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| *'''तत्त्वमीमांसा (Metaphysics) -''' इसके अन्तर्गत जगत के मूलतत्त्वों, उनकी प्रकृति, उनकी संख्या आदि के विषय में अध्ययन किया जाता है। | | *'''तत्त्वमीमांसा (Metaphysics) -''' इसके अन्तर्गत जगत के मूलतत्त्वों, उनकी प्रकृति, उनकी संख्या आदि के विषय में अध्ययन किया जाता है। |
| *'''नीतिशास्त्र (Ethics) -''' नीतिशास्त्र को [[Shad Darshanas (षड्दर्शनानि)|दर्शनशास्त्र]] की ही एक शाखा के रूप में मान्यता प्राप्त है। | | *'''नीतिशास्त्र (Ethics) -''' नीतिशास्त्र को [[Shad Darshanas (षड्दर्शनानि)|दर्शनशास्त्र]] की ही एक शाखा के रूप में मान्यता प्राप्त है। |
− | नीति के भण्डार ग्रन्थों के अतिरिक्त परामर्श, [[Shiksha (शिक्षा)|शिक्षा]], मंत्रणा और व्यावहारिक ज्ञान आदि के अनेक ग्रन्थ हैं जो नीति परक उपदेश की कोटी में आते हैं। नीति के उपदेश और काव्यों के बीच में विभाजक रेखा अत्यन्त छोटी है, फिर भी यह निर्धारित होता है कि नीति उपदेशात्मक काव्यों की रचना निम्न शैलियों में की गई होगी - | + | नीति के भण्डार ग्रन्थों के अतिरिक्त परामर्श, [[Shiksha (शिक्षा)|शिक्षा]], मंत्रणा और व्यावहारिक ज्ञान आदि के अनेक ग्रन्थ हैं जो नीति परक उपदेश की कोटी में आते हैं। नीति के उपदेश और काव्यों के बीच में विभाजक रेखा अत्यन्त छोटी है, फिर भी यह निर्धारित होता है कि नीति उपदेशात्मक काव्यों की रचना निम्न शैलियों में की गई होगी -<ref>श्री प्रभाकर नारायण, [https://ia601507.us.archive.org/18/items/in.ernet.dli.2015.403467/2015.403467.Nitikatha-Ka.pdf नीतिकथा का उद्गम एवं विकास], सन् १९६९, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी (पृ० १४३)।</ref> |
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| *दाम्पत्य जीवन के संवाद में | | *दाम्पत्य जीवन के संवाद में |
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| ==परिभाषा== | | ==परिभाषा== |
− | नीतिका तात्पर्य है- जिसके द्वारा जाना जाय अर्थ समझा जाय वह नीति है - <ref>कल्याण पत्रिका, [https://ia601505.us.archive.org/35/items/in.ernet.dli.2015.404141/2015.404141.Neetisaar-.pdf नीतिसार अंक-धर्म और नीति], गीताप्रेस गोरखपुर (पृ० 126)।</ref><blockquote>नीयन्ते उन्नीयन्ते अर्थाः अनया इति नीतिः। (वाचस्पत्यम्)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A5%8D/%E0%A4%A6 वाचस्पत्यम्] </ref></blockquote>शुक्रनीति ग्रन्थमें नीतिकी परिभाषा करते हुए लिखा है - <blockquote>सर्वोपजीवको लोकस्थितिकृन्नीतिशास्त्रकम्। धर्मार्थकाममूलो हि स्मृतो मोक्षप्रदो यतः॥ (शुक्रनीति 1-4/5)<ref>पं० श्री ब्रह्माशंकर मिश्र, [https://dn720005.ca.archive.org/0/items/EHEg_shukra-niti-of-maharshi-shukracharya-edited-with-the-vidyodini-hindi-commentary-/Shukra%20Niti%20Of%20Maharshi%20Shukracharya%20Edited%20With%20The%20Vidyodini%20Hindi%20Commentary%20By%20Brahma%20Shankar%20Mishra%20-%20Chowkhamba%20Sanskrit%20Series%20Office%2C%20Varanasi.pdf शुक्रनीति-विद्योतिनी हिन्दी व्याख्या सहित], सन् 1968, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी (पृ० 1/2)।