभाविक तथ्य है । इसलिये शिक्षा के सम्बन्ध में तत्वचिन्तन जितना आवश्यक है उतना ही व्यवहारचिन्तन भी है। तत्वचिन्तन कदाचित सरल है परन्तु व्यवहारचिन्तन नहीं क्योंकि व्यवहार बहुत जटिल होता है, तत्व सरल । तत्व बुद्धि से समझा जाता धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम है इसलिये सरल है । व्यवहार मन, बुद्धि और शरीर से होता है इसलिये देशकाल परिस्थिति सापेक्ष होता है और हर समय नए से विचार कर निश्चित करना होता है ।
  

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