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अकेले ईक्वाडोर की यह दशा नहीं है। हम आर्थिक हत्यारों ने जिन जिन देशों को अमेरिकन वैश्विक साम्राज्य का गुलाम बना दिया है उन सभी देशों का यही हाल है। तीसरे विश्व का कर्ज बढ़कर २५०० अरब डॉलर पहुँच गया है। और कर्ज का ब्याज प्रति वर्ष ३७५ अरब डॉलर होता है उसमें से यह ब्याज की रकम २० गुणा है ! अभी (२००४) दुनिया की आधी बस्ती दैनिक दो डॉलर से भी कम ही कमाती है। इतनी कमाई तो १९७० में भी थी। परन्तु अभी तीसरे विश्व के केवल एक प्रतिशत लोग अपने देश की कुल वित्तीय समृद्धि तथा सम्पत्तियों का ७० से ९०% हिस्सा रखते हैं।  
 
अकेले ईक्वाडोर की यह दशा नहीं है। हम आर्थिक हत्यारों ने जिन जिन देशों को अमेरिकन वैश्विक साम्राज्य का गुलाम बना दिया है उन सभी देशों का यही हाल है। तीसरे विश्व का कर्ज बढ़कर २५०० अरब डॉलर पहुँच गया है। और कर्ज का ब्याज प्रति वर्ष ३७५ अरब डॉलर होता है उसमें से यह ब्याज की रकम २० गुणा है ! अभी (२००४) दुनिया की आधी बस्ती दैनिक दो डॉलर से भी कम ही कमाती है। इतनी कमाई तो १९७० में भी थी। परन्तु अभी तीसरे विश्व के केवल एक प्रतिशत लोग अपने देश की कुल वित्तीय समृद्धि तथा सम्पत्तियों का ७० से ९०% हिस्सा रखते हैं।  
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हम (२००४ में) सुन्दर नदी के किनारे प्रवास कर रहे थे, वहाँ नदी के बीच में राक्षसी दिवार के रूप में खड़ा हुआ बाँध आया । इस बाँध के पानी से १५६ मेगावट का हाइड्रोलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट चलता था। इस की बिजली बड़े उद्योगों में उपयोग ली जाती थी। जिनसे ईक्वाडोर के मुठ्ठी भर मनुष्य समृद्ध होते थे और नदी के किनारे बसे हुए किसान और स्थानीय लोगों के अकथ्य दुःखों का कारण यह बाँध था । यह हाइड्रोलेक्ट्रिक प्लान्ट और ऐसे दूसरे अनेक प्रोजेक्ट मेरे और मेरे जैसे आर्थिक हत्यारों के प्रयत्नों से विकसित हुए थे। ऐसे प्रोजेक्टों के कारण ही अमेरिकी वैश्विक साम्राज्य में ईक्वाडोर हस्तक बना है। इसके कारण ही स्थानीय प्रजाएँ हमारी तेल कम्पनियों के सामने युद्ध छेड़ने की धमकियाँ देती हैं ।  
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हम (२००४ में) सुन्दर नदी के किनारे प्रवास कर रहे थे, वहाँ नदी के मध्य में राक्षसी दिवार के रूप में खड़ा हुआ बाँध आया । इस बाँध के पानी से १५६ मेगावट का हाइड्रोलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट चलता था। इस की बिजली बड़े उद्योगों में उपयोग ली जाती थी। जिनसे ईक्वाडोर के मुठ्ठी भर मनुष्य समृद्ध होते थे और नदी के किनारे बसे हुए किसान और स्थानीय लोगों के अकथ्य दुःखों का कारण यह बाँध था । यह हाइड्रोलेक्ट्रिक प्लान्ट और ऐसे दूसरे अनेक प्रोजेक्ट मेरे और मेरे जैसे आर्थिक हत्यारों के प्रयत्नों से विकसित हुए थे। ऐसे प्रोजेक्टों के कारण ही अमेरिकी वैश्विक साम्राज्य में ईक्वाडोर हस्तक बना है। इसके कारण ही स्थानीय प्रजाएँ हमारी तेल कम्पनियों के सामने युद्ध छेड़ने की धमकियाँ देती हैं ।  
    