</ref></blockquote>नीतिशास्त्र सभीकी जीविकाका साधन है तथा वह लोककी स्थिति सुरक्षित करनेवाला और धर्म अर्थ तथा कामका मूल एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है। | + | नीतिका तात्पर्य है- जिसके द्वारा जाना जाय अर्थ समझा जाय वह नीति है - <ref>कल्याण पत्रिका, [https://ia601505.us.archive.org/35/items/in.ernet.dli.2015.404141/2015.404141.Neetisaar-.pdf नीतिसार अंक-धर्म और नीति], गीताप्रेस गोरखपुर (पृ० 126)।</ref><blockquote>नीयन्ते उन्नीयन्ते अर्थाः अनया इति नीतिः। (वाचस्पत्यम्)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A5%8D/%E0%A4%A6 वाचस्पत्यम्] </ref> |
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| + | नीयन्ते संलभ्यन्ते उपायादय इति वा नीतिः। (शब्दकल्पद्रुम)</blockquote>नीति शब्द का अर्थ होता है ले जाना, पहुँचाना, दिग्दर्शन कराना, नेतृत्व करना तथा उपायों को बतलाना है। शुक्रनीति ग्रन्थमें नीतिकी परिभाषा करते हुए लिखा है - <blockquote>सर्वोपजीवको लोकस्थितिकृन्नीतिशास्त्रकम्। धर्मार्थकाममूलो हि स्मृतो मोक्षप्रदो यतः॥ (शुक्रनीति 1-4/5)<ref>पं० श्री ब्रह्माशंकर मिश्र, [https://dn720005.ca.archive.org/0/items/EHEg_shukra-niti-of-maharshi-shukracharya-edited-with-the-vidyodini-hindi-commentary-/Shukra%20Niti%20Of%20Maharshi%20Shukracharya%20Edited%20With%20The%20Vidyodini%20Hindi%20Commentary%20By%20Brahma%20Shankar%20Mishra%20-%20Chowkhamba%20Sanskrit%20Series%20Office%2C%20Varanasi.pdf शुक्रनीति-विद्योतिनी हिन्दी व्याख्या सहित], सन् 1968, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी (पृ० 1/2)।</ref></blockquote>नीतिशास्त्र सभीकी जीविकाका साधन है तथा वह लोककी स्थिति सुरक्षित करनेवाला और धर्म अर्थ तथा कामका मूल एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है। |
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| ==नीतिशास्त्र एवं अन्य विद्याएं== | | ==नीतिशास्त्र एवं अन्य विद्याएं== |
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| *प्राणि शास्त्र | | *प्राणि शास्त्र |
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− | इनके अतिरिक्त नीति-शास्त्र का घनिष्ठ सम्बन्ध राजनीति शास्त्र और, समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र के साथ-साथ नीतिशास्त्र और [[Manas (मनः)|मनोविज्ञान]], नीति-शास्त्र और तत्त्वविज्ञान, नीति-शास्त्र और तर्क-शास्त्र, नीतिशास्त्र और सौन्दर्य शास्त्र के साथ भी संबंध देखने में प्राप्त होता है। | + | इनके अतिरिक्त नीति-शास्त्र का घनिष्ठ सम्बन्ध राजनीति शास्त्र और, समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र के साथ-साथ नीतिशास्त्र और [[Manas (मनः)|मनोविज्ञान]], नीति-शास्त्र और तत्त्वविज्ञान, नीति-शास्त्र और तर्क-शास्त्र, नीतिशास्त्र और सौन्दर्य शास्त्र के साथ भी संबंध देखने में प्राप्त होता है। ऋग्वेद में नीति का प्रयोग अभीष्ट फल की प्राप्ति से है - <blockquote>ऋजुनीति नो वरूणो मित्रो नयतु विद्वान्। (ऋक् - 1/90/1) </blockquote>इसमें मित्र और वरुण से प्रार्थना करते हुए कहा है कि हमें ऋजु अर्थात् सरल नीति से अभीष्ट फल की सिद्धि होती है, विषय की दृष्टि से नीति को दो भागों में विभाजित किया जाता है पहली राजनीति तथा दूसरी धर्मनीति। |
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− | == नीतिशास्त्र और राजनीति का संबंध== | + | ==नीतिशास्त्र और राजनीति का संबंध== |
