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आचार्य जी ने महारानी जी से जाकर कुछ कहा और सम्राट से आग्रह किया कि महाराज आप दो गिलास पानी पी लिजिये। सम्राट ने दोनों गिलास पानी पी लिया अब आचार्य ने सम्राट से पूछा की आपको किस गिलास का पानी अच्छा लगा और आपकी तृप्ति हुई। सम्राट ने उत्तर दिया जी पहले गिलास की अपेक्षा दूसरे गिलास का पानी बढिया था और पीने से तृप्ति भी हो गई।
 
आचार्य जी ने महारानी जी से जाकर कुछ कहा और सम्राट से आग्रह किया कि महाराज आप दो गिलास पानी पी लिजिये। सम्राट ने दोनों गिलास पानी पी लिया अब आचार्य ने सम्राट से पूछा की आपको किस गिलास का पानी अच्छा लगा और आपकी तृप्ति हुई। सम्राट ने उत्तर दिया जी पहले गिलास की अपेक्षा दूसरे गिलास का पानी बढिया था और पीने से तृप्ति भी हो गई।
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आचार्य ने कहा जी अब आप ही बताइए इसका निष्कर्ष क्या है? पहले गिलास का पानी सोने से बने घड़े का है और दूसरे गिलास का पानी मिटटी के घड़े का है। महारनी ने कहा ऐसे सोने के घड़े का क्या फायदा जो दूसरों को तृप्त नहीं कर सकता, इससे अच्छा तो मिटटी का घडा है जिससे लोगों की तृप्ति होती। देखिये राजन सोना बहुत ही सुन्दर है और मिटटी कितनी कुरूप परन्तु उसके आतंरिक गुण के कारण उसकी उपयोगिता बहुत अधिक है।
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आचार्य ने कहा जी अब आप ही बताइए इसका निष्कर्ष क्या है? पहले गिलास का पानी सोने से बने घड़े का है और दूसरे गिलास का पानी मिटटी के घड़े का है। महारनी ने कहा ऐसे सोने के घड़े का क्या फायदा जो दूसरों को तृप्त नहीं कर सकता, इससे अच्छा तो मिटटी का घड़ा है जिससे लोगों की तृप्ति होती। देखिये राजन सोना बहुत ही सुन्दर है और मिटटी कितनी कुरूप परन्तु उसके आतंरिक गुण के कारण उसकी उपयोगिता बहुत अधिक है।
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[[Category:बाल कथाए एवं प्रेरक प्रसंग]]
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[[Category:बाल कथाएँ एवं प्रेरक प्रसंग]]

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