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==== प्रश्न ९ आपके मतानुसार विश्व के देशों का वर्गीकरण करने के सही मापदण्ड कौन से हो सकते हैं ? ====
 
==== प्रश्न ९ आपके मतानुसार विश्व के देशों का वर्गीकरण करने के सही मापदण्ड कौन से हो सकते हैं ? ====
 
उत्तर इस प्रश्न के जो उत्तर मिले उनमें अधिकांश मापदण्ड आर्थिक ही थे, जैसे कि विकसित, विकासशील और अविकसित, निर्धन और गरीब, आधुनिक और पुरातनवादी आदि । विकसित, विकासशील और अविकसित का आधार आर्थिक ही था । और एक वर्गीकरण है इस्लामिक, इसाई, हिन्दू और पेगन अर्थात् इस्लाम और इसाइयत के उद्भव से पूर्व जो सम्प्रदाय थे उनका अनुसरण करनेवाले ।
 
उत्तर इस प्रश्न के जो उत्तर मिले उनमें अधिकांश मापदण्ड आर्थिक ही थे, जैसे कि विकसित, विकासशील और अविकसित, निर्धन और गरीब, आधुनिक और पुरातनवादी आदि । विकसित, विकासशील और अविकसित का आधार आर्थिक ही था । और एक वर्गीकरण है इस्लामिक, इसाई, हिन्दू और पेगन अर्थात् इस्लाम और इसाइयत के उद्भव से पूर्व जो सम्प्रदाय थे उनका अनुसरण करनेवाले ।
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वर्गीकरण के और भी प्रकार हो सकते है। जैसे कि शिक्षित और अर्धशिक्षित, सुसंस्कृत और असंस्कृत, लोकतान्त्रिक और गैरलोकतान्त्रिक, साम्प्रदायिक और सेकुलर आदि । परन्तु सबसे मूलगत वर्गीकरण है भौतिक और आध्यात्मिक । वर्गीकरण का यह मापदण्ड भारत का मौलिक मापदण्ड है क्योंकि विश्व के अन्य देशों में अध्यात्म संकल्पना है ही नहीं।
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==== प्रश्न १० विश्व पर छाया हुआ आतंकवाद का संकट कैसे दूर हो सकता है ? ====
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उत्तर
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# आतंकवाद को मिटाने हेतु भारत को कठोर सैनिक कारवाई करनी चाहिये । उनके साथ बातचीत करने का कोई लाभ नहीं है। लातों के भूत बातों से नहीं मानते
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# आतंकवादियों में अधिकांश संख्या युवकों की होती है। ये सब उच्चशिक्षित और आधुनिक तन्त्रज्ञान में माहिर होते हैं । वे चाहे तो उन्हें अच्छी खासी नौकरी मिल सकती है । तो भी वे सब छोडकर आतंकवादी बन जाते हैं और अपने लिये खतरे मोल लेते हैं। इस स्थिति का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहिये और उन्हें परावृत करने के उपाय खोजने चाहिये।
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# आतंकवादी के नाम पर केवल कश्मीर या अन्य स्थानों पर चलने वाला इस्लामिक आतंकवाद ही नहीं समझना चाहिये । माओवाद, नकसलवाद, साम्यवाद, इसाइयों का धर्मान्तरण आदि सब आतंकवाद के ही विभिन्न आयाम हैं। इन सबका एक साथ विचार करने पर लगता है कि ये सब किसी न किसी प्रकार से अपने आप को अन्याय के शिकार हुए मानते हैं इसलिये वे शासन के विरुद्ध विद्रोह करते हैं । शासन को चाहिये कि वे उनकी गलतफहमी को दूर करे और उन्हें सन्तुष्ट करके और समझाकर उन्हें सही राह पर चलने में सहायक बने ।
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# प्रत्यक्ष आतंकवादियों से भी आतंकवादियों का सूत्रसंचालन करने वाले संगठन, उन्हें आश्रय तथा सहायता देने वाले, भडकाने वाले देश अधिक खतरनाक हैं। उन पर कारवाई करने से आतंकवाद नष्ट होगा । उदाहरण के लिये काश्मीर पर होनेवाले आतंकी हमलों के लिये पाकिस्तान जिम्मेदार है इसलिये पाकिस्तान के विरुद्ध कारवाई करने से आतंकवाद नष्ट होगा।
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इन उत्तरों से ध्यान में आता है कि उच्च शिक्षित हो या सामान्य, लोगों को आतंकवाद के विषय में खास कुछ पता ही नहीं है।
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आतंकवाद केवल भारत में ही है ऐसा नहीं है। वह एक वैश्विक संकट है। इस्लामिक आतंकवाद इसका एक प्रमुख अंग है। इसका मूल मजहबी कट्टरवाद है । यह सेमेटिक मजहबों की मूल धारणा से उद्भूत संकट है। धारणा यह है कि हमारा मजहब ही सही है, अन्य सारे मजहब नापाक हैं । जो नापाक मजहब है उसे जीवित रहने का अधिकार नहीं है। उन्हें समाप्त कर देना चाहिये । जो गैरमजहबी है उसे समाप्त कर देना हमारा पवित्र कर्तव्य है, उससे पुण्य मिलेगा और जन्नत में स्थान मिलेगा। जन्नत में अनेक अप्रतिम भोगविलास के साधन होंगे। अधिकांश पढे लिखे शिक्षित आतंकवादी जन्नत के भोगविलासों के आकर्षण से प्रेरित होकर आतंकी गतिविधियों में लगे रहते हैं। नापाक लोगों को या तो हमारे मजहब का स्वीकार करना चाहिये । ये मजहब सहअस्तित्व में विश्वास नहीं करते ।
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सहअस्तित्व में नहीं मानने वाले इसाई भी है, साम्यवादी भी हैं । साम्यवाद का तो सिद्धान्त ही विनाशवादी है । हम उत्तम अर्थवाले शब्दों को विनाश का पर्याय बना देते हैं। स्थापित व्यवस्था को तोड दो, उसके स्थान पर जिनको स्थापित व्यवस्था तोडने का पुण्य मिला है उन्हें स्थापित करो, और उसके स्थापित होते ही, चूँकि वह स्थापित है इसलिये उसे तोडों - ऐसा तोडफोडवादी सिद्धान्त भी आतंकवाद का ही लघुरूप है । सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न स्वरूपों में आतंकवाद फैला हुआ
    
==References==
 
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