| संस्कृत साहित्य में वैदिक युग से ही नीति परक उपदेशों की परम्परा चली आ रही है, जिसमें विभिन्न मनुष्य ने अपने अनुसार नीति कथाओं एवं वचनों के वर्णन किये गये हैं। वस्तुतः नीति के उद्भावक भगवान् ब्रह्मा और प्रतिष्ठापक विष्णु हैं। आदि काल से लेकर आधुनिक काल तक नीतियों का अत्यधिक प्रचार हुआ है। जिनमें नीतिशास्त्र से संबंधित कुछ प्रमुख ग्रन्थ इस प्रकार हैं - | | संस्कृत साहित्य में वैदिक युग से ही नीति परक उपदेशों की परम्परा चली आ रही है, जिसमें विभिन्न मनुष्य ने अपने अनुसार नीति कथाओं एवं वचनों के वर्णन किये गये हैं। वस्तुतः नीति के उद्भावक भगवान् ब्रह्मा और प्रतिष्ठापक विष्णु हैं। आदि काल से लेकर आधुनिक काल तक नीतियों का अत्यधिक प्रचार हुआ है। जिनमें नीतिशास्त्र से संबंधित कुछ प्रमुख ग्रन्थ इस प्रकार हैं - |
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| ==नीति शास्त्र एवं नीति कथाएं== | | ==नीति शास्त्र एवं नीति कथाएं== |
| + | संस्कृत साहित्य में नीति कथा के माध्यम से ही दास अपने राजा को उसकी गलतियों पर पाठ सिखा सकते थे। संस्कृत नीति कथा के उपदेशकों, आचार्यों व विद्वानों का राजा के दरबार में आदर होता था। प्राचीन समय में सूत ही सारथियों का कार्य करते थे। महाभारत के कर्ण पर्व में तो एक बार तो कर्ण के सारथि शल्य ने कर्ण को उसके घमण्ड पर अत्यधिक कोसा व नीति का पाठ सिखाने के लिये हंस-काकीयोपाख्यान नामक नीति कथा को सुनाया। इसी प्रकार महाभारत के शान्तिपर्व में भीष्म ने युधिष्ठिर को नीति कथाओं के द्वारा उपदेश दिये, आदि पर्व में कणिक ने भी उपदेशों के लिये नीति कथा को ही अपनाया। शिक्षाप्रद कथाओं के बाद नीति-विषयक कथाओं का उल्लेख है। इन कथाओं के माध्यम से मनुष्य को व्यवहारशास्त्र का ज्ञान कराना लक्ष्य है -<ref>शोधगंगा- सकल नारायण सिंह, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/314319 संस्कृत वांग्मय में कथा का उद्भव एवं विकास], सन् १९८०, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ (पृ० ३४)।</ref> |
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| + | *धन के महत्व को प्रदर्शित करने के लिये हरिश्चन्द्र का आख्यान |
| + | *क्रोध से बचने के लिये विश्वामित्र और वसिष्ठ की कथा |
| + | *मद्यपान समस्त व्यसनों का मूल है, इस पर बलराम जी की कथा जिसमें मद्य के प्रभाव से उन्होंने सूत जी का वध किया |
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| नीति शास्त्र और नीति कथाओं दोनों का ही उद्देश्य समाज में नैतिक मूल्यों और संस्कारों का विकास करना है। नीति शास्त्र के सिद्धांत और नीति कथाओं की शिक्षाएँ एक साथ मिलकर व्यक्ति और समाज को नैतिकता, धर्म, और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। पंचतंत्र और हितोपदेश दो प्रमुख नीति ग्रंथ हैं, जिनमें नीति कथाओं के माध्यम से नैतिकता और जीवन के सिद्धांतों को समझाया गया है। इन ग्रंथों में जानवरों और पक्षियों की कहानियाँ हैं, जो नीति शास्त्र के सिद्धांतों को सरल और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती हैं। [[Mahabharat (महाभारत)|महाभारत]] के "विदुर नीति" और "शांति पर्व" में नीति शास्त्र के गहन सिद्धांत दिए गए हैं, वहीं महाभारत और [[Ramayana (रामायण)|रामायण]] की कहानियाँ इन सिद्धांतों को व्यावहारिक जीवन