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== मानव के व्यक्तित्व से संबंधित महत्वपूर्ण बातें ==
== मानव के व्यक्तित्व से संबंधित महत्वपूर्ण बातें ==
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१. मानव यह परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना है। सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। परमात्मा की सभी शक्तियाँ मनुष्य के पास विद्यमान होतीं हैं। केवल मात्रा का अंतर होता है। मानव की शक्तियाँ मर्यादित हैं। परमात्मा की अमर्याद हैं। किंतु भारतीय मान्यता और इतिहास के अनुसार नर करनी करे तो नारायण तक विकास कर सकता है।
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# मानव यह परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना है। सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। परमात्मा की सभी शक्तियाँ मनुष्य के पास विद्यमान होतीं हैं। केवल मात्रा का अंतर होता है। मानव की शक्तियाँ मर्यादित हैं। परमात्मा की अमर्याद हैं। किंतु भारतीय मान्यता और इतिहास के अनुसार नर करनी करे तो नारायण तक विकास कर सकता है।
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# मानव जीवन का नियमन उसके कर्म ही करते हैं। भारतीय मान्यता है कि जीवों की ८४ लक्ष योनियाँ हैं। इनमें केवल मानव योनि ही कर्मयोनि है। अन्य सभी प्राणियों की योनियाँ भोग योनियाँ हैं। प्राणि उन्हें कहते हैं जो प्राण के यानि आहार, निद्रा, भय और मैथुन इन प्राणिक आवेगों के स्तरपर जीते हैं। इन अर्थों में मानव एक प्राणि भी है। जन्म से तो मानव भी अन्य प्राणियों जैसा प्राण के स्तर पर जीनेवाला जीव ही होता है। संस्कार और शिक्षा से वह मन के स्तर पर जीने लगता है।
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२. मानव जीवन का नियमन उसके कर्म ही करते हैं। भारतीय मान्यता है कि जीवों की ८४ लक्ष योनियाँ हैं। इनमें केवल मानव योनि ही कर्मयोनि है। अन्य सभी प्राणियों की योनियाँ भोग योनियाँ हैं। प्राणि उन्हें कहते हैं जो प्राण के यानि आहार, निद्रा, भय और मैथुन इन प्राणिक आवेगों के स्तरपर जीते हैं। इन अर्थों में मानव एक प्राणि भी है। जन्म से तो मानव भी अन्य प्राणियों जैसा प्राण के स्तर पर जीनेवाला जीव ही होता है। संस्कार और शिक्षा से वह मन के स्तर पर जीने लगता है।
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'''मन के स्तर पर जीनेवाले को मानव कहते हैं'''। बुध्दि के स्तर पर जीनेवाले को महामानव और चित्त या आत्मिक स्तर पर जीनेवाले को और भी अधिक श्रेष्ठ मानव या नरोत्तम कहा जाता है।
'''मन के स्तर पर जीनेवाले को मानव कहते हैं'''। बुध्दि के स्तर पर जीनेवाले को महामानव और चित्त या आत्मिक स्तर पर जीनेवाले को और भी अधिक श्रेष्ठ मानव या नरोत्तम कहा जाता है।