आर्थिक हत्यारों के द्वारा स्थापित प्रोजेक्टों के कारण आज ईक्वाडोर विदेशी कर्ज में नष्ट हो गया है। परिणाम स्वरूप उसके राष्ट्रीय बजट का अधिकांश भाग कर्ज चुकता करने में ही चला जाता है। और अपने देश में भयानक गरीबी में लिपटे हुए करोड़ों लोगों के लिए उपयोग करने के स्थान पर कर्ज की भरपाई करने में ही सारा राष्ट्रीय बजट चला जाता है । ईक्वाडोर के लिए अब एक मात्र मार्ग यह है कि कर्ज के बदले में तेल कम्पनियों को प्राकृतिक जंगल ही बेच दिये जाये, वास्तव में आर्थिक हत्यारों की ईक्वाडोर पर सबसे पहली नजर पड़ी उसका मुख्य कारण यही था कि एमेजोन प्रदेश के नीचे तेल का समृद्ध भंडार पड़ा हुआ है, वह अरब राष्ट्रों के तेल भंडारों जितना ही है, उसे हड़प लेना ही मुख्य उद्देश्य था । दुनिया भर में ईक्वाडोर में से प्रति १०० डॉलर के तेल में से ७५ डॉलर तो तेल कम्पनियाँ ही ले जाती हैं। शेष बचे २५ डॉलर में से विदेशी कर्ज की भरपाई करने में १९ डॉलर चले जाते हैं । बाकी बचे ६ डॉलर में से फौज और सरकारी खर्च निकालने के बाद बेचारे गरीब मनुष्य की प्रगति, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के लिए केवल ढाई डॉलर मुश्किल से बचता है । इस तरह प्रति १०० डॉलर का तेल ईक्वाडोर में से निकाल लेने में जिसे पैसों की सख्त जरुरत है, जिसकी जिन्दगी बाँध के कारण, तेल के लिये खुदाई के कारण तथा पाइपलाइन के कारण बर्बाद हुई है और जो पर्याप्त भोजन और स्वच्छ पानी के बिना मर रहे हैं, उनके लिए मुश्किल से ढाई डॉलर रकम बचती है।
 
आर्थिक हत्यारों के द्वारा स्थापित प्रोजेक्टों के कारण आज ईक्वाडोर विदेशी कर्ज में नष्ट हो गया है। परिणाम स्वरूप उसके राष्ट्रीय बजट का अधिकांश भाग कर्ज चुकता करने में ही चला जाता है। और अपने देश में भयानक गरीबी में लिपटे हुए करोड़ों लोगों के लिए उपयोग करने के स्थान पर कर्ज की भरपाई करने में ही सारा राष्ट्रीय बजट चला जाता है । ईक्वाडोर के लिए अब एक मात्र मार्ग यह है कि कर्ज के बदले में तेल कम्पनियों को प्राकृतिक जंगल ही बेच दिये जाये, वास्तव में आर्थिक हत्यारों की ईक्वाडोर पर सबसे पहली नजर पड़ी उसका मुख्य कारण यही था कि एमेजोन प्रदेश के नीचे तेल का समृद्ध भंडार पड़ा हुआ है, वह अरब राष्ट्रों के तेल भंडारों जितना ही है, उसे हड़प लेना ही मुख्य उद्देश्य था । दुनिया भर में ईक्वाडोर में से प्रति १०० डॉलर के तेल में से ७५ डॉलर तो तेल कम्पनियाँ ही ले जाती हैं। शेष बचे २५ डॉलर में से विदेशी कर्ज की भरपाई करने में १९ डॉलर चले जाते हैं । बाकी बचे ६ डॉलर में से फौज और सरकारी खर्च निकालने के बाद बेचारे गरीब मनुष्य की प्रगति, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के लिए केवल ढाई डॉलर मुश्किल से बचता है । इस तरह प्रति १०० डॉलर का तेल ईक्वाडोर में से निकाल लेने में जिसे पैसों की सख्त जरुरत है, जिसकी जिन्दगी बाँध के कारण, तेल के लिये खुदाई के कारण तथा पाइपलाइन के कारण बर्बाद हुई है और जो पर्याप्त भोजन और स्वच्छ पानी के बिना मर रहे हैं, उनके लिए मुश्किल से ढाई डॉलर रकम बचती है।

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