में कैसे लागू किया जाए, इसे समझाने में मदद करती हैं - | | नीति शास्त्र और नीति कथाओं दोनों का ही उद्देश्य समाज में नैतिक मूल्यों और संस्कारों का विकास करना है। नीति शास्त्र के सिद्धांत और नीति कथाओं की शिक्षाएँ एक साथ मिलकर व्यक्ति और समाज को नैतिकता, धर्म, और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। पंचतंत्र और हितोपदेश दो प्रमुख नीति ग्रंथ हैं, जिनमें नीति कथाओं के माध्यम से नैतिकता और जीवन के सिद्धांतों को समझाया गया है। इन ग्रंथों में जानवरों और पक्षियों की कहानियाँ हैं, जो नीति शास्त्र के सिद्धांतों को सरल और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती हैं। [[Mahabharat (महाभारत)|महाभारत]] के "विदुर नीति" और "शांति पर्व" में नीति शास्त्र के गहन सिद्धांत दिए गए हैं, वहीं महाभारत और [[Ramayana (रामायण)|रामायण]] की कहानियाँ इन सिद्धांतों को व्यावहारिक जीवन में कैसे लागू किया जाए, इसे समझाने में मदद करती हैं - |
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− | * नीति शास्त्र मुख्य रूप से सिद्धांतों और उपदेशों का संग्रह है, जिसमें समाज, राजनीति, और व्यक्तिगत जीवन में नैतिक आचरण के नियम बताए गए हैं। यह एक दार्शनिक दृष्टिकोण से नैतिकता और धर्म के सिद्धांतों को समझाने का प्रयास करता है। | + | *नीति शास्त्र मुख्य रूप से सिद्धांतों और उपदेशों का संग्रह है, जिसमें समाज, राजनीति, और व्यक्तिगत जीवन में नैतिक आचरण के नियम बताए गए हैं। यह एक दार्शनिक दृष्टिकोण से नैतिकता और धर्म के सिद्धांतों को समझाने का प्रयास करता है। |
− | * नीति कथाएँ इन्हीं सिद्धांतों को सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए रची गई कहानियाँ हैं। वे नीति शास्त्र के सिद्धांतों को जीवन के व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझाने का प्रयास करती हैं, जिससे सामान्य जन भी इन सिद्धांतों को आसानी से समझ और ग्रहण कर सकें। | + | *नीति कथाएँ इन्हीं सिद्धांतों को सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए रची गई कहानियाँ हैं। वे नीति शास्त्र के सिद्धांतों को जीवन के व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से समझाने का प्रयास करती हैं, जिससे सामान्य जन भी इन सिद्धांतों को आसानी से समझ और ग्रहण कर सकें। |
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| नीति शास्त्र का उद्देश्य समाज और व्यक्ति को नैतिकता और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है। इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए उचित आचरण के सिद्धांत बताए गए हैं। नीति कथाएँ इन सिद्धांतों को कहानियों के माध्यम से शिक्षा देने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। ये कहानियाँ मनोरंजक और प्रेरक होती हैं, और पाठकों को नैतिकता और धर्म के प्रति जागरूक बनाती हैं। | | नीति शास्त्र का उद्देश्य समाज और व्यक्ति को नैतिकता और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है। इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए उचित आचरण के सिद्धांत बताए गए हैं। नीति कथाएँ इन सिद्धांतों को कहानियों के माध्यम से शिक्षा देने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। ये कहानियाँ मनोरंजक और प्रेरक होती हैं, और पाठकों को नैतिकता और धर्म के प्रति जागरूक बनाती हैं। |