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'''शिक्षक''' : परन्तु इसका अर्थ यह हुआ कि सिस्टम जड है, वह ब्रिटीशों की बनाई हुई है। वह स्वाधीनता और पराधीनता मे अन्तर नहीं करती । वह अपने आप नहीं बदलेगी। आप भी उसे नहीं बदलेंगे क्योंकि आप 'सेवक' हैं। संसद बदल सकती है परन्तु वह अस्थिर है। सांसद अथवा मन्त्री कुछ परिवर्तन करना चाहे तो आप उसे होने नहीं देते । आप नहीं परन्तु आपकी सिस्टम शिक्षा के स्वभाव को जानते नहीं इसलिये परिवर्तन करने नहीं देते । तब इस समस्या का हल क्या है ? आप चाहें तब सेवक और चाहें तब स्वामी बन जाते हैं। क्या यह बात सही नहीं है ? आप कदाचित इस बात से सहमत नहीं होंगे परन्तु जनसामान्य की धारणा तो यही है कि इस देश की प्रशासन व्यवस्था अपने आपको ब्रिटीशों के उत्तराधिकारी मानती है और सामान्य जन से अलग ही रहना चाहती है।
 
'''शिक्षक''' : परन्तु इसका अर्थ यह हुआ कि सिस्टम जड है, वह ब्रिटीशों की बनाई हुई है। वह स्वाधीनता और पराधीनता मे अन्तर नहीं करती । वह अपने आप नहीं बदलेगी। आप भी उसे नहीं बदलेंगे क्योंकि आप 'सेवक' हैं। संसद बदल सकती है परन्तु वह अस्थिर है। सांसद अथवा मन्त्री कुछ परिवर्तन करना चाहे तो आप उसे होने नहीं देते । आप नहीं परन्तु आपकी सिस्टम शिक्षा के स्वभाव को जानते नहीं इसलिये परिवर्तन करने नहीं देते । तब इस समस्या का हल क्या है ? आप चाहें तब सेवक और चाहें तब स्वामी बन जाते हैं। क्या यह बात सही नहीं है ? आप कदाचित इस बात से सहमत नहीं होंगे परन्तु जनसामान्य की धारणा तो यही है कि इस देश की प्रशासन व्यवस्था अपने आपको ब्रिटीशों के उत्तराधिकारी मानती है और सामान्य जन से अलग ही रहना चाहती है।
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मैं प्रशासन व्यवस्था को केवल दोष ही देना नहीं चाहता हूँ। मेरा निवेदन यह है कि लोकतंत्र में भले ही जनप्रतिनिधियों का शासन रहता हो तो भी प्रशासन ही सर्वोपरि होता है। आप इस व्यवस्था में सर्वोच्च पद पर है। आपका सम्पूर्ण तन्त्र शिक्षामन्त्री को परामर्श, मार्गदर्शन, सुझाव और सहयोग के लिये होता है । इनके बिना शासन का काम एक दिन भी नहीं चल सकता । आप व्यवस्था में सर्वोच्च होने के साथ साथ बुद्धिमान भी हैं । आपकी बुद्धि को जड सिस्टम की यान्त्रिकता से मुक्त कर शिक्षा, देश और जनसामान्य की स्थिति को दिखिये और आपके अधिकार
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मैं प्रशासन व्यवस्था को केवल दोष ही देना नहीं चाहता हूँ। मेरा निवेदन यह है कि लोकतंत्र में भले ही जनप्रतिनिधियों का शासन रहता हो तो भी प्रशासन ही सर्वोपरि होता है। आप इस व्यवस्था में सर्वोच्च पद पर है। आपका सम्पूर्ण तन्त्र शिक्षामन्त्री को परामर्श, मार्गदर्शन, सुझाव और सहयोग के लिये होता है । इनके बिना शासन का काम एक दिन भी नहीं चल सकता । आप व्यवस्था में सर्वोच्च होने के साथ साथ बुद्धिमान भी हैं । आपकी बुद्धि को जड सिस्टम की यान्त्रिकता से मुक्त कर शिक्षा, देश और जनसामान्य की स्थिति को दिखिये और आपके अधिकार का उपयोग कर स्थिति में परिवर्तन लाने का प्रयास कीजिये । मैं शिक्षामन्त्री या प्रधानमंत्री के पास नहीं अपितु आपके पास आया हूँ क्योंकि सिस्टम का अधिकार, क्षमता और प्रभाव मैं जानता हूँ। शासन कितना भी अच्छा या समर्थ हो सिस्टम ठीक नहीं होगी तो परिवर्तन नहीं हो सकता।
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यह आदेश से या बहुमत से होने वाला काम नहीं है, दीर्घ और व्यापक चिन्तन की भी आवश्यकता है। शिक्षा तो राष्ट्रनिर्माण करने वाली जिन्दा व्यवस्था है। मनुष्यों के मन और बुद्धि का विकास करने के माध्यम से वह देश चलाती है । इस सिस्टम के ही शासन और प्रशासन ऐसे दो हिस्से हैं । मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं अपितु इस सिस्टम के एक अंगके रूप में आप हैं इसलिये आप से बात कर रहा हूँ । समस्त शिक्षक समाज की ओर से, देश के जनसामान्य की ओर से एक शिक्षक और इस देश के नागरिक के नाते बात कर रहा हूँ। आप जरा अनुकूल बनने का प्रयास कीजिये । आप चाहेंगे तो बातें सम्भव हो सकती है।
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'''प्रशासक''' : आज पहली बार ऐसी बातें सुन रहा हूँ। हमारी पढाई में और प्रशिक्षण में इस दृष्टि से विचार करने की कभी सम्भावना ही निर्माण नहीं हुई है। आपकी बातें सूनकर मेरी कल्पना के समक्ष चित्र धीरे धीरे उभर रहा है। मैं देख रहा हूँ कि ब्रिटीश तो भारत छोडकर जाने की तैयारी कर रहे हैं और हम भी स्वाधीन होने का हर्ष मना रहे हैं परन्तु उस हर्ष के आवेशमें ब्रिटीश अपनी सारी व्यवस्था यहाँ छोडकर जा रहे हैं यह बात हम देखते नहीं है । हमने व्यक्तियों को देखा परन्तु उन व्यक्तियों द्वारा निर्मित व्यवस्थाओं को नहीं देखा । वास्तव में लोगों से भी लोगों द्वारा बनाई गई व्यवस्थायें ज्यादा भयंकर हैं। और विडम्बना यह है कि हमें इसका ज्ञान तो छोडो भान ही नहीं है। परन्तु आपने ही अभी कहा कि सिस्टम जड है। वह अपने आपको तो बदलेगी नहीं, उपर से जो भी बदलने का प्रयास करेगा उसका ही विरोध करेगी, उसे बदलने नहीं देगी, बदलाव में बाधायें निर्माण करेगी।
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'''शिक्षक''' : आपने ठीक कहा । अब आप परिस्थिति
    
==References==
 
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