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व्यक्ति की गर्भाधान से विवाहसंस्कार तक की शिक्षा
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व्यक्ति की गर्भाधान से विवाहसंस्कार तक की शिक्षा घर में होती है और वह मातापिता ट्वारा होती है <ref>धार्मिक शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला १): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। परन्तु गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम और संन्यास्ताश्रम में शिक्षा किससे और कैसे मिलती है और लोक शिक्षा से उसका क्‍या सम्बन्ध है यह विचारणीय विषय है । हम कुछ इस प्रकार से विचार कर सकते हैं
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घर में होती है और वह मातापिता ट्वारा होती है । परन्तु
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== गृहस्थाश्रम में शिक्षा ==
 
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विद्यालयीन शिक्षा समाप्त होने के बाद, विवाह हो जाने के बाद स्वाध्याय, स्वचिन्तन और उसके आधार पर
गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम और संन्यास्ताश्रम में शिक्षा
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किससे और कैसे मिलती है और लोक शिक्षा से उसका
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क्‍या सम्बन्ध है यह विचारणीय विषय है । हम कुछ इस
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प्रकार से विचार कर सकते हैं
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१. गृहस्थाश्रम में शिक्षा
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विद्यालयीन शिक्षा समाप्त होने के बाद, विवाह हो
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जाने के बाद स्वाध्याय, स्वचिन्तन और उसके आधार पर
      
व्यवहार यह मुख्य विषय बनता है। उस समय जिससे
 
व्यवहार यह मुख्य विषय बनता है। उस समय जिससे

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